षड्यन्त्र (Conspiracy) :
वादी को जानबूझकर क्षति कारित करने के उद्देश्य से दो या अधिक व्यक्तियों की संयुक्ततः अवैध न्यायानुमति और इसके कारण वादी को हुई हानि षड्यन्त्र के अपकृत्य का निर्माण करती है। षड्यन्त्र अपकृत्य और अपराध दोनों है।
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति विधि-विरुद्ध साधनों से किसी तीसरे व्यक्ति को तकलीफ पहुंचाते हैं तब अपकृत्यकारी षड्यंत्र होना कहा जाता है। इस अपकृत्य में दो या दो से अधिक व्यक्ति बिना विधिपूर्ण औचित्य के पीड़ित को जानबूझकर नुकसान कारित करने हेतु संगठित होते हैं।
षड्यन्त्र के अपकृत्य के लिये यह आवश्यक नहीं है कि षड्यन्त्रकारियों ने अपनी-अपनी भूमिका निभाई हो अतः उनका अनुबंध मात्र उनको उत्तरदायी ठहराने के लिये पर्याप्त है किन्तु षड्यन्त्र का अपकृत्य तब पूर्ण होता है जब वादी को वास्तविक रूप से कोई हानि हो।
केस;- मुगल स्टीमशिप कंपनी बनाम मैकग्रेगर, (1892) ए.सी. 25
इस मामले में कई शिपिंग कंपनियों ने संयुक्त रूप से जहाज से भेजे जाने वाले माल के भाड़े में कमी कर दी। उनका उद्देश्य वादी को व्यवसाय की प्रतिस्पर्धा से बाहर करना था। वादी द्वारा प्रतिवादी के विरुद्ध षड्यन्त्र की कार्यवाही की गई जिसमें हाउस ऑफ लॉर्डस ने निर्णय दिया कि वादी के पास कार्यवाही करने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि प्रतिवादियों ने उनके व्यापार को बचाने और उसके विस्तार के लिये विधिपूर्ण कार्य किया था।
केस;-क्राफ्टर हैण्ड बोवेन हरीस ट्वीस कम्पनी लिमिटेड बनाम बीच, (1942) ए.सी. 435
इस मामले में प्रतिवादीगणों ने, जो एक व्यावसायिक संघ था, गोदी मजदूरों को, जो इस संघ के सदस्य थे अनुदेश जारी किया कि वे वादी के माल को न ढोएं। गोदी मजदूरों द्वारा इस तरह कार्य का न किया जाना संविदा भंग न था। इस घाटबन्दी का उद्देश्य सूत के व्यापार में प्रतियोगिता का निवारण करना था और इस प्रकार इस उद्योग की आर्थिक सुदृढ़ता को सुनिश्चित करना चाहता था और तद्द्वारा मिलों में कार्य करने वाले संघ के सदस्यों के वेतन भविष्य को अच्छा बनाना था।
जहाँ यह धारित किया गया कि संघ का उपर्युक्त कार्य चूंकि अपने सदस्यों के हित का प्रवर्धन करना था, अतः षड़यंत्र की संरचना नहीं हुई थी।
केस – स्काला बालरूम (वोल्वर हैम्पटन) लिमिटेड बनाम रेडक्लिफ ,1958
इस वाद में ऐसे संयोजन को भी न्यायानुमत माना गया है जो आर्थिक हितों के संरक्षण के अतिरिक्त अन्य प्रयोजन के लिये था। इस मामले में वादी ने अपनी नृत्यशाला में काले व्यक्तियों का प्रवेश अस्वीकार कर दिया था।
प्रतिवादी गुणों, जो संगीतज्ञों के संघ के अधिकारी थे, ने इस दृष्टिकोण से कि वादी को विवश किया जाये कि वह काले और गोरों का भेदभाव समाप्त कर दे, इस भावबोध से युक्त सूचना वादी के पास तामील की कि यदि रंग का प्रतिबन्ध न हटाया गया तो उसके सदस्य (जिनमें अनेकों काले व्यक्ति भी सम्मिलित थे) नृत्यशाला में वाद्यवृन्द (orchestra) का प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं प्राप्त कर सकेंगे। न्यायालय ने प्रतिवादीगणों पर अपने सदस्यों को नृत्यशाला में वाद्यवृन्द के निमित्त जाने से रोकने को विरत रखने के लिये व्यादेश जारी करने से इन्कार कर दिया।
यदि संयोजन का प्रयोजन वादी को क्षति पहुँचाना है न कि अपने वैधानिक हितों का प्रवर्धन तो कार्यवाही की जा सकती है।
केस – हल्टले बनाम थार्टन, 1957
इस मामले में वादी एक संघ का सदस्य था। उसने संघ द्वारा की जाने वाली हड़ताल के आह्वान को मानने से इन्कार कर दिया। प्रतिवादीगण जो संघ के सचिव और कुछ सदस्य थे, वादी को संघ से निष्कासित कर देना चाहते थे, परन्तु संघ की कार्यकारी परिषद् ने वैसा करना निर्णीत नहीं किया। प्रतिवादीगणों ने वादी के प्रति विद्वेष की भावना से इस बात का प्रयत्न किया कि वादी को कार्य से बाहर रखा जाये। प्रतिवादीगणों को उत्तरदायी ठहराया गया, क्योंकि संघ की कार्यवाही परिषद् के निर्णय के बाद उनका कार्य संघ के किसी भी हित के प्रवर्धन में नहीं था, वरन् वह विद्वेष और वैरभाव से संप्रेरित था।
