सीआरपीसी की धारा 172 :- अन्वेषण में कार्यवाहियों की डायरी —
(1) प्रत्येक पुलिस अधिकारी, जो इस अध्याय के अधीन अन्वेषण करता है, अन्वेषण में की गई अपनी कार्यवाही को दिन-प्रतिदिन एक डायरी में लिखेगा, जिसमें वह समय जब उसे इत्तिला मिली, वह समय जब उसने अन्वेषण आरंभ किया और जब समाप्त किया, वह स्थान या वे स्थान जहाँ वह गया और अन्वेषण द्वारा अभिनिश्चित परिस्थितियों का विवरण होगा। |
(1-क) धारा 161 के अधीन अन्वेषण के अनुक्रम के दौरान अभिलिखित किए गए साक्षियों के कथनों को केस डायरी में अन्त:स्थापित किया जाएगा।
(1-ख) उपधारा (1) में निर्दिष्ट डायरी सजिल्द होगी तथा सम्भाव्यतः संख्यांकित होगी ।
(2) कोई दण्ड न्यायालय ऐसे न्यायालय में जांच या विचारण के अधीन मामले की पुलिस डायरियों को मंगा सकता है और ऐसी डायरियों को मामले में साक्ष्य के रूप में तो नहीं किन्तु ऐसी जांच या विचारण में अपनी सहायता के लिए उपयोग में ला सकता है।
(3) न तो अभियुक्त और न उसके अभिकर्ता ऐसी डायरियों को मंगाने के हकदार होगे और न वह या वे केवल इस कारण उन्हें देखने के हकदार होंगे कि वे न्यायालय द्वारा देखी गई है, किन्तु यदि वे उस पुलिस अधिकारी द्वारा, जिसने उन्हें लिखा है, अपनी स्मृति को ताजा करने के लिए उपयोग में लाई जाती है, या यदि न्यायालय उन्हें ऐसे पुलिस अधिकारी की बातों का खण्डन करने के प्रयोजन के लिए उपयोग में लाता है तो भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) की, यथास्थिति, धारा 161 या धारा 145 के उपबंध लागू होंगे।
172 CrPC in hindi :- Diary of proceedings in investigation —
(1) Every police officer making an investigation under this Chapter shall day by day enter his proceedings in the investigation in a diary, setting forth the time at which the information reached him, the time at which he began and closed his investigation, the place or places visited by him and a statement of the circumstances ascertained through his investigation.
(1A) The statements of witnesses recorded during the course of investigation under section 161 shall be inserted in the case diary.
(1B) The diary referred to in sub-section (1) shall be a volume and duly paginated. सीआरपीसी की धारा 172
(2) Any Criminal Court may send for the police diaries of a case under inquiry or trial in such Court and may use such diaries, not as evidence in the case, but to aid it in such inquiry or trial.
(3) Neither the accused nor his agents shall be entitled to call for such diaries, nor shall he or they be entitled to see them merely because they are referred to by the Court; but, if they are used by the police officer who made them to refresh his memory, or if the Court uses them for the purpose of contradicting such police officer, the provisions of section 161 or section 145, as the case may be, of the Indian Evidence Act, 1872 (1 of 1872), shall apply.