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मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 215C | 215C MV Act 1988 in hindi

मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 215C :- केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति –

(1) केन्द्रीय सरकार इस अध्याय के उपबंधों को कार्यान्वित करने के प्रयोजनों के लिए नियम बना सकेगी।

(2) पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे नियमों में निम्नलिखित के लिए उपबंध हो सकेगा–

(क) धारा 211क में यथा निर्दिष्ट दस्तावेजों को फाइल करने, अनुज्ञप्ति, अनुज्ञा, मंजूरी, अनुमोदन, पृष्ठांकन और धन की प्राप्ति का संदाय के लिए इलैक्ट्रॉनिक प्ररूपों और साधनों का उपयोग;

(ख) न्यूनतम अर्हताएं जिन्हें मोटर यान विभाग के अधिकारी या उनका कोई वर्ग धारा 213 की उपधारा (4) में यथा निर्दिष्ट उस रूप में नियुक्ति के लिए रखने की अपेक्षा करेंगे;

(ग) धारा 215ख की उपधारा (1) के अधीन राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों  की नियुक्ति के निबंधन और शर्ते;

(घ) धारा 215ख की उपधारा (2) के अधीन राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के अन्य कृत्य;

(ङ) कोई ऐसा अन्य विषय, जो विहित किया जाना है या विहित किया जाए जिसके संबंध में केन्द्रीय सरकार द्वारा नियमों द्वारा उपबंध किया जाना है।


Section 215C of MV Act 1988 :- Power of Central Government to make rules —

(1) The Central Government may make rules for the purposes of carrying into effect the provisions of this Chapter.

(2) Without prejudice to the generality of the foregoing power, such rules may provide for–

(a) the use of electronic forms and means for the filing of documents, issue or grant of licence, permit, sanction, approval or endorsements and the receipt or payment of money as referred to in section 211A;

(b) the minimum qualifications which the Motor Vehicles Department officers or any class thereof shall be required to possess for appointment as such, as referred to in sub-section (4) of section 213;

(c) the terms and conditions of appointment of Chairman and Members of the National Road Safety Board under sub-section (1) of section 215B;

(d) the other functions of the National Road Safety Board under sub-section (2) of section 215B;

(e) and any other matter which is to be, or may be, prescribed, or in respect of which provision is to be made by rules by the Central Government.

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