अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 18 – वेश्यागृह को बन्द करना और परिसरों से अपराधियों की बेदखली-
(1) कोई मजिस्ट्रेट पुलिस से या अन्यथा यह इत्तिला मिलने पर कि धारा 7 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी सार्वजिनिक स्थान से [दो सौ मीटर] की दूरी के अन्दर किसी घर, कमरे, स्थान या उसके किसी प्रभाग को किसी व्यक्ति द्वारा वेश्यागृह के रूप में चलाया जा रहा है या प्रयुक्त किया जा रहा है अथवा वेश्याओं द्वारा अपने व्यापार चलाने के लिए प्रयुक्त किया जा रहा है ऐसे घर, कमरे, स्थान या प्रभाग के स्वामी, पट्टाकर्ता या भूस्वामी अथवा स्वामी, पट्टाकर्ता या भूस्वामी के अभिकर्ता को या ऐसे घर, कमरे, स्थान या प्रभाग के पट्टेदार, अधिभोगी या किसी अन्य भारसाधक व्यक्ति को सूचना दे सकेगा कि वह सूचना की प्राप्ति के सात दिन के अन्दर कारण दर्शित करे कि उसे उसके अनुचित उपयोग के कारण कुर्क क्यों न कर दिया जाए ; और यदि सम्बन्धित व्यक्ति को सुनने के पश्चात् मजिस्ट्रेट का समाधान हो जाता है कि उस, घर, कमरे, स्थान या प्रभाग का प्रयोग वेश्यागृह के रूप में या वेश्यावृत्ति चलाने के लिए किया जा रहा है तो वह मजिस्ट्रेट ऐसा आदेश पारित कर सकेगा-
(क) जिसमें यह निदेश होगा कि उस आदेश को पारित करने के सात दिन के अन्दर उस घर, कमरे, स्थान या प्रभाग से अधिभोगी को बेदखल कर दिया जाए ; और
(ख) जिसमें यह निदेश होगा कि उस आदेश के पारित करने के ठीक पश्चात् के एक वर्ष, की कालावधि के दौरान [या किसी ऐसे मामले में जहां धारा 15 के अधीन किसी तलाशी के दौरान कोई बालक या अवयस्क उस घर, कमरे, स्थान या प्रभाग में पाया गया है, वहां तीन वर्ष की कालावधि के दौरान] उसे पट्टे पर देने से पूर्व स्वामी, पट्टाकर्ता या भूस्वामी अथवा स्वामी, पट्टाकर्ता या भूस्वामी का अभिकर्ता मजिस्ट्रेट का पूर्व आनुमोदन अभिप्राप्त करेगा :
परन्तु यदि मजिस्ट्रेट को पता चलता है कि स्वामी, पट्टाकर्ता या भूस्वामी तथा स्वामी, पट्टाकर्ता या भूस्वामी का अभिकर्ता भी उस घर, कमरे, स्थान या प्रभाग के अनुचित उपयोग से अनभिज्ञ था तो वह उसे स्वामी, पट्टाकर्ता या भूस्वामी अथवा स्वामी, पट्टाकर्ता या भूस्वामी के अभिकर्ता को इस निदेश के साथ प्रत्यावर्तित करा सकेगा कि उस घर, कमरे, स्थान या प्रभाग को उस व्यक्ति को या उसके फायदे के लिए जो उसमें अनुचित उपयोग करने दे रहा था पट्टे पर नहीं दिया जाएगा या अन्यथा उसके कब्जे में नहीं दिया जाएगा ।
(2) धारा 3 या धारा 7 के अधीन किसी अपराध से किसी व्यक्ति को सिद्धदोष करने वाला न्यायालय उपधारा (1) के अधीन आदेश, उस उपधारा में यथा अपेक्षित कारण दर्शित करने के लिए ऐसे व्यक्ति को अतिरिक्त सूचना दिए बिना, पारित कर सकेगा ।
(3) उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन मजिस्ट्रेट या न्यायालय द्वारा पारित आदेश अपील के अध्यधीन नहीं होंगे और किसी सिविल या दाण्डिक न्यायालय के आदेश से रोके या अपास्त नहीं किए जाएंगे तथा उक्त आदेश [यथास्थिति, एक वर्ष या तीन वर्ष की समाप्तिट के पश्चात् विधिमान्य न रहेंगे :
परन्तु जहां धारा 3 या धारा 7 के अधीन कोई दोषसिद्धि इस आधार पर अपील पर अपास्त कर दी जाती है कि ऐसा घर, कमरा, स्थान या उसका कोई प्रभाग वेश्यागृह के रूप में चलाया या प्रयुक्त नहीं किया जा रहा है अथवा वेश्याओं द्वारा अपने व्यापार चलाने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा रहा है वहां उपधारा (1) के अधीन विचारण न्यायालय द्वारा पारित कोई आदेश भी अपास्त कर दिया जाएगा ।
(4) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, जब कोई मजिस्ट्रेट उपधारा (1) के अधीन कोई आदेश पारित करता है अथवा कोई न्यायालय उपधारा (2) के अधीन कोई आदेश पारित करता है तब कोई ऐसा पट्टा या करार जिसके अधीन वह घर, कमरे, स्थान या प्रभाग उस समय अधिभोग में है, शून्य और अप्रवर्तनशील हो जाएगा ।
(5) जब कोई स्वामी, पट्टाकर्ता या भूस्वामी अथवा ऐसे स्वामी, पट्टाकर्ता या भूस्वामी का अभिकर्ता उपधारा (1) के खण्ड (ख) के अधीन दिए गए किसी निदेश का पालन करने में असफल होगा तब वह जुर्माने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा, अथवा जब वह उस उपधारा के परन्तुक के अधीन आदेश का पालन करने में असफल होगा तब यह समझा जाएगा कि उसने, यथास्थिति, धारा 3 की उपधारा (2) के खण्ड (ख) या धारा 7 की उपधारा (2) के खण्ड (ग) के अधीन अपराध किया है और वह तद्नुकूल दण्डित किया जाएगा ।
18 Immoral Traffic Act – Closure of brothel and eviction of offenders from the premises–
