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धारा 13 बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम | 13 Prohibition of Child Marriage Act in hindi

धारा 13 बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम – बाल-विवाहों को प्रतिषिद्ध करने वाला व्यादेश जारी करने की न्यायालय की शक्ति-

(1) इस अधिनियम में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, यदि प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट का बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी के आवेदन पर, या किसी व्यक्ति से परिवाद के माध्यम से या अन्यथा सूचना प्राप्त होने पर यह समाधान हो जाता है कि इस अधिनियम के उल्लंघन में बाल-विवाह तय किया गया है या उसका अनुष्ठान किया जाने वाला है, तो ऐसा मजिस्ट्रेट ऐसे किसी व्यक्ति के, जिसके अंतर्गत किसी संगठन का सदस्य या कोई व्यक्ति संगम भी है, विरुद्ध ऐसे विवाह को प्रतिषिद्ध करने वाला व्यादेश निकालेगा ।

(2) उपधारा (1) के अधीन कोई परिवाद, बाल-विवाह या बाल-विवाहों का अनुष्ठापन होने की संभाव्यता से संबंधित व्यक्तिगत जानकारी या विश्वास का कारण रखने वाले किसी व्यक्ति द्वारा और युक्तियुक्त जानकारी रखने वाले किसी गैर-सरकारी संगठन द्वारा, किया जा सकेगा ।

(3) प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट का न्यायालय किसी विश्वसनीय रिपोर्ट या सूचना के आधार पर स्वप्रेरणा से भी संज्ञान कर सकेगा ।

(4) अक्षय तृतीया जैसे कतिपय दिनों पर, सामूहिक बाल-विवाहों के अनुष्ठापन का निवारण करने के प्रयोजन के लिए, जिला मजिस्ट्रेट उन सभी शक्तियों के साथ, जो इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी को प्रदत्त हैं, बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी समझा जाएगा ।

(5) जिला मजिस्ट्रेट को बाल-विवाहों के अनुष्ठापन को रोकने या उनका निवारण करने की अतिरिक्त शक्तियां भी होंगी और इस प्रयोजन के लिए, वह सभी समुचित उपाय कर सकेगा और अपेक्षित न्यूनतम बल का प्रयोग कर सकेगा ।

(6) उपधारा (1) के अधीन कोई व्यादेश किसी व्यक्ति या किसी संगठन के सदस्य या व्यक्ति संगम के विरुद्ध तब तक नहीं निकाला जाएगा जब तक कि न्यायालय ने, यथास्थिति, ऐसे व्यक्ति, संगठन के सदस्यों या व्यक्ति संगम को पूर्व सूचना न दे दी हो और उसे/या उनको व्यादेश निकाले जाने के विरुद्ध हेतुक दर्शित करने का अवसर न दे दिया हो:

परंतु किसी अत्यावश्यकता की दशा में, न्यायालय को, इस धारा के अधीन कोई सूचना दिए बिना, अंतरिम व्यादेश निकालने की शक्ति होगी ।

(7) उपधारा (1) के अधीन जारी किए गए किसी व्यादेश की, ऐसे पक्षकार को, जिसके विरुद्ध व्यादेश जारी किया गया था, सूचना देने और सुनने के पश्चात् पुष्टि की जा सकेगी या उसे निष्प्रभाव किया जा सकेगा ।

(8) न्यायालय, उपधारा (1) के अधीन जारी किए गए किसी व्यादेश को या तो स्वप्रेरणा पर या किसी व्यथित व्यक्ति के आवेदन पर विखण्डित या परिवर्तित कर सकेगा ।

(9) जहां कोई आवेदन उपधारा (1) के अधीन प्राप्त होता है, वहां न्यायालय आवेदक को, या तो स्वयं या अधिवक्ता द्वारा, अपने समक्ष उपस्थित होने का शीघ्र अवसर देगा, और यदि न्यायालय आवेदक को सुनने के पश्चात् आवेदन को पूर्णतः या भागतः नामंजूर करता है तो वह ऐसा करने के अपने कारणों को लेखबद्ध करेगा ।

(10) जो कोई, यह जानते हुए कि उसके विरुद्ध उपधारा (1) के अधीन व्यादेश जारी किया गया है, उस व्यादेश की अवज्ञा करेगा, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी अथवा जुर्माने से, जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दंडनीय होगा:

परंतु कोई स्त्री कारावास से दंडनीय नहीं होगी ।


13 Prohibition of Child Marriage Act – Power of court to issue injunction prohibiting child marriages-

(1) Notwithstanding anything to the contrary contained in this Act, if, on an application of the Child Marriage Prohibition Officer or on receipt of information through a complaint or otherwise from any person, a Judicial Magistrate of the first class or a Metropolitan Magistrate is satisfied that a child marriage in contravention of this Act has been arranged or is about to be solemnised, such Magistrate shall issue an injunction against any person including a member of an organisation or an association of persons prohibiting such marriage.

(2) A complaint under sub-section (1) may be made by any person having personal knowledge or reason to believe, and a non-governmental organisation having reasonable information, relating to the likelihood of taking place of solemnisation of a child marriage or child marriages.

(3) The Court of the Judicial Magistrate of the first class or the Metropolitan Magistrate may also take suomotu cognizance on the basis of any reliable report or information.

(4) For the purposes of preventing solemnisation of mass child marriages on certain days such as AkshayaTrutiya, the District Magistrate shall be deemed to be the Child Marriage Prohibition Officer with all powers as are conferred on a Child Marriage Prohibition Officer by or under this Act.

(5) The District Magistrate shall also have additional powers to stop or prevent solemnisation of child marriages and for this purpose, he may take all appropriate measures and use the minimum force required.

(6) No injunction under sub-section (1) shall be issued against any person or member of any organisation or association of persons unless the Court has previously given notice to such person, members of the organisation or association of persons, as the case may be, and has offered him or them an opportunity to show cause against the issue of the injunction: धारा 13 बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम

Provided that in the case of any urgency, the Court shall have the power to issue an interim injunction without giving any notice under this section.

(7) An injunction issued under sub-section (1) may be confirmed or vacated after giving notice and hearing the party against whom the injunction was issued.

(8) The Court may either on its own motion or on the application of any person aggrieved, rescind or alter an injunction issued under sub-section (1).

(9) Where an application is received under sub-section (1), the Court shall afford the applicant an early opportunity of appearing before it either in person or by an advocate and if the Court, after hearing the applicant rejects the application wholly or in part, it shall record in writing its reasons for so doing. धारा 13 बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम

(10) Whoever knowing that an injunction has been issued under sub-section (1) against him disobeys such injunction shall be punishable with imprisonment of either description for a term which may extend to two years or with fine which may extend to one lakh rupees or with both: धारा 13 बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम

Provided that no woman shall be punishable with imprisonment.

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