अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 17 – धारा 15 के अधीन हटाए गए या धारा 16 के अधीन छुड़ाए गए व्यक्तियों की अन्तःकालीन अभिरक्षा:-
(1) जब धारा 15 की उपधारा (4) के अधीन किसी 8[व्यक्ति] को हटाने वाला कोई विशेष पुलिस अधिकारी या धारा 16 की उपधारा (1) के अधीन किसी 8[व्यक्ति] को छुड़ाने वाला कोई पुलिस अधिकारी धारा 15 की उपधारा (5) की अपेक्षानुसार समुचित मजिस्ट्रेट के समक्ष या धारा 16 की उपधारा (2) के अधीन आदेश करने वाले मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने में किसी कारणवश असमर्थ है तब वह उसे तुरन्त किसी भी वर्ग के निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करेगा जो ऐसे आदेश पारित करेगा जो वह उसकी तब तक सुरक्षित अभिरक्षा के लिए उचित समझता है जब तक कि वह, यथास्थिति, समुचित मजिस्ट्रेट का आदेश करने वाले मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश नहीं किया जाता :
परन्तु ऐसे किसी 8[व्यक्ति] को,-
(i) इस उपधारा के अधीन आदेश की तारीख से दस दिन से अधिक की अवधि के लिए इस उपधारा के अधीन अभिरक्षा मे निरुद्ध नहीं किया जाएगा ; या
(ii) किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं लौटाया जाएगा या उसको अभिरक्षा में नहीं रखा जाएगा जो उस पर अपहानिकर असर डाल सकता है ।
(2) जब [व्यक्ति] धारा 15 की उपधारा (5) के अधीन समुचित मजिस्ट्रेट के समक्ष या धारा 16 की उपधारा (2) के अधीन मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाता है तब वह उसको सुनवाई का अवसर देने के पश्चात्, धारा 16 की उपधारा (1) के अधीन प्राप्त सूचना के सही होने के बारे में, 1[व्यक्ति] की आयु, चरित्र और पूर्ववृत्त के बारे में तथा उसकी सुपुर्दगी के लिए उसके माता-पिता, संरक्षक अथवा पति की उपयुक्तता और यदि उसे घर भेजा जाता है तो उस असर की प्रकृति के बारे में, जो वहां की परिस्थितियों से उस पर पड़ सकता है, जांच कराएगा और इस प्रयोजन के लिए वहां अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, 1958 (1958 का 20) के अधीन नियुक्त परिवीक्षा अधिकारी को यह निर्देश दे सकेगा कि वह उक्त परिस्थितियों की तथा 1[व्यक्ति] के व्यक्तित्व और उसी पुनर्वासन की संभाव्यताओं के बारे में जांच करे ।
(3) मजिस्ट्रेट उस समय जब उपधारा (2) के अधीन मामले की जांच की जाती है, ऐसे आदेश पारित कर सकेगा जो वह 1[व्यक्ति] की सुरक्षित अभिरक्षा के लिए उचित समझे :
[परन्तु जहां धारा 16 के अधीन छुड़ाया गया कोई व्यक्ति बालक या अवयस्क है, वहां मजिस्ट्रेट ऐसे बालक या अवयस्क को बालकों की सुरक्षित अभिरक्षा के लिए किसी राज्य में तत्समय प्रवृत्त किसी बालक अधिनियम के अधीन स्थापित या मान्यताप्राप्त किसी संस्था में रखने के लिए स्वतंत्र होगा :
परन्तु यह और किट, किसी 1[व्यक्ति] को ऐसे आदेश की तारीख से तीन सप्ताह से अधिक की अवधि के लिए इस प्रयोजनार्थ अभिरक्षा में नहीं रखा जाएगा और किसी 1[व्यक्ति] को ऐसे किसी व्यक्ति की अभिरक्षा में नहीं रखा जाएगा जिससे उस पर अपहानिकर असर पड़ने की संभावना है ।
(4) जहां मजिस्ट्रेट का उपधारा (2) में यथा अपेक्षित जांच करने के पश्चात् समाधान हो जाता है-
(क) कि प्राप्त सूचना सही है ; और
(ख) कि उसकी देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता है,
तो वह उपधारा (5) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए यह आदेश जारी कर सकेगा कि ऐसे 1[व्यक्तिट को एक वर्ष से अन्यून और तीन वर्ष से अनधिक की ऐसी अवधि के लिए जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, किसी संरक्षागृह या ऐसी अन्य अभिरक्षा में निरुद्ध रखा जाए जो वह लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों के उपयुक्त समझे :
परन्तु ऐसी अभिरक्षा ऐसे धार्मिक संम्प्रदाय के व्यक्ति या व्यक्तियों के निकाय की नहीं होगी जो 1[व्यक्तिट के धार्मिक मत से भिन्न धार्मिक मत के हैं और उन व्यक्तियों से जिनकी अभिरक्षा में 1[व्यक्ति] सुपुर्द किया जाएगा जिनके अंतर्गत संरक्षागृह के भारसाधक व्यक्ति भी हैं, ऐसा बंधपत्र निष्पादित करने की अपेक्षा की जा सकेगी जिसमें जहां आवश्यक और साध्य हो वहां 1[व्यक्ति] की समुचित देखरेख, संरक्षकता, शिक्षा, प्रशिक्षण और चिकित्सीय और मनश्चिकित्सीय उपचार तथा न्यायालय द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति द्वारा पर्यवेक्षण से सम्बन्धित निदेशों पर आधारित वचनबंध होंगे, जो तीन वर्ष से अनधिक की अवधि के लिए प्रवृत्त होंगे ।
(5) उपधारा (2) के अधीन अपने कृत्यों का निर्वहन करने में मजिस्ट्रेट अपनी सहायता के लिए पांच प्रतिष्ठित व्यक्तियों का एक पैनल समन करेगा जिसमें जहां कहीं साध्य हो तीन स्त्रियां होंगी, और इस प्रयोजन के लिए 1[व्यक्तियों] के अनैतिक व्यापार के दमन के क्षेत्र में अनुभवी सामाजिक कल्याण कार्यकर्ताओं की, विशिष्टतः महिला सामाजिक कल्याण कार्यकर्ताओं की एक सूची रख सकेगा ।
(6) उपधारा (4) के अधीन किए गए आदेश के विरुद्ध अपील सेशन न्यायालय में होगी जिसका ऐसी अपील पर विनिश्चय अंतिम होगा ।]
17 Immoral Traffic Act: – Intermediate custody of persons removed under section 15 or rescued under section 16–
