IPC की धारा 221 — पकड़ने के लिए आबद्ध लोक-सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप –
जो कोई ऐसा लोकसेवक होते हुए, जो किसी अपराध के लिए आरोपित या पकड़े जाने के दायित्व के अधीन किसी व्यक्ति को पकड़ने या परिरोध में रखने के लिए लोक-सेवक के नाते वैधरूप से आबद्ध है, ऐसे व्यक्ति को पकड़ने का साशय लोप करेगा या ऐसे परिरोध में से ऐसे व्यक्ति का निकल भागना साशय सहन करेगा या ऐसे व्यक्ति के निकल भागने में या निकल भागने के लिए प्रयत्न करने में साशय मदद करेगा, वह निम्नलिखित रूप से दण्डित किया जाएगा, अर्थात् :-
यदि परिरुद्ध व्यक्ति या जो व्यक्ति पकड़ा जाना चाहिए था वह मृत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए आरोपित या पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो, तो वह जुर्माने सहित या रहित दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, अथवा यदि परिरुद्ध व्यक्ति या जो व्यक्ति पकड़ा जाना चाहिए था वह आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की अवधि के कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए आरोपित या पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो, तो वह जुर्माने सहित या रहित दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, अथवा
यदि परिरुद्ध व्यक्ति या जो पकड़ा जाना चाहिए था वह दस वर्ष से कम की अवधि के लिए कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए आरोपित या पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, इसके अनुसार कि ऐसा अपराध जिसकी बाबत् लोप हुआ है संज्ञेय है या असंज्ञेय, संज्ञेय या असंज्ञेय होगा , जमानतीय, अशमनीय,और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है किन्तु यदि अपराध आजीवन कारावास या 10 वर्ष के लिये कारावास से दंडनीय है या यदि अपराध 10 वर्ष कम के लिये कारावास से दंडनीय है तो संज्ञेय है | |
IPC Section 221 — Intentional omission to apprehend on the part of public servant bound to apprehend –
Whoever, being a public servant, legally bound as such public servant to apprehend or to keep in confinement any person charged with or liable to be apprehended for an offence, intentionally omits to apprehend such person, or intentionally suffers such person to escape, or intentionally aids such person in escaping or attempting to escape from such confinement, shall be punished as follows, that is to say :-
with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, with or without fine, if the person in confinement, or who ought to have been apprehended, was charged with, or liable to be apprehended for, an offence punishable with death; or IPC की धारा 221
with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, with or without fine, if the person in confinement, or who ought to have been apprehended, was charged with, or liable to be apprehended for, an offence punishable with imprisonment for life or imprisonment for a term which may extend to ten years; or IPC की धारा 221
with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, with or without fine, if the person in confinement, or who ought to have been apprehended, was charged with, or liable to be apprehended for, an offence punishable with imprisonment for a term less than ten years.