Case Citation: Anil Kumar Samadhiya v. State of Madhya Pradesh & Others, W.P. No. 14226/2022, निर्णय दिनांक: 22 जुलाई 2025, माननीय न्यायमूर्ति अशिष श्रोटी
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर (PTI) भी शिक्षक की परिभाषा में आते हैं और उन्हें भी तीसरे क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ मिलना चाहिए, जैसा कि राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिनांक 25.10.2017 को जारी परिपत्र में उल्लेखित है।
यह आदेश अनिल कुमार समाधिया द्वारा दायर याचिका सहित अन्य संबंधित मामलों में पारित किया गया, जिनमें याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त पीटीआई थे। कोर्ट ने यह भी पाया कि याचिकाकर्ताओं को पहले और दूसरे क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ दिया गया था, लेकिन तीसरे वेतनमान से वंचित किया गया जो कि अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है।
पृष्ठभूमि:
याचिकाकर्ता फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर (PTI) के पद पर कार्यरत थे और नियमित सेवा के पश्चात सेवानिवृत्त हो चुके थे। उन्हें पहले और दूसरे क्रमोन्नति वेतनमान (12 और 24 वर्षों की सेवा पर) प्रदान किए गए थे। परंतु शासन के दिनांक 25.10.2017 के परिपत्र के अनुसार, तीसरा क्रमोन्नति वेतनमान केवल “शिक्षकों एवं सहायक शिक्षकों” को ही दिया जाना बताया गया था, जिससे PTI को बाहर रखा गया।
विस्तृत विधिक विश्लेषण
मूल विवाद (Core Legal Issue):
क्या शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षक (Physical Training Instructor – PTI) को शिक्षक (Teacher) माना जा सकता है, और क्या वे तीसरे क्रमोन्नति वेतनमान (Third Kramonnati Pay Scale) के लाभ के अधिकारी हैं, जैसा कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा दिनांक 25.10.2017 को जारी परिपत्र में वर्णित है?
प्रासंगिक नियम व परिपत्र:
- क्रमोन्नति योजना (Kramonnati Scheme), दिनांक 19.04.1999
- सरकारी कर्मचारियों को क्रमशः 12 व 24 वर्षों की सेवा पर दो उच्चतर वेतनमान का लाभ।
- तीसरा क्रमोन्नति वेतनमान का परिपत्र, दिनांक 25.10.2017
- इसमें 30 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर Assistant Teacher और Teacher को तीसरा वेतनमान देने का प्रावधान था।
- मध्यप्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम, 1990 (M.P. Revision of Pay Rules, 1990)
- इसमें “Teacher” की परिभाषा में संगीत शिक्षक, खेल शिक्षक जैसे विशेषज्ञों को शामिल माना गया है।
याचिकाकर्ता का तर्क:
- याचिकाकर्ता को पहले दो क्रमोन्नति वेतनमान “शिक्षक” मानकर दिए गए थे।
- PTI भी विद्यार्थियों को शिक्षण गतिविधियों जैसे खेलों के नियम, अनुशासन, खेल कौशल आदि सिखाते हैं – जो शिक्षण का कार्य है।
- कुछ जिलों में PTI को यह तीसरा लाभ दिया गया है — इसलिए भेदभावपूर्ण असमानता है।
- यह असमान व्यवहार अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
राज्य सरकार का पक्ष:
- दिनांक 25.10.2017 के परिपत्र के अनुसार लाभ केवल “Teacher/Assistant Teacher” को ही सीमित है।
- PTI को गैर-शिक्षण (Non-Teaching) स्टाफ माना गया है।
- याचिका में विलंब (delay and laches) है, क्योंकि याचिकाकर्ता 2015 में सेवानिवृत्त हुए और याचिका 2022 में दायर की गई।
न्यायालय की प्रमुख टिप्पणियाँ:
- पूर्व निर्णयों का हवाला:
- State of M.P. v. Mala Banerjee, (2015) 7 SCC 698:
सुप्रीम कोर्ट ने “कक्षा-शिक्षक” और अन्य सरकारी कर्मचारियों में वेतनमान आधारित भेदभाव को असंवैधानिक बताया। - P.S. Ramamohana Rao v. A.P. Agricultural University, (1997) 8 SCC 350
- P.C. Modi v. Jawaharlal Nehru Vishwavidyalaya, AIR 2024 SC 619:
दोनों मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि PTI/खेल अधिकारी भी शिक्षक माने जाते हैं, भले ही वे कक्षा के बाहर शिक्षण करें।
- State of M.P. v. Mala Banerjee, (2015) 7 SCC 698:
- PTI की भूमिका:
- PTI केवल खेल कराने वाले व्यक्ति नहीं, बल्कि विधिवत शिक्षण कार्य करने वाले अधिकारी हैं।
- उन्हें भी नियम, अभ्यास, तकनीकें सिखाने का कार्य करना होता है।
- क्रमोन्नति की मंशा (Objective of Kramonnati):
- इसका उद्देश्य कर्मचारियों को प्रोन्नति के अभाव में वेतनवृद्धि देना है ताकि वे ठहराव (stagnation) का शिकार न हों।
- जब पहले दो वेतनमान PTI को दिए गए, तो तीसरे से वंचित करना विरोधाभासी और अनुचित है।
- विलंब का उत्तर:
- चूंकि परिपत्र 2017 में जारी हुआ, और याचिकाकर्ता ने पहले आवेदन किया व जवाब की प्रतीक्षा की — अतः न्यायालय ने देरी को स्वीकार्य माना।
न्यायालय का निष्कर्ष (Conclusion):
- याचिकाकर्ता को तीसरे क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ दिया जाना चाहिए।
- सरकार का आदेश दिनांक 02.03.2022 रद्द (quashed) किया गया।
- सरकार को याचिकाकर्ता को परिपत्र दिनांक 25.10.2017 का लाभ प्रदान करने का निर्देश।
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