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वाजिब उल अर्ज क्या है ? | Wajib-ul-arz in hindi

वाजिब उल अर्ज

वाजिब उल अर्ज क्या है ?( what is Wajib-ul- arz);-

अंग्रेजी में वाजिब-उल-अर्ज शब्‍द ग्रहण किया गया है और सरकारी हिन्दी में उसे ज्यों का त्यों ग्रहण कर लिया गया है।

 वाजिब-उल-अर्ज वास्तव में एक अर्थहीन रूढ़ शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘’अर्ज, निवेदन किया जाने योग्य”।

मुगलों के समय में ग्राम की जो रुढि़यां प्रशासकों को जनता द्वारा मान्य किये जाने के रूप में निवेदित की जाती थी कि वे उन्‍हे मान्‍यता प्रदान करें, वाजिब उल अर्ज कही जाती थी।

जब भू-राजस्व संहिता ने निस्तार फाक अभिलेख की सृष्टि की तब इस बाजिब-उल-अर्ज के लिए अर्थपूर्ण शब्द ‘’रूढ़िपत्रक” अधिक उपर्युक्त होता और सरल भी होता |

वाजिब-उल-अर्ज के सम्बन्ध  में प्रावधान   :- sec 242

मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 242 में वाजिब-उल-अर्ज के सम्बन्ध  में निम्न प्रावधान किये गये हैं :-

  1. इस संहिता के प्रवृत्त होने के पश्चात यथाशीघ्र S.D.O. प्रत्येक ग्राम की रूड़ियों को विहित रीति में अभिलिखित व अभिनिश्चित करेगा इसमे-a.सिचाई के अधिकार या मार्गाधिकार का अन्‍य सुखाचार
  2. b.मछली पकड़ने के अधिकार

अभिलि‍खित होंगे तथा ऐसा अभिलेख ग्राम के वाजिब उल अर्ज नाम से जाना जायेगा। 

उपरोक्त अधिकार किसी ऐसी भूमि या जल में जो राज्‍य सरकार द्वारा या किसी स्थानीय प्राधिकरण का न हो या उसके द्वार नियंत्रित या प्रतिबंधित न हो। 

2) उपधारा(1) के अनुसरण में तैयार किया गया अभिलेख S.D.O. द्वारा प्रकाशित किया जायेगा |

(3) ऐसे अभिलेख में की गई किसी प्रविष्टि से व्‍यर्थित कोई भी व्‍यक्‍ति उस प्रविष्टि को रद्द या उपांतरित (modify) कराने हेतु सिविल कोर्ट में उस अभिलेख के प्रकाशित होने की तारीख से 1 वर्ष के भीतर वाद संस्थित कर सकेगा। 

(4) वह अभिलेख सिविल न्यायालय के विनिश्चय के अधीन रहते हुये अंतिम और निश्‍चायक होगा।

(5) S.D.O. उसमें हितबद्ध किसी व्यक्ति के आवेदन पर या स्वप्रेरणा से निम्न आधारों पर वाजिब-उल-अर्ज की किसी प्रविष्टि को उपांतरित कर सकेगा या उसमें कोई नवीन प्रविष्टि अंतः स्थापित कर सकेगा- 

a. यह की प्रविष्टि में हितबद्ध समस्त व्यक्ति उसे उपांतरित कराना चाहते हैं, या 

b. यह कि किसी सिविल वा द में दी गई किसी डिक्री द्वारा  उसे गलत घोषित कर दिया गया है, या

c. यह कि सिविल न्यायालय की किसी डिक्री या आदेश पर या किसी राजस्‍व अधिकारी के आदेश पर आधारित होते हुये भी वह ऐसी डिक्री या आदेश के अनुसार नहीं है, या

d. यह कि इस प्रकार आधारित होते हुये भी वाद में ऐसी डिक्री या आदेश को अपील पुनरीक्षण या पुनर्विलोकन में फेरफारित कर दिया गया है, या 

e. यह कि सिविल न्यायालय ने डिक्री द्वारा ग्राम में विद्यमान किसी रूढि़  का पर्यवसान कर दिया है।

बाजिब उल अर्ज की अंतिमता (Finallity of waijb -ul-arz) :-

बाजिब उल अर्ज की अंतिमता के संबंध में निम्न वाद महत्वपूर्ण है 

case- Chhote Khan V . Malkhan   (1954)

Held:- राजस्व अभिलेख की प्रविष्टियां संहिता की धारा 117 (भू अभिलेखों की प्रविष्टियों के बारे में उपधारणा) के अनुसार सही मानी जायेगी, जब तक कि उन्हें अस्वीकार नहीं कर दिया जाता है, लेकिन वाजिब उल अर्ज की प्रविष्टियों को अंतिम और निर्णायक माना जाता है जब तक कि सविल न्‍यायालय उन्‍हें निरस्‍त या संशोधित नहीं करता, उन्‍हे स्‍वीकार किया जायेगा।

रुड़ियों को निश्चित या पुष्टि करने की प्रक्रिया (Procedure for Conformation or Fixing Customs) :-

Rule 3नियम 3 के अनुसार रुड़ियों को निश्चित या पुष्टि करने की प्रक्रिया निम्न है:- 

  1.  S.D.O. पिछला (यदि कोई हो) वाजिब-उल-अर्ज चेक करेगा तत्पश्चात वाजिब-उल–अर्ज का प्रारूप बनायेगा।
  2. S.D.0. प्रारूप गांव वालों को दिखायेगा व 15 दिन के भीतर आपत्तियां आमंत्रित करेगा या कोई रूढ़ि जोड़ेगा। 
  3. उक्त कालावधि के पश्‍चात् वाजिब-उल- अर्ज घोषित करेगा।
  4. अभिलेख तैयार करेगा जो वाजिब-उल–अर्ज के नाम से जाना जायेगा |

प्रावधान के उल्लंघन के लिए सजा (Punishment for Contravention of Provision) :-

sec 253वाजिब उल अर्ज में दर्ज की गई किसी रूढ़ि का उल्लंघन करने पर S.D.0. 50000 रूपयें से अनधिक शास्ति लगा सकेगा।

 

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