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भारत के संविधान के तहत जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति का उन्मूलन

constitution of india

1: प्रस्तावना :-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35A और 370 ऐसे अनुच्छेद थे जो जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता था।
  • संविधान के 21वें भाग में अनुच्छेद के बारे में परिचयात्मक बात कही गयी थी- अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान।
  • जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा को, इसकी स्थापना के बाद, भारतीय संविधान के उन अनुच्छेदों की सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था जिन्हें राज्य में लागू किया जाना चाहिए या अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से निरस्त करना चाहिए। बाद में जम्मू-कश्मीर संविधान सभा ने राज्य के संविधान का निर्माण किया और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की सिफारिश किए बिना खुद को भंग कर दिया l
  • भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक जम्मूकश्मीर पुनर्गठन अधिनियम,2019 पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 35A और 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया । जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायी वाली केंद्रशासित क्षेत्र होगा।

2: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि :-

  • जम्मू कश्मीर को कुछ ऐेतिहासिक कारणों से उसे अनूच्छेद् 35A और 370 के अधीन एक विशेष सांविधानिक दर्जा दिया गया था । ऐसा भारत और जम्मू- कश्मीर राज्य के बीच हुए समझौते के परिणामस्वरूप है, जिसके अन्तर्गत वहाँ के तत्कालीन शासक महाराजा हरीसिंहने भारतीय संघ में सम्मिलित होने का निर्णय लिया था।
  • 15 अगस्त 1947 में भारत की स्वतन्त्रता के साथ ही जम्मू-कश्मीर भी स्वतन्त्र हो गया था। किन्तु जब पाकिस्तानी सेनाओं ने इस राज्य पर आक्रमण किया तो महाराजा हरीसिंह ने भारत से सहायता माँगी और भारत संघ में सम्मिलित होने के लिए 26 अक्टबर, 1947 को अधिमिलन-पत्र (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किया ।
  • यद्यापि उसी समय जम्मु-कश्मीर राज्य भारत का एक अभिन्न भग बन गया, किन्तू इस समझौते की वहाँ की जनता ने अपनी संविधान सभा के माध्यम से 1957 में पुष्टि की।
  • इस प्रकार भारतीय संविधान के प्रवर्तन के समय इस राज्य की स्थिति अन्य राज्यों से भिन्न थी, इसी कारण अनुच्छेद 35A और 370 को संविधान में समाबिष्ट करने की आवश्यकता पड़ी ।
  • जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का एक भाग तो था किन्तु उसकी स्थिति अन्य राज्यों से भिन्न थी। जम्मू कश्मीर का अपना संविधान था और उसके उपबंधों के अनुसार इसका प्रशासन चलता था। अन्य राज्यों के प्रशासन संबंधी उपबंध इस राज्य पर लागू नहीं होते थे] (1)

3: जम्मू और कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी प्रावधान [अनुच्छेद 370]-

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 केअंतर्गत जम्मूकश्मीर राज्य हेतु निम्न प्रावधान किए गए थे

(1) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी

(a) अनुच्छेद 238 के उपबंध जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में लागू नहीं होंगे;

(b) उक्त राज्य के लिए विधि बनाने की संसद की शक्ति,

(i) संघ सूची और समवर्ती सुची के उन विषयों तक सीमित होगी जिनको राष्ट्रपति, उस राज्य की सरकार से परामर्श करके, उन विषयों के तत्स्थानी विषय घोषित कर दे जो भारत डोमिनियन में उस राज्य के अधिमिलन को शासित करने वाले अधिमिलन पत्र में ऐसे विषयों के रूप में विनिर्दिष्ट हैं जिनके संबंध में डोमीनियन विधान-मंडल उस राज्य के लिए विधि बना सकता है; और

(ii) उक्त सूचियों के उन अन्य विषयों तक सौमित होगी जो राष्ट्रपति, उस राज्य की सरकार की सहमति से, आदेश द्वारा, विनिर्दिष्ट करे।।

(c) अनुच्छेद 1 और इस अनुच्छेद के उपबंध उस राज्य के संबंध में लागू होगे;

(d) इस संविधान के ऐसे अन्य उपबंध ऐसे अपवादों और उपांतरणो के अधीन रहते हुए जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करे, उस राज्य के संबंध में लागूहोगें |

परंतु ऐसा कोई आदेश जो उपखंड (b) के पैरा (i) में विनिर्दिष्ट राज्य के अधिमिलन पत्र में विनिर्दिष्ट विषयों से संबंधित है, उस राज्य की सरकार से परामर्श करके ही किया जाएगा अन्यथा नहीं l

