सीआरपीसी की धारा 97 – सदोष परिरुद्ध व्यक्तियों के लिए तलाशी —
यदि किसी जिला मजिस्ट्रेट, उपखण्ड मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट को यह विश्वास करने का कारण है कि कोई व्यक्ति ऐसी परिस्थितियों में परिरुद्ध है, जिनमें वह परिरोध अपराध की कोटि में आता है, तो वह तलाशी वारण्ट जारी कर सकता है और वह व्यक्ति, जिसको ऐसा वारण्ट निदिष्ट किया जाता है, ऐसे परिरुद्ध व्यक्ति के लिए तलाशी ले सकता है, और ऐसी तलाशी तद्नुसार ही ली जाएगी और यदि वह व्यक्ति मिल जाए, तो उसे तुरन्त मजिस्ट्रेट के समक्ष ले जाया जाएगा, जो ऐसा आदेश करेगा जैसा उस मामले की परिस्थितियों में उचित प्रतीत हो।
97 CrPC in hindi – Search for persons wrongfully confined —
If any District Magistrate, Sub-divisional Magistrate or Magistrate of the first class has reason to believe that any person is confined under such circumstances that the confinement amounts to an offence, he may issue a search-warrant, and the person to whom such warrant is directed may search for the person so confined; and such search shall be made in accordance therewith, and the person, if found, shall be immediately taken before a Magistrate, who shall make such order as in the circumstances of the case seems proper.