अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 11 – तत्पूर्व सिद्धदोष अपराधियों के पते की अधिसूचना-
(1) जब कोई व्यक्ति जो-
(क) इस अधिनियम के अधीन दंडनीय या भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 363, धारा 365, धारा 366, धारा 366क, धारा 366ख, धारा 367, धारा 368, धारा 370, धारा 371, धारा 372, या धारा 373 के अधीन दो वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए कारावास से दंडनीय किसी अपराध का भारत में किसी न्यायालय द्वारा सिद्धदोष किया जाता है, या
(ख) किसी अन्य देश के न्यायालय या अधिकरण द्वारा ऐसे अपराध से सिद्धदोष किया जाता है जो यदि भारत में किया जाता तो इस अधिनियम के अधीन या उपरोक्त धाराओं में से किसी के अधीन उसी अवधि के लिए कारावास से दंडनीय होता,
कारागार से निर्मुक्ति के पश्चात् पांच वर्ष की कालावधि के अन्दर इस अधिनियम के अधीन या उन धाराओं में से किसी के अधीन दो वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए कारावास से दंडनीय किसी अपराध के लिए किसी न्यायालय द्वारा पुनः सिद्धदोष किया जाता है तब ऐसा न्यायालय यदि ठीक समझता है तो, ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध कारावास का दंड पारित करने के समय यह आदेश भी दे सकेगा कि निर्मुक्ति के बाद उसका निवास स्थान और ऐसे निवास स्थान की कोई तब्दीली या उससे अनुपस्थित धारा 23 के अधीन बनाए गए नियमों के अनुसार, उस दंडादेश की समाप्ति की तारीख से पांच वर्ष से अनधिक की कालावधि तक अधिसूचित की जाए ।
(2) यदि ऐसी दोषसिद्धि अपील पर या अन्यथा अपास्त कर दी जाती है तो ऐसा आदेश शून्य हो जाएगा ।
(3) इस धारा के अधीन आदेश अपील न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा भी, जब वह पुनरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग कर रहा हो, दिया जा सकेगा ।
(4) उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी नियम के भंग से आरोपित किसी व्यक्ति का विचारण उस जिले में जिसमें उसके निवास-स्थान के रूप में अंतिम बार अधिसूचित स्थान स्थित है, सक्षम अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट द्वारा किया जा सकेगा ।
11 Immoral Traffic Act- Notification of address of previously convicted offenders.
(1) When any person having been convicted—
(a) by a court in India of an offence punishable under this Act or punishable under section 363, section 365, section 366, section 366A, section 366B, section 367, section 368, section 370, section 371, section 372 or section 373 of the Indian Penal Code (45 of 1860), with imprisonment for a term of two years or upwards; or
(b) by a court or tribunal in any other country of an offence which would, if committed in India, have been punishable under this Act or under any of the aforesaid sections with imprisonment for a like term,
is within a period of five years after release from prison, again convicted of any offence punishable under this Act or under any of those sections with imprisonment for a term of two years or upwards by a court, such court may, if it thinks fit, at the time of passing the sentence of imprisonment on such person, also order that his residence, and any change of, or absence from such residence after release be notified according to rules made under section 23 for a period not exceeding five years from the date of expiration of that sentence. अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 11
(2) If such conviction is set aside on appeal or otherwise, such order shall become void. अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 11
(3) An order under this section may also be made by an Appellate Court or by the High Court when exercising its powers of revision.
(4) Any person charged with a breach of any rule referred to in sub-section (1) may be tried by a Magistrate of competent jurisdiction in the district in which the place last notified, as his residence is situated. अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 11