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धारा 9 का आवेदन कैसे तैयार करे | आवेदन पत्र धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम

धारा 9 का आवेदन कैसे तैयार करे | आवेदन पत्र धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम

धारा 9 का आवेदन कैसे तैयार करे

हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) धारा 9 द्वारा विवाहित व्यक्ति अपने साथी के बने रहने की याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं, जब उनका साथी उनके साथ साझा जीवन बिताने में सक्षम नहीं होता है और असमर्थता की स्थिति में होता है। यह अधिनियम विवाहित जोड़े को विवाह बनाए रखने के लिए न्यायालय के पास आवेदन करने की अनुमति देता है।

धारा 9 के आवेदन पत्र को तैयार करने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स का पालन करें:

  1. आवेदन पत्र तैयार करते समय, आपको एक समर्थ प्रारूप का चयन करना होगा। इसे फॉर्मल और ज्ञापन के रूप में लिखा जा सकता है।
  2. विवाह का विवरण: पत्र में आपको अपने विवाह के विवरण, जैसे विवाह की तारीख, स्थान, विवाहीत साथी का नाम, पता, आदि को उल्लेख करना होगा।
  3. विवाद की वजह का विवरण: आपको अपने साथी के साथ क्यों संयुक्त जीवन नहीं बिता सकते हैं और क्यों आप उनसे अलग होने का फैसला कर रहे हैं, इसका विवरण देना होगा। यहां आपको उन सभी कारणों को दर्शाना होगा जो विवाद का कारण बन सकते हैं, जैसे कि सामाजिक, भावनात्मक, या वित्तीय मुद्दे।
  4. उपलब्धि की दस्तावेज़ीकरण: अपने आवेदन को समर्थित करने के लिए, आपको अपनी उपलब्धि को साबित करने के लिए संबंधित दस्तावेज़, जैसे कि चिकित्सा रिपोर्ट, डॉक्यूमेंटेशन, आदि के साथ जमा करना होगा।

यहाँ पर आपको, धारा 9 का आवेदन कैसे तैयार करे इसका एक प्रारूप दिया गया है जो धारा 9 का आवेदन तैयार करने में आपकी मदद कर सकता है |

न्यायालय माननीय ……………………………….

प्रकरण क्रमांक–                 /

                                                        …………………………….. ……. आवेदक

                                                                                                  बनाम

                                                        …………………………… …… अनावेदिका

आवेदन पत्र अन्तर्गत धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम वास्ते दाम्पत्य संबंधो की पुर्नस्थापना हेतु

