निकाह तथा मुता विवाह में अंतर
निकाह तथा मुता विवाह की परिभाषा
निकाह क्या है?-
‘निकाह ‘का शाब्दिक अर्थ है’ ‘इंद्रियों का संयोग ‘(Union of Sexes) कानून में इसका अर्थ है ‘विवाह ‘।
सर रोलैंड विल्सन के अनुसार, “निकाह यौन संबंध को वैध करने तथा संतान उत्पन्न करने के निमित्त संविदा (Contract) है।”
हेदाया(Hedaya) में वर्णित निकाह की परिभाषा , “मुस्लिम विधि के अनुसार निकाह स्त्री और पुरुष के बीच एक ऐसी संविदा है जिसका उद्देश्य उन दोनों के समागम (Sexual intercourse) तथा संतान उत्पत्ति का अधिकार ( प्राप्त करना) है।”
केस :- अब्दुल कादिर बनाम सलीम
इस मामले में विवाह की परिभाषा देते हुए न्यायधीश महमूद ने कहा था,”मुस्लिमों में विवाह शुद्ध रूप से एक सिविल संविदा है, यह कोई संस्कार (Sacrament) नहीं है।
मुता विवाह क्या है? (Muta marriage)
“मुता” शब्द का अर्थ है’ ‘आनंद के लिए ‘(For enjoyment)। विवाह के संबंध में इस शब्द का अर्थ है “आनंद के लिए विवाह”(marriage For pleasure)। मुता विवाह एक नियत अवधि के लिए विवाह संबंध है और पुरुष द्वारा ऐसी स्त्री, जो इस प्रकार का अस्थाई विवाह संबंध करती है, पारितोषिक (Reward) दिया जाता है।
केस:- शोहरत सिंह बनाम मुस्ममात जाफरी बीवी,24 I.C.499 PC.
इस मामले में प्रिवी काउंसिल ने कहा था कि यदि स्त्री पुरुष के बीच समागम (cohabitation) मुता विवाह के आधार पर प्रारंभ हुआ हो और इस बात का कोई साक्ष्य न हो कि विवाह की अवधि क्या है तो ऐसी परिस्थिति में जब तक विपरीत साक्ष्य न प्राप्त हो जाए, निष्कर्ष यह होगा कि सहवास की समस्त अवधि तक मुता विवाह चलता रहा।
निकाह तथा मुता विवाह में अंतर-
निकाह (Nikah) |
मुता विवाह(Muta marriage) |
1. निकाह स्थाई विवाह संबंध है जो कि अनिश्चित अवधि के लिए की गई संविदा के रूप में होता है। | 1. मुता विवाह स्त्री पुरुष के बीच अस्थाई विवाह संबंध है जो एक निश्चित अवधि तक के लिए की गई संविदा के रूप में होता है। |
2. निकाह द्वारा स्थापित किया हुआ विवाह संबंध मृत्यु या तलाक द्वारा ही समाप्त हो सकता है। | 2. मुता विवाह संबंधी अपनी निर्धारित अवधि समाप्त हो जाने के बाद स्वत: या पारंपरिक सहमति से पहले ही समाप्त हो जाता है। |
3. निकाह शिया तथा सुन्नी दोनों संप्रदायों द्वारा मान्य विवाह संबंध है। | 3. मुता विवाह संबंध केवल शिया संप्रदाय के मुसलमानों द्वारा ही मान्य है। |
4. निकाह के बाद पति पत्नी दोनों को ही एक – दूसरे की संपत्ति पर उत्तराधिकार प्राप्त हो जाता है | 4. मुता विवाह द्वारा ऐसे अधिकारों का उदय नहीं होता। पति और पत्नी एक दूसरे की मृत्यु के बाद मृतक की संपत्ति के उत्तराधिकारी नहीं होते हैं। |
5. निकाह के बाद यदि पति चाहे तो अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है और मेहर देकर उस संबंध से छुटकारा पा सकता है | 5. मुताविवाह के बाद पति अपनी पत्नी को तलाक देकर संबंध विच्छेद नहीं कर सकता है, मुता विवाह में संबंध का अंत निश्चित अवधि के बाद ही हो सकता है। किंतु यदि पति चाहे तो मुता संबंध को हिबा-ए-मुददत(शेष अवधि का दान) देकर समाप्त कर सकता है। |
6. निकाह के बाद चाहे पति पत्नी ने समागम (Consummation) द्वारा विवाह को पूर्णता प्रदान की हो अथवा नहीं, पत्नी पूरे मेहर की अधिकारिणी होती है | 6. मुता विवाह के बाद यदि पति-पत्नी ने समागम किया हो तो पत्नी पूर्ण मेहर कि अधिकारिणी होती है, किंतु यदि उन्होंने समागम नहीं किया है तो पत्नी केवल आधे मेहर की अधिकारी होती है। |
7. निकाह द्वारा स्थापित विवाह संबंध के बाद इद्दत की अवधि से पत्नी निर्वाह वृत्ति प्राप्त करने की अधिकारिणी होती है। | 7. मुता विवाह संबंध की समाप्ति के बाद पत्नी को निर्वाह वृत्ति का कोई अधिकार नहीं होता है |
8. निकाह में यह अनिवार्य नहीं है कि मेहर की धनराशि निश्चित करके प्रत्यक्ष रूप से घोषित कर दी जाए। मेहर अभिव्यक्त हो सकता है या उपलक्षित। | 8. मुता विवाह में यह आवश्यक है कि मेहर को निश्चित धनराशि के रूप में अभिव्यक्त कर दिया जाए। इसमें उपलक्षित मेहर(implied dower) का कोई स्थान नहीं है। यदि मेहर की धनराशि प्रत्यक्ष नहीं की जाती है तो मुता विवाह अवैध हो जाता है। |
9. निकाह द्वारा स्थापित विवाह संबंध के बाद विवाह संबंधी सभी अधिकार और कर्तव्यों का उदय स्वत: हो जाता है। निकाहनामा में उन कर्तव्यों और अधिकारों के लिखे जाने की आवश्यकता नहीं है। | 9. मुता विवाह में ऐसा नहीं होता है केवल सामान्य अधिकारों और कर्तव्यों के अतिरिक्त सभी शर्तों को संविदा में सम्मिलित किया जाना अनिवार्य है।
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संदर्भ-
- पारस दीवान – मुस्लिम विधि
- अकील अहमद – मुस्लिम विधि
- निकाह तथा मुता विवाह में अंतर- http://ijlljs.in/wp-content/uploads/2016/02/18.pdf
- निकाह तथा मुता विवाह में अंतर-https://en.wikipedia.org/wiki/Nikah_mut%27ah
- निकाह तथा मुता विवाह- https://www.legalserviceindia.com/article/l162-Concept-of-Marriage-in-Muslim-Law.html
इसे भी पढ़े – वैध हिंदू विवाह की आवश्यक शर्तें क्या है ? | Essentials of Hindu Marriage in hindi