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Company Law – प्राइवेट कंपनी एवं पब्लिक कंपनी मे अंतर | Difference between Private Company and  Public Company in hindi

प्राइवेट कम्पनी की परिभाषा (Private company)

कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2 (68) मे प्राइवेट कंपनी की परिभाषा दी गई है। इसके अनुसार,”प्राइवेट कंपनी से ऐसी कंपनियां अभिप्रेत है जो विहित की जाए और जो अपने अनुच्छेदों द्वारा-

1) अपने अंशो के अंतरण के अधिकार को निर्बंधित करती है;

2) एक व्यक्ति कंपनी की दशा के सिवाय अपने सदस्यों की संख्या को 200 तक सीमित करती है;

परंतु जहां दो या अधिक व्यक्ति किसी कंपनी के एक या अधिक अंशों को संयुक्त रूप से धारण करते हो, वहां इस खंड के प्रयोजनों के लिए उन्हें एकल सदस्य समझ आ जाएगा –

परन्तु,

  • ऐसे व्यक्ति जो कंपनी के नियोजन में है और
  • ऐसे व्यक्ति जो पूर्व में कंपनी के नियोजन में रहते हुए इस नियोजन के समय कंपनी के सदस्य थे और नियोजन में न रहने के पश्चात सदस्य बने हुए हैं, सदस्यों की संख्या में सम्मिलित नहीं किए जाएंगे;
  • कंपनी की किन्हीं प्रतिभूतियों के लिए अभिदाय करने के लिए जनता को आमंत्रित करने से प्रतिसिद्ध करती है।”

पब्लिक कंपनी की परिभाषा (Public company)

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 (71) में पब्लिक कंपनी की परिभाषा दी गई है। इसके अनुसार “पब्लिक कंपनी से ऐसी कंपनी अभिप्रेत है

  • जो प्राइवेट कंपनी नहीं है।
  • जिसकी ऐसी पूंजी है, जो विहित की जाएं:

परंतु ऐसी कंपनी जो ऐसी किसी कंपनी की समनुषंगी  है, जो प्राइवेट कंपनी नहीं है, इस बात के बावजूद भी कि ऐसी समनुषंगी कंपनी अपने अनुच्छेदों में प्राइवेट कंपनी बनी रहती है, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए पब्लिक कंपनी समझी जाएगी।

प्राइवेट कंपनी एवं पब्लिक कंपनी में अंतर

 

प्राइवेट कंपनी ( Private company)

पब्लिक कंपनी (Public company)

1. प्राइवेट कंपनी के गठन के लिए न्यूनतम 2 सदस्यों का होना आवश्यक है। पब्लिक कंपनी के गठन के लिए न्यूनतम 7 सदस्यों का होना आवश्यक है।
2. प्राइवेट कंपनी के सदस्यों की अधिकतम संख्या 200 तक हो सकती है। पब्लिक कंपनी के लिए सदस्यों की अधिकतम संख्या निर्धारित नहीं है।
3. प्राइवेट कंपनी अपने संगम अनुच्छेदों द्वारा अंशों के अंतरण पर रोक लगा सकती है। पब्लिक कंपनी के अंशों के अंतरण पर रोक नहीं होती।
4. प्राइवेट कंपनी द्वारा अंशों के क्रय के लिए जनता को आमंत्रित नहीं किया जा सकता। पब्लिक कंपनी अपने अंश क्रय करने के लिए जनता को आमंत्रित कर सकती है।
5. प्राइवेट कंपनी में केवल दो निदेशक हो सकते हैं। पब्लिक कंपनी में कम से कम तीन निदेशक होना आवश्यक है।
6. प्राइवेट कंपनी के लिए सांविधिक बैठक बुलाए जाने की कोई पाबंदी नहीं है। पब्लिक कंपनी के लिए कारोबार प्रारंभ करने की तारीख से 1 माह बाद तथा 6 माह के भीतर सांविधिक बैठक बुलाया जाना आवश्यक है।
7. प्राइवेट कंपनी द्वारा रजिस्ट्रार की अनुमति के बिना अपना कारोबार प्रारंभ किया जा सकता है। पब्लिक कंपनी द्वारा रजिस्ट्रार की अनुमति के बिना अपना कारोबार प्रारंभ नहीं किया जा सकता है।
8. प्राइवेट कंपनी के निदेशक ऐसी बैठकों में भाग ले सकते हैं जिनमें उनके हितों से संबंधित प्रस्तावों पर निर्णय लिया जाना हो। पब्लिक कंपनी में निदेशक ऐसी बैठकों में भाग नहीं ले सकते हैं जिसमें उनके हितों से संबंधित प्रस्तावों पर निर्णय लिया जाना हो।
9. प्राइवेट कंपनी द्वारा जनता को अंश एवं ऋण पत्र जारी नहीं किए जा सकते हैं। पब्लिक कंपनी द्वारा जनता को अंश एवं ऋण पत्र (डिवेंचर) जारी किए जा सकते हैं।
10. प्राइवेट कंपनी के सदस्यों की संख्या दो से कम हो जाने पर न्यायालय द्वारा उसका परि- समापन कराया जा सकता है। पब्लिक कंपनी में उसके सदस्यों की संख्या 7 से कम हो जाने पर न्यायालय द्वारा उसका परिसमापन कराया जा सकता है।
11. प्राइवेट कंपनी द्वारा अपना प्रोस्पेक्टस रजिस्ट्रार को प्रेषित किए बिना कारोबार चालू किया जा सकता है। पब्लिक कंपनी द्वारा अपना प्रोस्पैक्टस रजिस्ट्रार को प्रेषित किए बिना कारोबार चालू नहीं किया जा सकता है।
12. प्राइवेट कंपनी के लिए अपने नाम के आगे “प्राइवेट लिमिटेड” शब्द जोड़ना आवश्यक है। पब्लिक कंपनी के लिए अपने नाम के आगे “लिमिटेड” शब्द जोड़ना आवश्यक है।
13. प्राइवेट कंपनियों पर सरकारी नियंत्रण कम रहता है। पब्लिक कंपनियों पर सरकारी नियंत्रण अपेक्षाकृत अधिक रहता है।
14. प्राइवेट कंपनी में निदेशक पद स्वीकार करने के लिए संगम ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना आवश्यक नहीं है। पब्लिक कंपनी में निदेशक पद स्वीकार करने के लिए संगम ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया जाना आवश्यक है।
15. कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 (68) में प्राइवेट कंपनी की परिभाषा दी गई है। कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 (71) में पब्लिक कंपनी की परिभाषा दी गई है।

 

प्राइवेट कंपनी का पब्लिक कंपनी में परिवर्तन:-

कोई भी प्राइवेट कंपनी, पब्लिक कंपनी में परिवर्तित हो सकेगी, यदि —

  1. यदि इस आशय का विशेष संकल्प पारित कर दिया जाए,
  2. संगम अनुच्छेदों में तदनुसार परिवर्तन कर दिया जाए।
  3. उसकी सदस्य संख्या 288 से अधिक हो जाए।
  4. उसके द्वारा अंशो अथवा ऋण पत्रों के क्रय हेतु जनता से प्रस्ताव आमंत्रित कर लिया जाए; तथा
  5. उसको समादत्त अंश पूंजी (paid up share capital) निर्धारित सीमा से अधिक हो जाए, आदि।