परंतु यह और कि ऐसा कोई आदेश जो अंतिम पूर्ववर्ती परंतुक में निर्दिष्ट विषयों से भिन्न विषयों से संबंधित है उस सरकार की सहमति से ही किया जाएगा, अन्यथा नहीं l

(2) यदि खंड (1) केउपखंड (b) के पैरा (ii) मेंया उस खंड के उपखंड (d) के दूसरे परंतुक में निर्दिष्ट उस राज्य की सरकार की सहमति, उस राज्य का संविधान बनाने के प्रयोजन के लिए संविधान सभा के बुलाए जाने से पहले दी जाए तो ऐसी संविधान सभा के समक्ष ऐसे विनिश्चय के लिए रखा जाएगा जो वह उस पर करें l

अनुच्छेद 370 के प्रवर्तन को समाप्त करने की शक्ति:-

अनुच्छेद 370 का उपखंड (3) यहघोषित करता है कि इस अनुच्छेद के पूर्वगामी में उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी राष्ट्रपति लोक अधिसूचना द्वारा यह घोषणा कर सकता है कि यह अनुच्छेद परिवर्तन में नहीं रहेगा या ऐसे अपवादों और उपांतरणो सहित ही प्रवर्तन में रहेगा जैसे वह विनिर्दिष्ट करें l

परंतु राष्ट्रपति द्वारा ऐसे अधिसूचना राज्य की संविधान सभा की सिफारिश के पश्चात ही की जा सकेगी l

4:अनुच्छेद 370 के तहत प्राप्त विशेषाधिकार :-

  • धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये।
  • इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती थी l
  • इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं था ।
  • 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था l
  • इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते।
  • भारतीय संविधान काअनुच्छेद 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती थी l

भारतीय संविधान का 35A अनुच्छेद एक अनुच्छेद था जो जम्मू और कश्मीर राज्य विधानमण्डल को “स्थायी निवासी” परिभाषित करने तथा उन नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता था। जिसे दिनांक 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया है l

इससे संबंधित प्रावधान निम्न प्रकार थे…

स्थायी नागरिकों के अधिकारों के संबंधित कानूनों का संरक्षण करना

संविधान में कुछ भी हो फिर भी, कोई भी वर्तमान कानून जम्मू और कश्मीर राज्य में तथा भविष्य में राज्य विधानमंडल द्वारा क्रियान्वयित नहीं होगा:

(a) जम्मू और कश्मीर राज्य स्थायी नागरिक कौन हैं अथवा होंगे इसे परिभाषित करना; या

(b) ऐसे स्थायी नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करना तथा अन्य व्यक्तियों पर इन क्षेत्रों में प्रतिबन्ध लगाना

(i) राज्य सरकार में नौकरी

(ii) राज्य की अचल सम्पत्ति का अधिग्रहण

(iii) राज्य में बसना; या

(iv) राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति या ऐसी कोई अन्य सहायता

अन्य भारतीय नागरिकों को इस आधार पर नहीं दी जाएगी क्योंकि यह स्थायी नागरिकों के लिये असंगत या उनको प्रदत्त विशेषाधिकारों का हनन होगा।

5:जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 :-

इसे भारत की उच्च संसद (राज्य सभा) में गृहमन्त्री अमित शाह ने 05 अगस्त, 2019 को प्रस्तुत किया था। यह अधिनियम उसी दिन राज्य सभा द्वारा पारित कर दिया गया तथा अगले दिन लोक सभा ने इसे पारित कर दिया।इस अधिनियम में जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने का प्रावधान है, (1) जम्मू और कश्मीर (2) लद्दाख। इस अधिनियम के प्रावधान 31 अक्टूबर 2019 से लागू हुए, जो भारत के पहले उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है।

भारत के राष्ट्रपति द्वारा 9 अगस्त 2019 को आश्वासन दिया गया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत एक राष्ट्रपति के आदेश से पहले विधेयक की शुरूआत की गई थी, जिसमें कहा गया था कि भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू और कश्मीर पर लागू होंगे। इसने भारतीय संसद को कानून बनाने में सक्षम बनाया जो राज्य के संगठन को पुनर्व्यवस्थित करेगा।] (2)

6: जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति के उन्मूलन के प्रभाव :-