माननीय न्यायालय,

आवेदक की ओर से आवेदन निम्नप्रकार प्रस्तुत है:-

  1. यहकि, आवेदक का विवाह अनावेदिका के साथ सामूहिक विवाह सम्मेलन में माडंरे की माता लष्कर ग्वालियर में हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार विवाह दिनांक 11.12.2020 को सम्पन्न हुआ था। उक्त विवाह बिना किसी दान दहेज के साधारण रूप से हुआ था। जिसमें किसी प्रकार कोई दान दहेज की मांग आवेदक द्वारा अनावेदिका पक्ष से नही की गयी थी ना ही अनावेदिका पक्ष की ओर से आवेदक को कोई नगदी, जेवर या अन्य कोई सामान विवाह के अवसर पर दिया गया था।
  2. यहकि, विवाह पश्चात  जब अनावेदिका आवेदक के घर आयी तो आवेदक के माता-पिता द्वारा अनावेदिका को सोने चांदी के जेवर चढ़ावे में, महंगी साडिया एवं अन्य सामान अनावेदिका को उपयोग हेतु दिया था। आवेदक व उसके परिवारजन द्वारा अनावेदिका को अच्छी तरह से रखा गया तथा उसके साथ सभी परिवारजन द्वारा मधुर व्यवहार किया जाता था तथा उसकी सम्भवतः हर इच्छा को पूरा करने का प्रयास किया जाता था।
  3. यहकि, विवाह के बाद से ही अनावेदिका का व्यवहार आवेदक एवं उसके परिवारजन के साथ मधुर नही था अनावेदिका आये दिन बात-बात पर लडाई झगडा करती थी तथा घर गृहस्थी का कोई काम नही करती थी तथा बात-बात पर सभी के साथ लडाई झगडा करने पर आमादा हो जाती थी। अनावेेेेेेेेेेेेेेेेदिका खाना नही बनाती आर ना ही आवेदक व उसके परिवार के किसी भी सदस्य की इज्जत करती थी और ना ही अपनी मान मर्यादा का पालन करती थी। आवेदक जब अनावेदिका से किसी भी काम की कहता तो अनावेदिका आवेदक से कहती कि मैं तुम्हारी नौकरानी नही हूँ  खुद जाकर अपना काम कर लो।
  4. यहकि, अनावेदिका आये दिन गृहक्लेश  करती थी, अनावेदिका सारे सारे दिन मोबाईल पर बातचीत करती रहती थी। आवेदक द्वारा कुछ भी पूछने पर चिल्लाकर जबाव देती और कोई बात नही बताती तथा धमकी देती थी कि यदि तुमने कोई बात पूछी तो तुम्हे व तुम्हारे परिवार को झूठे केस में फसा दूंगी।
  5. यहकि, विवाह के बाद से ही अनावेदिका द्वारा आवेदक पर यह दबाव बनाया जाता कि तुम अपने माता-पिता से हिस्सा लेकर मेरे मायके चलकर अलग मकान में निवास करो जिस पर आवेदक ने अनावेदिका से कहा कि मेरे माता-पिता वृद्ध है, मैं उनको छोडकर नही जा सकता हूँ । इस पर से अनावेदिका आय दिन गृहक्लेश  करती, अनावेदिका अपने मायके चली जाती और आवेदक को यह धमकी देती कि यदि मेरी बात नही मानी तो पूरे परिवार को दहेज एक्ट के झूठे केस में फसा दूंगी।
  6. यहकि, आये दिन अनावेदिका बिना बताये मायके चली जाती और कई-कई माह तक मायके में ही रहती आवेदक अनावेदिका को लिवाने जाता तो आने से इंकार कर देती थी और आवेदक को बार-बार यह धमकी देती कि यदि मुझ पर जोर जबरदस्ती की तो मैं आत्महत्या कर लूंगी।
  7. यहकि, अनावेदिका के उपरोक्त कृत्यो के बारे में आवेदक ने अनावेदिका के परिवारजन को बताया तो उनके द्वारा अनावेदिका को समझाने के बजाय आवेदक के साथ गाली गलोच व अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया जाता और कहते कि अनावेदिका जैसा कहती है वैसा करो नही तो पूरे परिवार को दहेज एक्ट व अन्य झूठे केस में फसाकर जेल भिजवा देंगे। आवेदक यह सोचकर सहन करता रहा कि समय आने पर सब ठीक हो जावेगा किन्तु अनावेदिका के व्यवहार में कोई परिवर्तन नही आया।
  8. यहकि, अनावेदिका व उसके परिवारजन द्वारा आय दिन प्रताडित करने की शिकायत आवेदक द्वारा महिला थाना पडाव में दिनांक 03.03.2022 को की गई।
  9. यहकि, दिनांक 15.11.2021 को अनावेदिका घर में रखे सोने-चांदी के जेवर कपडे एवं अन्य कीमती सामान लेकर अपने मायके चली गई और उसके बाद अनावेदिका वापिस नही आई, आवेदक कई बार अनावेदिका को लिवाने गया किन्तु उसने आवेदक के साथ रहने से साफ इंकार कर दिया। आवेदक के रिस्तेदार  व परिवारजन द्वारा भी अनावेदिका को कई बार समझाया गया और आवेदक के साथ रहे हेतु कहा गया किन्तु अनावेदिका ने आवेदक के साथ रहने से साफ इंकार कर दिया।
  10. यहकि, अनावेदिका की जिद पूरी न होने के कारण अनावेदिका द्वारा आवेदक व उसके परिवारजन के विरूद्ध पुलिस थाना हजीरा में झूठी शिकायत का आवेदन दिया गया ताकि अनावेदिका आवेदक पर अपना दबाव बनाकर अपनी अवैध इच्छाओ की पूर्ति कर सके।
  11. यहकि, अनावेदिका द्वारा आवेदक का बिना किसी उचित व पर्याप्त कारण के परित्याग कर रखा है जिसके कारण आवेदक को अत्याधिक मानसिक व शारीरिक पीडा सहन करना पड़ रही है जबकि आवेदक आज भी अनावेदिका को अपने साथ बतौर पत्नी रखने हेतु तत्पर व तैयार है। इसलिये दाम्पत्य संबंधो की पुर्नस्थापना हेतु यह आवेदन पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक हुआ है।
  12. यहकि, दिनांक 15.11.2021 को अनावेदिका द्वारा आवेदक का बिना किसी कारण के परित्याग कर चले जाने व आवेदक कई बार अनावेदिका को लेने जाने बाद भी अनावेदिका वापिस न आने से वादकारण उत्पन्न हुआ जो निरंतर जारी है।
  13. यहकि, आवेदक एवं अनावेदिका का बतौर पति पत्नी निवास स्थान ग्वालियर में होने व आवेदक का निवास स्थान ग्वालियर में होने से माननीय न्यायालय को प्रस्तुत आवेदन पत्र की सुनवाई किये जाने का क्षेत्राधिकारी एवं श्रवणाधिकार प्राप्त है।
  14. यहकि, आवेदक एवं अनावेदिका के मध्य कोई दुरभि संधि नही है।
  15. यहकि, आवेदन पत्र के साथ सुनवाई हेतु निश्चित न्यायशुल्क प्रस्तुत है।

