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अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 19 | 19 Immoral Traffic Act In Hindi 

अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 19 – संरक्षा गृह में रखे जाने या न्यायालय द्वारा देख-रेख और संरक्षण प्रदान करने के लिए आवेदन-

(1) कोई  [व्यक्ति] जो वेश्यावृत्ति कर रहा है या जिससे वेश्यावृत्ति करवाई जा रही है, उस मजिस्ट्रेट को जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के अन्दर वह वेश्यावृत्ति कर रहा है या उससे वेश्यावृत्ति करवाई जा रही है, इस आदेश के लिए आवेदन कर सकेगा कि-

(क) उसे संरक्षागृह में रख दिया जाए, या

(ख) न्यायालय द्वारा उसकी देख-रेख और उसका संरक्षण उपधारा (3) में विनिर्दिष्ट रीति से किया जाए ।

(2) मजिस्ट्रेट उपधारा (3) के अधीन कोई जांच लम्बित रहने तक यह निदेश दे सकेगा कि 4[व्यक्तिट को ऐसी अभिरक्षा में रखा जाए जो वह मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उचित समझे ।

(3) यदि मजिस्ट्रेट का समाधान, आवेदक को सुनने और ऐसी जांच करने के पश्चात्, जो वह आवश्यक समझता है, और जिसके अन्तर्गत अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, 1958 (1958 का 20) के अधीन नियुक्त किसी परिवीक्षा अधिकारी द्वारा आवेदक के व्यक्तित्व, घर की परिस्थितियों और पुनर्वासन की संभावनाओं के बारे में जांच भी है, हो जाता है कि इस धारा के अधीन आदेश किया जाना चाहिए तो वह लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों से यह आदेश करेगा कि आवेदक को,-

(i) किसी संरक्षागृह में, या

(ii) किसी सुधार संस्था में, या

(iii) मजिस्ट्रेट द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के पर्यवेक्षण के अधीन,

ऐसी अवधि के लिए जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, रखा जाए ।]


19 Immoral Traffic Act – Application for being kept in a protective home or provided care and protection by court

68(1) A 69 person who is carrying on, or is being made to carry on, prostitution, may make an application, to the magistrate within the local limits of whose jurisdiction he is carrying on, or is being made to carry on prostitution, for an order that he may be—अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 19
(a) kept in a protective home, or
(b) provided care and protection by the court in the manner specified in sub-section (3).
(2) The magistrate may, pending inquiry under sub-section (3), direct that the 69 person be kept in such custody as he may consider proper, having regard to the circumstances of the case. अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 19
(3) If the magistrate, after hearing the applicant and making such inquiry as he may consider necessary, including an inquiry by a probation officer appointed under the Probation of Offenders Act, 1958 (20 of 1958), into the personality, conditions of home and prospects of rehabilitation of the applicant, is satisfied that an order should be made under this section, he shall, for reasons to be recorded, make an order that the applicant be kept,— अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 19
(i) in a protective home, or
(ii) in a corrective institution, or
(iii) under the supervision of a person appointed by the magistrate,
for such period as may be specified in the order.


68. Subs. by Act 46 of 1978, s. 14, for section 19 (w.e.f. 2-10-1979).
69. Subs. by Act 44 of 1986, s. 4, for “woman or girl” (w.e.f. 26-1-1987).

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