आपराधिक षड्यन्त्र (Criminal Conspiracy):-
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120-क में आपराधिक षड्यन्त्र को परिभाषित किया गया है। उक्त धारा के अनुसार जबकि दो या अधिक व्यक्ति –
(1) कोई अवैध कार्य, अथवा
(2) कोई ऐसा कार्य, जो अवैध नहीं है, अवैध साधनों द्वारा, करने या करवाने को सहमत होते हैं, तब ऐसी सहमति आपराधिक षड़यंत्र कहलाती है।
परन्तु किसी अपराध को करने की सहमति के सिवाय कोई सहमति आपराधिक षड़यंत्र तब तक न होगी, जब तक कि सहमति के अलावा कोई कार्य उसके अनुसरण में उस सहमति के एक या अधिक पक्षकारों द्वारा नहीं कर दिया जाता। यह तत्वहीन है कि अवैध कार्य ऐसी सहमति का चरम उद्देश्य है या उस उद्देश्य का आनुषंगिक मात्र है।
आपराधिक षड्यन्त्र और अपकृत्यात्मक षड्यन्त्र में अन्तर (Difference between Criminal Conspiracy and Tortious Conspiracy) :–
आपराधिक षड्यन्त्र और अपकृत्यात्मक षड्यन्त्र में यह अन्तर है कि आपराधिक षड्यन्त्र में षड्यन्त्रकारियों का अनुबंध मात्र ही कार्यवाही किये जाने योग्य होता है चाहे उसके अनुसरण में कोई कार्य या लोप किया गया हो या न किया गया हो जबकि षड्यन्त्र का अपकृत्य तभी पूर्ण होता है जब वादी को वास्तविक हानि हुई हो।
षड्यन्त्र – अपकृत्य विधि FAQ
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अपकृत्य विधि में षड्यन्त्र की परिभाषा क्या है?
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति विधि-विरुद्ध साधनों से किसी तीसरे व्यक्ति को तकलीफ पहुंचाते हैं तब अपकृत्यकारी षड्यंत्र होना कहा जाता है।
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आपराधिक और अपकृत्यात्मक षड्यन्त्र में अन्तर
आपराधिक षड्यन्त्र में षड्यन्त्रकारियों का अनुबंध मात्र ही कार्यवाही किये जाने योग्य होता है चाहे उसके अनुसरण में कोई कार्य या लोप किया गया हो या न किया गया हो जबकि षड्यन्त्र का अपकृत्य तभी पूर्ण होता है जब वादी को वास्तविक हानि हुई हो।
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आपराधिक षड्यन्त्र को भारतीय दण्ड संहिता (IPC) किस धारा में परिभाषा दी गयी है?
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 120-क में आपराधिक षड्यन्त्र को परिभाषित किया गया है।
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आपराधिक षड्यन्त्र की परिभाषा क्या है?
जबकि दो या अधिक व्यक्ति –
(1) कोई अवैध कार्य, अथवा
(2) कोई ऐसा कार्य, जो अवैध नहीं है, अवैध साधनों द्वारा, करने या करवाने को सहमत होते हैं, तब ऐसी सहमति आपराधिक षड़यंत्र कहलाती है।
षड्यन्त्र – अपकृत्य विधि MCQ
Results
#1. निम्न में से कौन-सा वाद षड्यन्त्र के अपकृत्य से संबंधित है ?
#2. षड्यन्त्र के अपकृत्य में निम्नलिखित में कौन-सा महत्वपूर्ण अवयव नहीं है ?
#3. षड्यन्त्र के अपकृत्य के संबंध में निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है ?
#4. षड्यन्त्र की कार्यवाही में निम्नलिखित में से किस एक का प्रतिरक्षा के रूप में सफलतापूर्वक अभिवचन किया जा सकता है ?
#5. षड्यंत्र की दुष्कृति में दो या दो से अधिक व्यक्ति बिना विधिपूर्ण औचित्य के संगठित होते हैं :
#6. निम्नलिखित में कौन-सा कारक प्रतिवादी को षड्यन्त्र के अपकृत्य के लिए दायी ठहराए जाने के लिए महत्वपूर्ण है ?
#7. षड्यन्त्र के अपकृत्य में दो या अधिक व्यक्ति बिना विधिपूर्ण औचित्य के संगठित होते है
#8. आपराधिक षड्यन्त्र को परिभाषित किया गया है :-
#9. षड्यन्त्र के अपकृत्य में संयोजन का प्रयोजन होना चाहिए:
#10. अपकृत्यकारी षड्यंत्रपूर्ण घटना होती है जहाँ
संदर्भ-