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संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध मे अंतर | difference between cognizable and non cognizable offence in hindi

संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध मे अंतर

संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध मे अंतर(difference between cognizable and non cognizable offence in hindi)

संज्ञेय अपराध की परिभाषा :-

दण्ड प्रक्रिया संहिता ,1973 को धारा 2 (c) के अनुसार

“संज्ञेय अपराध”  से  ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसके लिए और “संज्ञेय मामला” से ऐसा मामला अभिप्रेत है जिसमे पुलिस अधिकारी प्रथम अनुसूची के या तत्समय प्रव्रत्य किसी अन्य विधि के अनुसार वारंट के बिना गिरफ्तार कर सकता है|

इस प्रकार के संज्ञेय मामलों मे पुलिस बिना वारंट के किसी व्यक्ति  को गिरफ्तार  कर सकती है’ जबकि असंज्ञेय मामंलो मे बिना वारंट के गिरफ्तार करने का एकमात्र कारण यह है कि ये अपराध गंभीर एंव संगीन प्रक्रति के होते है ; अत: अभियुक्त कही भाग न जाए एंव अपराध के सक्ष्यों को नष्ट न कर दे ; पुलिस ऐसे अपराध की सुचना मिलते ही बिना किसी वारंट के अभियुक्त को गिरफ्तार कर अन्वेषण प्रारंभ कर देती है|

असंज्ञेय अपराध की परिभाषा:-

दण्ड प्रक्रिया संहिता , 1973 की धारा 2(l) के अनुसार-

‘असंज्ञेय अपराध’ से ऐसा  अपराध अभिप्रेत जिसके लिए ‘असंज्ञेय मामला’ से ऐसा मामला अभिप्रेत है   और जिनमें पुलिसे अधिकारी को वारंट के बिना गिरफ्तार करने का प्राधिकार नही होता है|

वाद – ओम प्रकाश बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया [ AIR 2012 SC 545]

इस वाद मे उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ‘असंज्ञेय अपराध से अभिप्राय ऐसे अपराध से है जिसमे पुलिस अधिकारी दुवरा वारंट के बिना किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नही किया जा सकता है |

संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध मे अंतर:-

                               संज्ञेय अपराध  असंज्ञेय  अपराध
1-संज्ञेय अपराध गंभीर एवं संगीन प्रकृति के होते हैं | 1-असंज्ञेय अपराध सामान्य तथा कम गंभीर प्रकृति के होते है |
2-संज्ञेय अपराध मे पुलिस अभियुक्त को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है | 2-असंज्ञेय अपराध मे पुलिस अभियुक्त को बिना वारंट के गिरफ्तार नही कर सकती है |
3-इस प्रकार के मामलों मे कार्यवाही करने के लिए परिवाद की आवश्यकता नही होती है | 3-असंज्ञेय मामलों मे कार्यवाही का प्रारंभ परिवाद से होता है |
4-संज्ञेय अपराधो मे पुलिस अधिकारी बिना किसी आदेश के अन्वेषण प्रारम्भ कर सकता है [SEC 156 [1] 4-असंज्ञेय मामलों मे बिना आदेश के अन्वेषण प्रारंभ नही किया जा सकता |[SEC.155 [2]
5-इस प्रकार के मामले पूरे समाज को प्रभावित करते है | 5-इस प्रकार के मामलों मे पीड़ित व्यक्ति प्रभावित होता है |
6-संज्ञेय मामलों मे मुकदमा सरकार लड़ेगी | 6-असंज्ञेय मामलों मे मुकदमा पीड़ित व्यक्ति लडेगा |
7-संज्ञेय अपराध की सूचना धारा 154 मे दी जाती है | 7-असंज्ञेय मामलों की सूचना  धारा 155 मे दी जाती है |
8-संज्ञेय अपराधो मे अधिक सजा का प्रावधान है ;अर्थात कुछ अपवादों के अलावा संज्ञेय  अपराध मे 3 साल या 3 साल से अधिक कारावास और जुरमाना का प्रावधान है | 8-असंज्ञेय अपराधों मे कम सजा का प्रावधान है ,अर्थात कुछ अपवादों के अलावा 3 साल से कम कारावास या जुर्माना  का प्रावधान है|
9-इसमें धारा 154 के तहत F.I.R.दर्ज होती है | 9-इसमें धारा 155 के तहत N.C.R. दर्ज होती है |
10-इसमें F.I.R.तीन प्रतियों मे लिखी जाती है | 10-इसमें N.C.R.दो प्रतियों मे लिखी जाती है |
11-संज्ञेय मामलों मे सूचना किसी भी क्षेत्र के भारसाधक अधिकारी को दी जा सकती है | 11-असंज्ञेय मामलों मे सुचना उस थाने के भारसाधक अधिकारी को दी जाती है ,जिस क्षेत्र मे अपराध होता है |
12-संज्ञेय अपराध की परिभाषा CrPC की धारा 2 (c) मे है | 12-असंज्ञेय अपराध की परिभाषा CrPC की धारा 2(l ) मे है |

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