अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956 की धारा 10A – सुधार संस्था में निरोध-
(1) जहां-
(क) कोई अपराधी नारी धारा 7 या धारा 8 के अधीन किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराई जाती है ***; और
(ख) अपराधी का चरित्र, स्वास्थ्य, उसकी मानसिक दशा और मामले की अन्य परिस्थितियां ऐसी हैं कि उसे ऐसी अवधि के निरोध और ऐसे अनुदेश या अनुशासन के अधीन रखना समीचीन है जो उसके सुधार के लिए सहायक हो,
जहां न्यायालय के लिए यह विधिपूर्ण होगा कि वह कारावास के दण्डादेश के बदले में दो वर्ष से अन्यून और पांच वर्ष से अनधिक की अवधि के लिए किसी सुधार संस्था में निरोध का ऐसा आदेश पारित करे जो वह ठीक समझे :
परन्तु ऐसा आदेश पारित करने से पूर्व-
(i) न्यायालय अपराधी को सुनवाई का अवसर देगा और ऐसे किसी अभ्यावेदन पर विचार करेगा जो अपराधी, ऐसी संस्था में उपचार के लिए मामले की उपयुक्तता के बारे में न्यायालय को करे तथा अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, 1958 (1958 का 20) के अधीन नियुक्त परिवीक्षा अधिकारी की रिपोर्ट पर भी विचार करेगा ; और
(ii) न्यायालय यह अभिलिखित करेगा कि उसका यह समाधान हो गया है कि अपराधी का चरित्र, स्वास्थ्य और उसकी मानसिक दशा और मामले की अन्य परिस्थितियां ऐसी हैं कि जिनसे अपराधी को यथापूर्वोक्त अनुदेश और अनुशासन से फायदा होने की संभाव्यता है ।
(2) उपधारा (3) के उपबंधों के अधीन रहते हुए अपील, निर्देश और पुनरीक्षण से संबंधित दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2 ) के उपबंध और उस अवधि के बारे में, जिसके भीतर अपील फाइल की जाएगी, परिसीमा अधिनियम, 1963 (1963 का 36) के उपबंध, उपधारा (1) के अधीन निरोध आदेश के संबंध में ऐसे लागू होंगे मानो आदेश उतनी अवधि के कारावास का दण्डादेश हो जितनी अवधि के लिए निरोध का आदेश दिया गया था ।
(3) ऐसे नियमों के अधीन रहते हुए जो इस निमित्त बनाए जाएं यदि राज्य सरकार या इस निमित्त प्राधिकृत प्राधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि इस बात की युक्तियुक्त अधिसंभाव्यता है कि अपराधी नारी एक उपयोगी और परिश्रमी जीवन व्यतीत करेगी, तो वह सुधार संस्था में निरोध के लिए किसी आदेश की तारीख से, छह मास की समाप्ति के पश्चात् किसी भी समय उसे ऐसी शर्तों के बिना या ऐसी शर्तों सहित, जो ठीक समझी जाएं, उन्मोचित तक सकेगा और उसे ऐसे प्ररूप में, जो विहित किया जाए, एक लिखित अनुज्ञप्ति दे सकेगा ।
(4) अपराधी को जिन शर्तों पर उन्मोचित किया जाता है उन शर्तों के अन्तर्गत अपराधी के निवास-स्थान और अपराधी के कार्यकलापों और गतिविधियों पर पर्यवेक्षण से संबंधित अपेक्षाएं भी हो सकेंगी ।]
Section 10A. Detention in a corrective institution —
(1) Where—
(a) a female offender is found guilty of an offence under section 7 or section 8, 45 ***; and
(b) the character, state of health and mental condition of the offender and the other circumstances of the case are such that it is expedient that she should be subject to detention for such term and such instruction and discipline as are conducive to her correction,
it shall be lawful for the court to pass, in lieu of a sentence of imprisonment, an order for detention in a corrective institution for such term, not being less than two years and not being more than five years, as the court thinks fit:
Provided that before passing such an order—
(i) the court shall give an opportunity to the offender to be heard and shall also consider any representation which the offender may make to the court as to the suitability of the case for treatment in such an institution, as also the report of the probation officer appointed under the Probation of Offenders Act, 1958 (20 of 1958); and अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956 की धारा 10A
(ii) the court shall record that it is satisfied that the character, state of health and mental condition of the offender and the other circumstances of the case are such that the offender is likely to benefit by such instruction and discipline as aforesaid.
(2) Subject to the provisions of sub-section (3), the provisions of the Code of Criminal Procedure, 1973 (2 of 1974), relating to appeal, reference and revision and of the Limitation Act, 1963 (36 of 1963), as to the period within which an appeal shall be filed, shall apply in relation to an order of detention under sub-section (1) as if the order had been a sentence of imprisonment for the same period as the period for which the detention was ordered. अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956 की धारा 10A
(3) Subject to such rules as may be made in this behalf, the State Government or authority, authorised in this behalf may, at any time after the expiration of six months from the date of an order for detention in a corrective institution, if it is satisfied that there is a reasonable probability that the offender will lead a useful and industrious life, discharge her from such an institution, without condition or with such conditions as may be considered fit, and grant her a written licence in such form as may be prescribed. अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956 की धारा 10A
(4) The conditions on which an offender is discharged under sub-section (3), may include requirements relating to residence of the offender and supervision over the offender’s activities and movements.