60(1) When the special police officer removing a 56 person under sub-section (4) of section 15 or a police officer rescuing a 56 person under sub-section (1) of section 16, is for any reason unable to produce him before the appropriate magistrate as required by sub-section (5) of section 15, or before the magistrate issuing the order under sub-section (2) of section 16, he shall forthwith produce him before the nearest magistrate of any class, who shall pass such orders as he deems proper for his safe custody until he is produced before the appropriate magistrate, or, as the case may be, the magistrate issuing the order:
Provided that no 56 person shall be-
(i) detained in custody under this sub-section for a period exceeding ten days from the date of the order under this sub-section; or
(ii) restored to or placed in the custody of a person who may exercise a harmful influence over him.
(2) When the 61 person is produced before the appropriate magistrate under sub-section (5) of section 15 or the magistrate under sub-section (2) of section 16, he shall, after giving him an opportunity of being heard, cause an inquiry to be made as to the correctness of the information received under sub-section (1) of section 16, the age, character and antecedents of the 61 person and the suitability of his parents, guardian or husband for taking charge of him and the nature of the influence which the conditions in his home are likely to have on him if he is sent home, and, for this purpose, he may direct a probation officer appointed under the Probation of Offenders Act, 1958 (20 of 1958), to inquire into the above circumstances and into the personality of the 61 person and the prospects of his rehabilitation.
(3) The magistrate may, while an inquiry is made into a case under sub-section (2), pass such orders as he deems proper for the safe custody of the 61 person:
62 Provided that where a person rescued under section 16 is a child or minor, it shall be open to the magistrate to place such child or minor in any institution established or recognised under any Children Act, for the time being in force in any State for the safe custody of children:
Provided further that, no 61 person shall be kept in custody for this purpose for a period exceeding three weeks from the date of such an order, and no 61 person shall be kept in the custody of a person likely to have a hurmful influence over him.
(4) Where the magistrate is satisfied, after making an inquiry as required under sub-section (2), अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 17
(a) that the information received is correct; and
(b) that he is in need of care and protection,
he may, subject to the provisions of sub-section (5), make an order that such 61 person be detained for such period, being not less than one year and not more than three years, as may be specified in the order, in a protective home, or in such other custody as he shall, for reasons to be recorded in writing, consider suitable:
Provided that such custody shall not be that of a person or body of persons of a religious persuasion different from that of the 61 person and that those entrusted with the custody of the 61 person including the persons in charge of a protective home, may be required to enter into a bond which may, were necessary and feasible, contain undertakings based on directions relating to the proper care, guardianship, education, training and medical and psychiatric treatment of the 61 person as well as supervision by a person appointed by the court, which will be in force for a period, not exceeding three years. अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 17
(5) In discharging his functions under sub-section (2), a magistrate may summon a panel of five respectable persons, three of whom shall, wherever practicable, be women, to assist him; and may, for this purpose, keep a list of experienced social welfare workers, particularly women social welfare workers, in the field of suppression of immoral traffic in 63 persons.
(6) An appeal against an order made under sub-section (4) shall lie to the Court of Session whose decision on such appeal shall be final. अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 17
56. Subs. by Act 44 of 1986, s. 4, for woman or girl (w.e.f. 26-1-1987).
60. Subs. s. 4, ibid., for women and girls (w.e.f. 26-1-1987).
61. Subs. by Act 44 of 1986, s. 4, for woman or girl (w.e.f. 26-1-1987).
62. Subs. by s. 18, ibid., Provide that (w.e.f. 26-1-1987).
63. Subs. by s. 4, ibid., for women and girls (w.e.f. 26-1-1987).