पहले

अब

1- जम्मू कश्मीर के विशेष अधिकार1. कोई विशेषाधिकार नहीं
2- दोहरी नगरिता2.एकल नागरिता
3. जम्मू कश्मीर के लिए अलग झंडा3.तिरंगा
4.आर्टिकल 356 लागु नहीं4.आर्टिकल 356 लागु
5.आर्टिकल 356 ( आर्थिक आपातकाल) लागु नही5.आर्टिकल 360 (आर्थिक आपातकाल ) लागु
6.अल्प्सख्यको को कोई आरक्षण नही6.अल्पसंख्यक आरक्षण के लिए योग्य
7. दूसरे राज्य के लोग जम्मू कश्मीर मे जमीन या कोई प्रोपर्टी नही खरीद सकते है7.दूसरे राज्य के लोग भी अब जम्मू कश्मीर मे जमीन और प्रॉपर्टी खरीद सकते है
8.RTI लागू नहीं है8.RTI लागू है
9. विधानसभा का कार्यकाल छह साल के लिए9.केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर मे विधानसभा का कार्यकाल 5 साल

7:जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति के उन्मूलन के लाभ :-

  1. अनुच्छेद 370 हटने के बाद कई बिज़नेस इन्वेस्टमेंट के लिए कश्मीर में आ सकते है l
  2. जम्मू कश्मीर की GDP बढेगी जिससे नागरिको को बहुत फायदा होगा l
  3. टूरिज्म में बहुत मुनाफा होगा और नौकरियां भी बहुत बढ़ेंगी l
  4. एजुकेशन में बढ़ोतरी होगी जिससे जम्मू कश्मीर के नागरिक कई फील्ड में नौकरी कर पाएंगे l
  5. नौकरियां बढ़ने की वजह से सेना पर पथराव की वारदाते बहुत कम हो जाएंगी l
  6. इस समय जम्मू कश्मीर में प्राइवेट हॉस्पिटलों की बहुत कमी है, अनुच्छेद370 हटने के बाद कई प्राइवेट हॉस्पिटल वहां खुलने के आसार बढ़ेंगे l
  7. 370 हटने के बाद भारत दूसरे राज्यों के लोग जम्मू कश्मी में आयंगे जिससे वहां धार्मिक सहिणुणता बढ़ेगी. इससे वह के लोग जाती वाद और धर्म निरपेक्षता से ऊपर उठेंगे l
  8. कश्मीर के लोग आज कई मूलभूत और आधुनिक सुविधाओं से वंचित है l अनुच्छेद 370 हटने से वहां के लोग इंटरनेट, 24 घंटे बिजली और पानी जैसी सुविधाओं का लाभ ले पाएंगे l

8:जम्मू और कश्मीर के विशेष स्थिति के उन्मूलन के नुकसान :-

  1. चूँकि दूसरे राज्यों के लोग आकर कश्मीर में कोई व्यवसाय नहीं कर सकते इसलिए वहां की मार्किट में प्रतिस्पर्धा ज्यादा नहीं है, जब 370 हटा दी जायेगी तो दूसरे राज्यों के लोग भी यहाँ बिजनेस करना चाहेंगे जिससे प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ जाएगी और इसका कश्मीरियों को काफी नुकसान हो सकता है l
  2. धारा 370 हटाने के बाद कश्मीर में प्रॉपर्टी का दाम आसमान छूने लगेगा, आज कश्मीर में प्रॉपर्टी का दाम सीमित है लकिन इस अनुच्छेद के हटने के बाद बिलकुल विपरीत होगा l
  3. कश्मीर में जनसँख्या अभी ज्यादा नहीं लेकिन अगर धारा 370 हटा दी गयी तो एकदम से यहाँ जनसँख्या बढ़ जाये। जिससे कश्मीर जैसी सुन्दर घाटी को भी काफी नुक्सान हो सकता है l
  4. जब नयी इंडस्ट्रीज या फैक्टरियां कश्मीर में आएँगी तो यकीनन इस शहर में गन्दगी भी फैलेगी.

9:जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति के उन्मूलन का विरोध :-

5 अगस्त 2019 को, संघ ने राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 कोनिरस्तकरदिया। जिसकेविरोधमेंअधिवक्ता M.L. शर्मा और नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा संघ की कार्रवाइयों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर कीहै l

याचिकाकर्ताओं ने इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने की भी मांग की थी परंतु इस संबंध में 02 मार्च 2020 को सुप्रीमकोर्ट मे जस्टिस N. V. रमन्ना, जस्टिस संजय किशनकौल, जस्टिस R. सुभाषरेड्डी, जस्टिस B. R. गवई तथा जस्टिस सूर्यकान्त ने निर्णय दिया कि यह मामला बड़ी बेंच के पास नहीं जाएगा l

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि अनुच्छेद 370 को न्यायालय में लाया गया हो इसके पूर्व भी इस पर बहस हो चुकी है….