अतः माननीय न्यायालय से निवेदन है कि आवेदक का आवेदन पत्र स्वीकार किया जाकर आवेदक एवं अनावेदिका के मध्य दाम्पत्य संबंधो की पुर्नस्थापना किये जाने हेतु अनावेदिका को आवेदक के यहां आकर निवास करने व अपने पत्नी धर्म का पालन किये जाने की कृपा करें।

दिनांक– ……………….                              

प्रार्थी

सत्यापन

मैं शपथपूर्वक सत्यापित करता हूँ  कि उपरोक्त आवेदन पत्र के पद क्रमांक 1 लगायत 15 में वर्णित समस्त तथ्य मेरे निजी ज्ञान व जानकारी से सत्य व सही है एवं कानूनी तथ्य अभिभाषक द्वारा दी गयी जानकारी से सत्य व सही होने का विश्वास है। कोई तथ्य असत्य व छिपाया नही है।

दिनांक– ……………….                  

  हस्ताक्षर

धारा 9 का आवेदन के साथ शपथ -पत्र संलग्न किया जाना

न्यायालय माननीय……………………………………

प्रकरण क्रमांक-…………….

                                आवेदक                             

                                                                                                    बनाम

                         अनावेदिका                                     

                        शपथ-पत्र

नाम :

पिता का नाम :

जन्मतिथि :

व्यवसाय :

निवासी :

मैं शपथपूर्वक सत्य कथन करता हूं कि-  

  1. यहकि, मुझ शपथकर्ता द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष ण्क आवेदन पत्र अन्तर्गत धारा 9 एच.एम.ए. के तहत प्रस्तुत किया है जिसमे वर्णित तथ्यो पर सफलता की पूर्ण आषा है। प्रस्तुत आवेदन पत्र के पद क्रमांक 1 लगायत 15 में वर्णित समस्त तथ्य मेरे निजी ज्ञान व जानकारी से सत्य व सही है जिन्हें मैने पढ़ व समझ लिया है जिसमें वर्णित कोई तथ्य असत्य नही है न ही किसी तथ्य को छिपाया गया है एवं कानूनी तथ्य अभिभाषक द्वारा दी गयी जानकारी से सत्य व सही होने का विश्वास है। कोई तथ्य असत्य व छिपाया नही है। 

दिनांक– …………………  

हस्ताक्षर शपथकर्ता  

   

सत्यापन 

                  मैं शपथ पूर्वक सत्यापित करता हूॅ कि उपरोक्त शपथपत्र के पद क्रमांक 1 में वर्णित समस्त तथ्य मेरे निजी ज्ञान व जानकारी  से सत्य व सही है। कोई तथ्य असत्य व छिपाया नहीं है।

दिनांक: ………………

हस्ताक्षर सत्यापनकर्ता

धारा 9 का आवेदन के साथ धारा 13 कुटुम्ब अधिनियम का आवेदन भी दिया जाना

न्यायालय माननीय …………………………………………………

प्रकरण क्रमांक-                      /                       

                          आवेदक                       

                                                                                                    बनाम

अनावेदिका

आवेदन पत्र अन्तर्गत धारा 13 कुटुम्ब अधिनियम

माननीय न्यायालय, 

आवेदक का आवेदन पत्र निम्नप्रकार प्रस्तुत है:-

  1. यहकि, आवेदक द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष आवेदन पत्र अन्तर्गत धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत प्रस्तुत किया है जिसमें सफलता की पूर्ण आशा  है।
  2. यहकि, आवेदक कानूनी एवं न्यायालयीन प्रक्रिया से अनविज्ञ है इसलिये प्रकरण में अपनी ओर से पैरवी करने हेतु श्री सिद्धांत सिंह एडवोकेट एवं संजय कुमार को नियुक्त करना चाहता है जिसकी अनुमति दी जाना न्यायसंगत है।

                       अतएव निवेदन है कि आवेदन स्वीकार कर आवेदक को प्रकरण में अपनी ओर से पैरवी करने व परामर्श हेतु अभिभाषकगण को नियुक्त करने की अनुमति प्रदान करने की कृपा करे। 

दिनांक– ……………….                              

  प्रार्थी

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