IPC की धारा 331 — संस्वीकृति उद्दापित करने के लिए या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना –
जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा कि उपहत व्यक्ति से या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से कोई संस्वीकृति या कोई जानकारी, जिससे किसी अपराध अथवा अवचार का पता चल सके, उद्दापित की जाए, अथवा उपहत व्यक्ति या उससे हितबद्ध व्यक्ति को मजबूर किया जाए कि वह कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति प्रत्यावर्तित करे या करवाए, या किसी दावे या मांग की पुष्टि करे, या ऐसी जानकारी दे, जिससे किसी संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति का प्रत्यावर्तन कराया जा सके, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, अजमानतीय, अशमनीय, और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 331 — Voluntarily causing grievous hurt to extort confession, or to compel restoration of property —
Whoever voluntarily causes grievous hurt for the purpose of extorting from the sufferer or from any person interested in the sufferer any confession or any information which may lead to the detection of an offence or misconduct, or for the purpose of constraining the sufferer or any person interested in the sufferer to restore or to cause the restoration of any property or valuable security, or to satisfy any claim or demand or to give information which may lead to the restoration of any property or valuable security, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.