IPC की धारा 235 — सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखना –
जो कोई किसी उपकरण या सामग्री को सिक्के के कूटकरण में उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से या यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह उस प्रयोजन के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, अपने कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा;
यदि भारतीय सिक्का हो – और यदि कूटकरण किया जाने वाला सिक्का भारतीय सिक्का हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, अजमानतीय, अशमनीय, और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है किन्तु यदि वह भारतीय सिक्का हो तो सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 235 — Possession of instrument, or material for the purpose of using the same for counterfeiting coin –
Whoever is in possession of any instrument or material, for the purpose of using the same for counterfeiting coin, or knowing or having reason to believe that the same is intended to be used for that purpose, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, and shall also be liable to fine;
if Indian coin – and if the coin to be counterfeited is Indian coin, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.