(1) A magistrate may, on receipt of information from the police or otherwise, that any house, room, place or any portion thereof within a distance of 65 two hundred metres of any public place referred to in sub-section (1) of section 7, is being run or used as a brothel by any person or is being used by prostitutes for carrying on their trade, issue notice on the owner, lessor or landlord of such house, room, place or portion or the agent of the owner, lessor or landlord or on the tenant, lessee, occupier of, or any other person incharge of such house, room, place, or portion, to show cause within seven days of the receipt of the notice why the same should not be attached for improper user thereof; and if, after hearing the person concerned, the magistrate is satisfied that the house, room, place or portion is being used as a brothel or for carrying on prostitution, then the magistrate may pass orders—
(a) directing eviction of the occupier within seven days of the passing of the order from the house, room, place or portion;
(b) directing that before letting it out during the period of one year 66 or in a case where a child or minor has been found in such house, room, place or portion during a search under section 15, during the period of three years, immediately after the passing of the order, the owner, lessor or landlord or the agent of the owner, lessor or landlord shall obtain the previous approval of the magistrate:
Provided that, if the magistrate finds that the owner, lessor or landlord as well as the agent of the owner, lessor or landlord, was innocent of the improper user of the house, room, place or portion, he may cause the same to be restored to the owner, lessor or landlord, or the agent of the owner, lessor or landlord, with a direction that the house, room, place or portion shall not be leased out, or otherwise given possession of, to or for the benefit of the person who was allowing the improper user therein. अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 18
(2) A court convicting a person of any offence under section 3 or section 7 may pass order under sub-section (1) without further notice to such person to show cause as required in that sub-section.
(3) Orders passed by the magistrate or court under sub-section (1) or sub-section (2) shall not be subject to appeal and shall not be stayed or set aside by the order of any court, civil or criminal and the said orders shall cease to have validity after the 67 expiry of one year or three years, as the case may be: अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 18
Provided that where a conviction under section 3 or section 7 is set aside on appeal on the ground that such house, room, place or any portion thereof is not being run or used as a brothel or is not being used by prostitutes for carrying on their trade, any order passed by the trial court under sub-section (1) shall also be set aside.
(4) Notwithstanding anything contained in any other law for the time being in force, when a magistrate passes an order under sub-section (1), or a court passes an order under sub-section (2), any lease or agreement under which the house, room, place or portion is occupied at the time, shall become void and inoperative. अनैतिक व्यापार अधिनियम की धारा 18
(5) When an owner, lessor or landlord, or the agent of such owner, lessor or landlord fails to comply with a direction given under clause (b) of sub-section (1), he shall be punishable with fine which may extend to five hundred rupees or when he fails to comply with a direction under the proviso to that sub-section, he shall be deemed to have committed an offence under clause (b) of sub-section (2) of section 3 or clause (c) of sub-section (2) of section 7, as the case may be, and punished accordingly.
65. Subs. by Act 46 of 1978, s. 13, for “two hundred yards” (w.e.f. 2-10-1979).
66. Ins. by Act 44 of 1986, s. 20 (w.e.f. 26-1-1987).
67. Subs. by s. 20, ibid., for “expiry of one year” (w.e.f. 26-1-1987).