तथ्य की उपधारणा तथा विधि की उपधारणा में अंतर
तथ्य की उपधारणा क्या है ? :
तथ्य की उपधारणायें वह अनुमान है जो प्रकृति के व्यवहार से तथा मानव अनुभव के आधार पर स्वाभाविक रूप से निकाला जाता है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के उदाहरण तथ्य की उपधारणाओं के उदाहरण हैं। धाराएं 86, 87, 88 तथा 90 तथ्य की उपधारणाओं के बारे में है।
विधि की उपधारणा क्या है? :-
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 4 के खंड 2 और खंड 3 ऐसी उपधारणाओं के बारे में है जो न्यायालय किसी विधि के उपबंध के अनुसार मानने के लिए वाध्य है। ऐसी उपधारणा के बारे में न्यायालय को कोई विवेकाधिकार नहीं होता। उपधारणा करने के लिए न्यायालय बाध्य होता है।
तथ्य की उपधारणा तथा विधि की उपधारणा में अंतर:-
तथ्य की उपधारणा( Presumption of fact) | विधि की उपधारणा(Presumption of law) |
1. तथ्य की उपधारणा का आधार तार्किक है। | 1. विधि की उपधारणा का आधार विधि का प्रावधान है। |
2. तथ्य की उपधारणा प्राकृतिक नियमों मानवीय प्रथाओं के आधार पर निकाली जाती है। | 2. विधि की उपधारणा न्यायिक नियमों के स्तर पर प्रतिष्ठित है तथा विधि का भाग होती है। |
3. तथ्य की उपधारणा सदैव खंडनीय होती है। | 3. विधि की उपधारणा खंडन के अभाव में निश्चायक होती है। |
4. तथ्य की उपधारणा चाहे कितनी भी सशक्त हो न्यायालय उसकी उपेक्षा कर सकता है। | 4. विधि की उपधारणाओं की उपेक्षा न्यायालय नहीं कर सकता, आज्ञापक है। |
5. तथ्य की उपधारणा करने के लिए न्यायालय बाध्य नहीं है। | 5. विधि की उपधारणा करने के लिए न्यायालय बाध्य है, विधि की उपधारणा आज्ञापक है। |
6. तथ्य की उपधारणा की स्थिति अनिश्चित तथा बदलती या परिवर्तनशील होती है। | 6. विधि की उपधारणा निश्चित तथा एकरुप होती है। |