IPC की धारा 220 — प्राधिकार वाले व्यक्ति द्वारा जो यह जानता है कि वह विधि के प्रतिकूल कार्य कर रहा है विचारण के लिए या परिरोध करने के लिए सुपुर्दगी –
जो कोई किसी ऐसे पद पर होते हुए, जिससे व्यक्तियों को विचारण या परिरोध के लिए सुपुर्दगी करने का, या व्यक्तियों को परिरोध में रखने का उसे वैध प्राधिकार हो किसी व्यक्ति को उस प्राधिकार के प्रयोग में यह जानते हुए भ्रष्टतापूर्वक या विद्वेषपूर्वक विचारण या परिरोध के लिए सुपुर्द करेगा या परिरोध में रखेगा कि ऐसा करने में वह विधि के प्रतिकूल कार्य कर रहा है, वह दोनों में से किसी के भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी. या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, असंज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय, और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 220 — Commitment for trial or confinement by person having authority who knows that he is acting contrary to law –
Whoever, being in any office which gives him legal authority to commit persons for trial or to confinement, or to keep persons in confinement, corruptly or maliciously commits any person for trial or to confinement, or keeps any person in confinement, in the exercise of that authority, knowing that in so doing he is acting contrary to law, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, or with fine, or with both.