अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 3 – वेश्यागृह चलाने या परिसरों को वेश्यागृह के रूप में प्रयुक्त करने देने के लिए दण्ड-
(1) कोई व्यक्ति जो कोई वेश्यागृह चलाता है या उसका प्रबन्धन करता है अथवा उसको चलाने या उसके प्रबन्ध में काम करता है या सहायता करता है वह प्रथम दोषसिद्धि पर एक वर्ष से अन्यून और तीन वर्ष से अनधिक की अवधि के लिए कठोर कारावास से तथा जुर्माने से भी जो दो हजार रुपए तक का हो सकेगा और द्वितीय या पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि की दशा में दो वर्ष से अन्यून और पांच वर्ष से अनधिक की अवधि के लिए कठोर कारावास से तथा जुर्माने से भी, जो दो हजार रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा ।
(2) कोई व्यक्ति जो-
(क) किसी परिसर का अभिधारी, पट्टेदार, अधिभोगी या भारसाधक व्यक्ति होते हुए ऐसे परिसर या उसके किसी भाग को वेश्यागृह के रूप में प्रयुक्त करेगा या जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति को प्रयुक्त करने देगा ; अथवा
(ख) किसी परिसर का स्वामी, पट्टाकर्ता या भूस्वामी अथवा ऐसे स्वामी, पट्टाकर्ता या भूस्वामी का अभिकर्ता होते हुए उसे या उसके किसी भाग को यह जानते हुए पट्टे पर देता है कि उसका या उसके किसी भाग का वेश्यागृह के रूप में प्रयोग किया जाना आशयित है अथवा ऐसे परिसर या उसके किसी भाग के वेश्यागृह के रूप में प्रयोग का जानबूझकर पक्षकार होगा,
प्रथम दोषसिद्धि पर कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से, जो दो हजार रुपए तक का हो सकेगा तथा द्वितीय या पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि की दशा में कठोर कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी,दण्डनीय होगा ।
[(2क) उपधारा (2) के प्रयोजनों के लिए, जब तक कि प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उपधारणा की जाएगी कि उस उपधारा के खंड (क) या खंड (ख) में निर्दिष्ट कोई व्यक्ति, यथास्थिति, परिसर या उसके किसी भाग को वेश्यागृह के रूप में उपयोग किए जाने के लिए जानबूझकर अनुज्ञात कर रहा है या उसे यह जानकारी है कि परिसर या उसके किसी भाग का वेश्यागृह के रूप में उपयोग किया जा रहा है, यदि,-
(क) किसी ऐसे समाचारपत्र में, जिसका उस क्षेत्र में परिचालन है जिसमें ऐसा व्यक्ति निवास करता है, इस आशय की रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है कि इस अधिनियम के अधीन की गई तलाशी के परिणामस्वरूप यह पाया गया है कि परिसर या उसके किसी भाग का वेश्यावृत्ति के लिए उपयोग किया जा रहा है ; अथवा
(ख) खंड (क) में निर्दिष्ट तलाशी के दौरान पाई गई सभी वस्तुओं की सूची की एक प्रति ऐसे व्यक्ति को दे दी जाती है ।]
(3) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी उपधारा (2) के खण्ड (क) या खण्ड (ख) में निर्दिष्ट किसी व्यक्ति के किसी परिसर या उसके किसी भाग के सम्बन्ध में उस उपधारा के अधीन किसी अपराध के लिए सिद्धदोष होने पर, कोई ऐसा पट्टा या करार जिसके अधीन ऐसा परिसर पट्टे पर दिया गया है या उस अपराध के किए जाने के समय धारित है या अधिभोगाधीन है, उक्त दोषसिद्धि की तारीख से शून्य और अप्रवर्तनशील हो जाएगा ।
3. Punishment for keeping a brothel or allowing premises to be used as a brothel.—
(1) Any person who keeps or manages, or acts or assists in the keeping or management of, a brothel shall be punishable on first conviction with rigorous imprisonment for a term of not less than one year and not more than three years and also with fine which may extend to two thousand rupees and in the event of a second or subsequent conviction, with rigorous imprisonment for a term of not less than two years and not more than five years and also with fine which may extend to two thousand rupees.
(2) Any person who—
(a) being the tenant, lessee, occupier or person in charge of any premises, uses, or knowingly allows any other person to use, such premises or any part thereof as a brothel, or अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 3
(b) being the owner, lessor or landlord of any premises or the agent of such owner, lessor or landlord, lets the same or any part thereof with the knowledge that the same or any part thereof is intended to be used as a brothel, or is wilfully a party to the use of such premises or any part thereof as a brothel, shall be punishable on first conviction with imprisonment for a term which may extend to two years and with fine which may extend to two thousand rupees and in the event of a second or subsequent conviction, with rigorous imprisonment for a term which may extend to five years and also with fine.
19 [(2A) For the purposes of sub-section (2), it shall be presumed until the contrary is proved, that any person referred to in clause (a) or clause (b) of that sub-section, is knowingly allowing the premises or any part thereof to be used as a brothel or, as the case may be, has knowledge that the premises or any part thereof are being used as a brothel, if,— अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 3
(a) a report is published in a newspaper having circulation in the area in which such person resides to the effect that the premises or any part thereof have been found to be used for prostitution as a result of a search made under this Act; or
(b) a copy of the list of all things found during the search referred to in clause (a) is given to such person.] अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 3
(3) Notwithstanding anything contained in any other law for the time being in force, on conviction of any person referred to in clause (a) or clause (b) of sub-section (2) of any offence under that sub-section in respect of any premises or any part thereof, any lease or agreement under which such premises have been leased out or are held or occupied at the time of the commission of the offence, shall become void and inoperative with effect from the date of the said conviction.