CASE- Premnath Kaul V. J&K(1959)

इस मामले में बिग लैंडेड एसेट्स एबोलिशन एक्ट, 1950 को इस आधार पर चुनौती दी गई कि इसे महाराजा युवराज करण सिंह (हरि सिंह के पुत्र) द्वारा असंवैधानिक रूप से अधिनियमित किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अधिनियम को बरकरार रखा l अनुच्छेद 370 पर, अदालत ने माना कि महाराजा की पूर्ण विधायी शक्तियां अनुच्छेद 370 द्वारा सीमित नहीं थीं l

CASE- Sampat Prakash v. Jammu &Kashmir (1968)

इस मामले मेंअनुच्छेद 370 (1) के तहत 1959 और 1964 के राष्ट्रपति आदेशों को चुनौती जिसने अनुच्छेद 35 (c) की परिचालन अवधि को बढ़ाया। अनुच्छेद 35 (c) मौलिक अधिकारों के दावों से जम्मू और कश्मीर में निवारक निरोध कानून प्रतिरक्षा बना दिया।

याचिकाकर्ता ने दो प्राथमिक तर्क दिए:

  1. 1957 में J & K संविधान सभा के भंग होने के बाद धारा 370 का अस्तित्व समाप्त हो गया l
  2. यहां तक कि अगर अनुच्छेद 370 बना रहता है, तो जम्मू-कश्मीर संविधान लागू होने के बाद अनुच्छेद 370 (1) के तहत आदेशों में संशोधन करने की राष्ट्रपति की शक्ति समाप्त हो गई है l

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के आदेशों को बरकरार रखा:

अनुच्छेद 370 के तहत संविधान सभा की सिफारिश पर अनुच्छेद 370 (3) ही भंग होगा l

आदेशों को जारी करने की शक्ति में उन्हें जोड़ने, संशोधन करने, बदलने या उन्हें फिर से शामिल करने की शक्ति शामिल है क्योंकि संविधान में सामान्य उपबंध अधिनियम, 1897 लागू होता है l

CASE- Mohd. Maqbool Damnoo V.Jammu and Kashmir (1972)

इसमे अनुच्छेद 370 (1) का उल्लंघन करने के लिए जम्मू और कश्मीर निवारक निरोध (संशोधन) अधिनियम, 1967 को चुनौती दी गई थी, सदर-ए-रियासत की स्वीकृति प्राप्त करने में विफल

स्पष्टीकरण: 1952 में, जम्मू-कश्मीर संविधान सभा ने महाराजा की जगह सदर-ए-रियासत को कार्यकारी प्रमुख बनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने संशोधन को सही ठहराया, क्योंकि इसमें जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की सहमति मिली थी

जबकि अनुच्छेद 370 (1) सदर-ए-रियासत को संदर्भित करता है, जम्मू-कश्मीर संविधान में 1965 का संशोधन सदर-ए-रियासत के बजाय राज्यपाल की नियुक्ति का प्रावधान करता है। इसके अलावा, सदर-ए-रियासत के गवर्नर के संदर्भ में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 367 में संशोधन किया गया।

CASE- SBI V. Santosh Gupta (2016)

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के फैसले में अपील की गई कि वित्तीय परिसंपत्तियों के सिक्यूरिटाइजेशन और पुनर्निर्माण और सुरक्षा ब्याज अधिनियम, 2002 के प्रावधान जम्मूकश्मीर पर लागू न हों।

सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि संसद में प्रावधानों को लागू करने के लिए विधायी क्षमता है क्योंकि भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के लिए बेहतर है।

अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 370 (1) (b) संसद की शक्ति को सीमित नहीं करता है क्योंकि भारत का संविधान 1954 के राष्ट्रपति आदेश के माध्यम से जम्मू-कश्मीर पर लागू है ।] (3)

10: सन्दर्भ :-

1: Dr. J. N. Pandey, Constitutional Law 51th edition

2: https://hi.wikipedia.org

3: scobserver.in

“यह आर्टिकल Lokesh Namdev के द्वारा लिखा गया है जो की LL.B. IInd सेमेस्टर Dr. Harisingh Gour central University,sagar के छात्र है |”