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IPC की धारा 51 | धारा 51 भारतीय दण्ड संहिता | IPC Section 51 In Hindi

IPC की धारा 51 (DHARA 51) — “शपथ” –

“शपथ” के लिए विधि द्वारा प्रतिस्थापित सत्यनिष्ठ प्रतिज्ञान और ऐसी कोई घोषणा, जिसका किसी लोक-सेवक के समक्ष किया जाना या न्यायालय में या अन्यत्र सबूत के प्रयोजन के लिए उपयोग किया जाना विधि द्वारा अपेक्षित या प्राधिकृत हो, “शपथ” शब्द के अन्तर्गत आती है।


IPC की धारा 51 के प्रमुख अवयव क्या हैं ?
“शपथ” के लिए
1. विधि द्वारा प्रतिस्थापित सत्यनिष्ठ प्रतिज्ञान और ऐसी कोई घोषणा, जिसका किसी
a. लोक-सेवक के समक्ष किया जाना या,
b. न्यायालय में या,
c. अन्यत्र सबूत के प्रयोजन के लिए उपयोग किया जाना
2. विधि द्वारा अपेक्षित या प्राधिकृत हो,
“शपथ” शब्द के अन्तर्गत आती है।

IPC की धारा 51 से संबंधित महत्वपूर्ण केस 

यू0 वली वशा नाम मोह( वशु, 2008 क्रि० लॉ ज0 1011 कर्नाटक
जहां भारतीय दंड संहिता की धारा 505 एवं 506 के अधीन अपराध के कारित किये जाने का अभिकथन करने वाले परिवाद में परिवादी तथा साक्षियों द्वारा शपथपत्र संबंधी साक्ष्य प्रस्तुत किया गया; वहां चूंकि उपरोक्त दोनों अपराध अजमानतीय थे, इसलिए शपथपत्र के माध्यम से साक्ष्य को प्रस्तुत किया जाना स्वीकारणीय नहीं था और ऐसे मामले के तथ्यों पर धारा 51(DHARA 51) के उपबंध नहीं लागू होंगे।

IPC की धारा 51 FAQ

  1. आईपीसी (IPC) की धारा 51 (DHARA 51) में किसकी परिभाषा दी गयी हैं

    आईपीसी (IPC) की धारा 51 में शपथ की परिभाषा दी गयी हैं?

  2. आईपीसी की किस धारा में “शपथ ” की परिभाषा दी गयी हैं?

    आईपीसी की धारा 51 में

  3. आईपीसी (IPC) में “शपथ ” की क्या परिभाषा है?

    “शपथ” के लिए विधि द्वारा प्रतिस्थापित सत्यनिष्ठ प्रतिज्ञान और ऐसी कोई घोषणा, जिसका किसी लोक-सेवक के समक्ष किया जाना या न्यायालय में या अन्यत्र सबूत के प्रयोजन के लिए उपयोग किया जाना विधि द्वारा अपेक्षित या प्राधिकृत हो, “शपथ” शब्द के अन्तर्गत आती है।

  4. आईपीसी की धारा 51(DHARA 51) क्या है?

    IPC की धारा 51 के अनुसार ,“शपथ” के लिए विधि द्वारा प्रतिस्थापित सत्यनिष्ठ प्रतिज्ञान और ऐसी कोई घोषणा, जिसका किसी लोक-सेवक के समक्ष किया जाना या न्यायालय में या अन्यत्र सबूत के प्रयोजन के लिए उपयोग किया जाना विधि द्वारा अपेक्षित या प्राधिकृत हो, “शपथ” शब्द के अन्तर्गत आती है।

IPC Section 51 — “Oath” —

The word “oath” includes a solemn affirmation substituted by law for an oath, and any declaration required or authorized by law to be made before a public servant or to be used for the purpose of proof, whether in a Court of Justice or not.

भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –

भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र

भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल

भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]

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