न्यायालय की कमीशन जारी करने की शक्ति
सारांश (Abstract) –
विधि का यह सर्वमान्य सिद्धांत है की किसी वाद की सम्पूर्ण कार्यवाही वाद के पक्षकारों के समक्ष संचालित की जाये, साक्षियों की साक्ष्य जिनकी उपस्थिति में न्यायालय में लिया जाये ! परन्तु कई बार ऐसी परिस्थिति होती होती है की वाद के पक्षकार या साक्षी न्यायालय की पहुँच के बाहर होते है या उपस्थित होने में असमर्थ होते है , जैसे बीमारी या दुर्बलता के कारण , न्यायालय के क्षेत्राधिकार से बाहर होने या अन्य किसी कारण से न्यायालय में उपस्थित होने में असमर्थ होने , या जो सरकारी अधिकारी जो न्यायालय आने पर वह लोक सेवा का उपाय किये बिना हाजिर नहीं हो सकता ! आदि ऐसे व्यक्तियों के लिए साक्ष्य के लिए आदेश 26 व धारा 75 से 78 में कमीशन जारी करने के प्रावधान किये गए है ! जंहा न्यायालय अपनी शक्ति जो विवेकाधीन शक्ति है और उसके लिए न्यायालय को बाध्य नहीं किया जा सकता !
प्रस्तावना (Introduction) –
सिविल प्रक्रिया संहिता में धारा 75 से 78 तक और आदेश 26 में न्यायालय की कमीशन जारी करने की शक्ति को उल्लेखित किया गया है जंहा न्यायालय अपने स्वविवेक से कमीशन जारी करता है |कमीशन के सम्बन्ध में न्यायालय को निम्नलिखित शक्ति प्राप्त है जैसे – किसी व्यक्ति की परीक्षा करने के लिए , स्थानीय अन्वेषण करने के लिए , विभाजन करने के लिए वैज्ञानिक अन्वेषण अनुसचिवीय कार्य करने के लिए आदि शक्ति प्राप्त है जंहा न्यायालय कमीशन जारी कर सकता है !
कमीशन के खर्च न्यायालय आदेश 26 के नियम 15 में न्यायालय के वे पक्षकार जो कमीशन से लाभ प्राप्त कर रहे है उन पक्षकारों से जमा करवा सकता है !
न्यायालय के वे उद्देश्य जिनकी पूर्ति के लिए न्यायालय कमीशन जारी कर सकेगा –
1 . साक्षियों की परीक्षा करने के लिए कमीशन –
कोई भी न्यायालय किसी भी वाद में अपनी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर निवास करने बाले किसी ऐसे व्यक्ति के परिप्रश्नों द्वारा या अन्यथा परीक्षा करने के लिए कमीशन निकल सकेगा जिसे न्यायालय में हाजिर होने से इस संहिता के अधीन छूट मिली हो या तो बीमारी या अंगशैथिल्य के कारण उसमे हाजिर होने में असमर्थ हो –
परन्तु परिप्रश्नों द्वारा परीक्षा के लिए कमीशन तब तक नहीं निकला जायेगा जब तक की न्यायालय ऐसे कारणों से जो लेखबद्ध किये जायेगें , ऐसा करना आवश्यक समक्षे !
केस – फिल्मिस्तान बॉम्बे V/S भगबानदास AIR 1971 SC. 61
इस वाद कहा है कि कमीशन का जारी करना न्यायालय का एक विवेकाधिकार है!
ऐसा आदेश आवेदनकर्ता के पक्ष में तभी जारी किया जायेगा जब –
(१) आवेदन सद्भावनापूर्वक दिया गया हो ,
(२) वह विवाधाक जिसमे साक्ष्य चाहा गया है, उसका निवारण करना न्यायालय में आवश्यक है ,
(३) साक्षी का बयान या साक्ष्य प्रश्नगत विवाद्यक के लिए तात्विक और
(४) साक्षी का न्यायालय में क्यों नहीं परिक्षण किया जा सकता उसके लिए उचित कारण हो !
