किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण ) अधिनियम,2015 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
Results
#1. निर्दोष होने की उपधारणा का सिद्धान्त का तात्पर्य
#2. किशोर न्याय (बालकों की देख-रेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की किस धारा में "परित्यक्त बालक" को परिभाषित किया गया है –
#3. न्यायालय के अन्तर्गत आते हैं
#4. अभित्यक्त बालक से अभिप्रेत है
#5. इस अधिनियम के अधीन न्यायालय से अभिप्रेत
#6. अधिनियम में किशोर को परिभाषित किया गया
#7. किशोर न्याय बोर्ड का गठन कौन करता है?
#8. सही सुमेलित युग्म है
#9. किशोर न्याय बोर्ड को निम्न में से किसकी शक्ति प्राप्त है?
#10. अधिनियम लागू होता है?
#11. किशोर न्याय (बालकों की देख-रेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के किस धारा के अधीन किसी अनाथ, परित्यक्त या अभ्यर्पित बालक के अंतरदेशीय दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया प्रदत्त की गई है –
#12. किशोर न्याय (बालकों की देख-रेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अधीन बाल देखरेख संस्था का रजिस्ट्रेशन (रजिस्ट्रीकरण) न कराये जाने के लिए दण्ड है ?
#13. गम्भीर अपराध की श्रेणी में आते हैं
#14. अधिनियम के प्रशासन में अनुसरण किये जाने वाले सामान्य सिद्धान्त किस धारा में दिया गया है?
#15. छोटा अपराध (offences) है
#16. किशोर न्यायबोर्ड का गठन अधिनियम की किस धारा के अन्तर्गत किया जाता है?
#17. देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाला बालक ऐसा बालक अभिप्रेत है जो
#18. किशोर न्याय (बालकों की देख-रेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अधीन 'बाल कल्याण समिति' गठित करने की शक्ति किसके पास है
#19. बालक न्यायालय को इस अधिनियम के किस धारा में परिभाषित किया गया है?
#20. किशोर न्याय (बालकों की देख-रेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अधीन किशोर न्याय निधि का सर्जन किसके द्वारा किया जा सकता है –
#21. किशोर बोर्ड में सम्मिलित होते हैं
#22. अनाथ से ऐसा बालक अभिप्रेत है
#23. किशोर से अभिप्रेत है
#24. जघन्य अपराध (Heinous offences) के अन्तर्गत आते हैं ?
#25. बालक का देखरेख और संरक्षण का साधारण सिद्धान्त है
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 क्या है ?
भारत की संसद द्वारा किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 पारित किया गया है। इसने भारतीय किशोर अपराध कानून, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000 को बदल दिया , और जघन्य अपराधों में शामिल 16-18 वर्ष के आयु वर्ग में कानून का उल्लंघन करने वाले किशोरों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देता है। इस अधिनियम ने हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम (1956) को पछाड़ते हुए भारत के लिए एक सार्वभौमिक रूप से सुलभ दत्तक कानून बनाने की भी मांग की।
इसे 7 मई 2015 को लोकसभा द्वारा कई संसद सदस्यों के तीव्र विरोध के बीच पारित किया गया था । इसे 22 दिसंबर 2015 को राज्य सभा द्वारा पारित किया गया था ।