केस – अधीर चंद्र बनर्जी V/S लीलावती मुखर्जी AIR 1993 कल. 296
जंहा प्रतिवादी न्यायालय को यह आवेदन देता है की उसका बयान कमीशन के माध्यम से दर्ज किया जाये , क्योंकि वह बीमार और वृद्ध है और अपने इस कथन की पुष्टि में चिकित्सीय प्रमाणपत्र प्रस्तुत करता है वंहा कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया की ऐसी स्थिति में न्यायालय को बीमारी की विधमानता , अशक्तता और बीमारी के कारण न्यायालय में उपस्थित न हो पाने के बारे में अपनी तुस्टीकरण को अभिलिखित या दर्ज करना चाहिए !
ऐसी तुष्टिकरण को दर्ज किया बिना कमीशन द्वारा बयान दर्ज किये जाने का आदेश अवैध है !
न्यायालय कब कमीशन की लिए आदेश देगा –
साक्षी की परीक्षा की लिए नियम 2 में न्यायालय कमीशन का आदेश स्वप्रेरणा से या वाद के किसी पक्षकार के या उस साक्षी के जिसकी परीक्षा की जानी है ऐसे आवेदन पर जो शपथ -पत्र द्वारा या अन्यथा समर्थित हो , किया जा सकेगा !
वे व्यक्ति जिनकी परीक्षा करने के लिए कमीशन निकाला जा सकेगा –
आदेश 26 नियम 4 में कोई भी न्यायालय कमीशन निकाल सकेगा –
(क) अपनी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं से परे निवासी किसी भी व्यक्ति की ,
(ख) किसी भी ऐसी व्यक्ति की जो ऐसी सीमाओं को उस तारीख से पहले छोड़ने वाला है जिसको न्यायालय में परीक्षा की जाने के लिए वह अपेक्षित है तथा ,
(ग) सरकार की सेवा के किसी भी ऐसे व्यक्ति की जिसके बारे में न्यायालय की राय है की वह लोक सेवा का उपाय किये बिना हाजिर नहीं हो सकता, वंहा न्यायालय कमीशन जारी कर सकेगा |
न्यायालय कोई भी कमीशन इस नियम के अधीन निकालने पर यह निर्देश देगा की कमीशन उस न्यायालय को या किसी अधीनस्थ न्यायालय को लौटाया जायेगा !
2 .स्थानीय अन्वेषण करने के लिए कमीशन –
आदेश 26 नियम 9 में किसी भी वाद में जिसमे न्यायालय विवाद में के किसी भी विषय के विशदीकरण के या किसी संपत्ति के बाजार मूल्य के या किन्ही अन्तकालीन लाभों नुकसानों या वार्षिक शुद्ध लाभों की रकम के अभिनिश्चयन के प्रयोजन के लिए स्थानीय अन्वेषण करना अपेक्षणीय या उचित समझता है !
3 .लेखाओं की परीक्षा या उनका समायोजन करने के लिए –
न्यायालय ऐसे किसी भी वाद में जिसमे लेखाओं की परीक्षा या समायोजन आवश्यक है ऐसी परीक्षा या समायोजन करने के लिए कमीशन जारी कर सकेगा आदेश 26 नियम 11 में उल्लेखित किया गया है।
4 .विभाजन करने के लिए कमीशन –
जंहा विभाजन करने के लिए प्रारंभिक डिक्री पारित की गयी है , वंहा न्यायालय किसी मामले में जिसके लिए धारा 54 का उपलब्ध नहीं किया गया है , ऐसी डिक्री में घोषित अधिकारों के अनुसार विभाजन कमीशन जारी कर सकेगा!आदेश 26 नियम 13 के अनुसार।
5 .किसी वैज्ञानिक तकनीक या विशेषज्ञ अन्वेषण करने के लिए कमीशन –
जंहा वाद में उत्पन्न होने वाले किसी प्रश्न में वैज्ञानिक अन्वेषण अंतर्ग्रस्त है और जो न्यायालय द्वारा सुविधापूर्वक नहीं किया जा सकता न्यायालय नियम 10 (क) के अंतर्गत कमीशन जारी करेगा।
6 .ऐसी संपत्ति का विक्रय करने के लिए जो शीघ्र और प्रकृत्या क्षयशील है के लिए कमीशन –
ऐसी संपत्ति जो शीघ्र नष्ट हो सकती है जैसी सुविधा पूर्वक परीक्षित नही किया जा सकता वहां न्यायालय नियम 10 (ग) में संपत्ति के विक्रय के लिए कमीशन जारी करिगा।
7 .कोई अनुसचिवीय कार्य करने के लिए कमीशन –
आदेश 26 नियम 10 (ख) में न्यायालय वाद में उत्पन्न होने वाले किसी प्रश्न में कोई ऐसा अनुसचिवीय कार्य करना अंतर्ग्रस्त है और जो न्यायालय की राय में न्यायालय के समक्ष सुविधापूर्वक नहीं किया जा सकता वंहा कमीशन जारी कर सकेगा।
कमीशन का खर्च –
आदेश 26 नियम 15 न्यायालय कमीशन जारी करने से पहले उस पक्षकार द्वारा जिसको कमीशन से फायदा है न्यायालय ऐसी रकम जमा करने का आदेश देगा कमीशन का खर्च पूरा हो सके।
कमीशन की शक्तियां –
इस आदेश के अधीन नियुक्त कोई भी कमिश्नर उस दशा के सिवाय जिसमे नियुक्ती के आदेश द्वारा उसे अनयथा निदिर्ष्ट किया गया हो|
1. परीक्षा करने की शक्ति –
स्वयं पक्षकारों की और ऐसी साक्षी कि जिसे कमिश्नर अपने को निर्देशित मामले में साक्ष्य देने के लिए बुलाना ठीक समझे परीक्षा करा सकेगा
2. दस्तावेजों और अन्य चीजों को मगाने की शक्ति-
जांच के विषय से सुसंगत दस्तावेज और अन्य चीजों को कमिश्नर मंगवा सकेगा और उसकी परीक्षा करा सकेगा
3. भूमि पर प्रवेश करने की शक्ति-
आदेश में वर्णित किसी भी भूमि में या निर्माण के भीतर किसी युक्तियुक्त समय पर प्रवेश करने की शक्ति
4.साक्षियों को समन करने-
कमीशन को साक्षियों को समन करने की शक्ति होगी।
5.साक्षियों की हाजिरी –
कमिश्नर के समक्ष साक्षियों की हाजिरी की शक्ति होगी कमीशन की कमिश्नर के बारे में इस नियम के प्रयोजनों के लिए यह समझा जायगा की यह सिविल न्यायालय है।
निष्कर्ष –
कमीशन न्यायालय की स्वविवेक अधिकार शक्ति है और यह न्यायालय के ऊपर निर्भर करता है की न्यायालय कब कमीशन जारी करता है। CPC की धारा 75 से 78 तक एवं आदेश 26 में कमीशन को विस्तार से उल्लेख किया गया है। जंहा न्यायालय वाद की सम्पूर्ण कार्यवाही के लिए संचालित करना जारी रखना चाहता है और धारा 75 के अंतर्गत अपनी शक्ति का प्रयोग करके कमीशन जारी करता है। कमीशन में सिविल न्यायालय की कार्यवाही मानी जाएगी आदेश 26 नियम 17 के अनुसार यह समझा जायेगा कमीशन सिविल न्यायालय है।
सन्दर्भ –
1..- सिविल प्रक्रिया संहिता 1908
2.- सिविल प्रक्रिया संहिता -डॉ टी. पी. त्रिपाठी
3. – https // www.Vidhikdiary. com
“यह आर्टिकल राजेश कुमार पटेल के द्वारा लिखा गया है जो की LL.B. Vth सेमेस्टर Dr. Harisingh Gour central University,sagar के छात्र है |” |
इसे भी पढ़े :- CPC- दीवानी प्रकृति के वाद (SEC 9 of cpc)