मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल में एसोसिएट प्रोफेसर (एनेस्थीसिया) पद के लिए जारी डायरेक्ट भर्ती विज्ञापन को रद्द करते हुए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
याचिकाकर्ता डॉ. रजनी ठाकुर, जो वर्ष 2012 से सहायक प्राध्यापक पद पर कार्यरत हैं, ने दलील दी थी कि संबंधित पद को 2018 के सेवा नियमों के अनुसार प्रमोशन से भरा जाना चाहिए, जबकि कॉलेज ने इसे डायरेक्ट भर्ती में बदलकर विज्ञापन जारी किया।
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता डॉ. रजनी ठाकुर, गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल में वर्ष 2012 से सहायक प्राध्यापक (Anesthesia विभाग) के पद पर कार्यरत हैं। कॉलेज द्वारा अगस्त 2024 में एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए डायरेक्ट भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया। याचिकाकर्ता का दावा था कि यह पद प्रमोशन के जरिए भरा जाना चाहिए, क्योंकि कॉलेज के भर्ती नियमों के अनुसार 9 में से 7 पद प्रमोशन से और 2 पद डायरेक्ट भर्ती से भरे जाते हैं।
याचिकाकर्ता का तर्क
- विधिक अधिकार का उल्लंघन – प्रमोशन का अवसर छीनना कानूनन गलत है, क्योंकि यह वेस्टेड राइट (vested right) है।
- कोई कानूनी बाधा नहीं – सुप्रीम कोर्ट के R.B. Rai केस में स्टेटस को आदेश होने के बावजूद, अगर प्रमोशन के लिए पात्र उम्मीदवार उपलब्ध है, तो पोस्ट डायरेक्ट भर्ती से नहीं भरी जा सकती।
- राज्य सरकार के निर्देशों का गलत प्रयोग – 17.11.2020 के पत्र का उद्देश्य सिर्फ वैकेंसी भरना था, न कि प्रमोशन पोस्ट को डायरेक्ट भर्ती में बदलना।
प्रतिवादियों का तर्क
- कानूनी बाधा मौजूद – सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण-इन-प्रमोशन मामले के लंबित होने के कारण प्रमोशन पर रोक है।
- इंटर्नल डायरेक्ट भर्ती – कॉलेज ने पहले इन-हाउस (feeder cadre) उम्मीदवारों को ही आवेदन का मौका दिया, जिससे याचिकाकर्ता के अधिकार सुरक्षित हैं।
- मान्यता बचाने की मजबूरी – एसोसिएट प्रोफेसर की कमी से कॉलेज की NMC मान्यता खतरे में थी, इसलिए तत्काल भर्ती जरूरी थी।
न्यायालय का विश्लेषण
- एस्टॉपेल (Estoppel) लागू नहीं – याचिकाकर्ता ने चयन प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही चुनौती दी थी, इसलिए इसे “असफल उम्मीदवार” वाला मामला नहीं माना जा सकता।
- भर्ती नियमों का अध्ययन – M.P. Autonomous Medical & Dental College Service Rules, 2018 के Rule 6, 7, 8 में डायरेक्ट भर्ती और प्रमोशन की अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं, परंतु कॉलेज की कार्यकारिणी समिति ने अभी तक कोई एकसमान प्रक्रिया तय नहीं की है।
- मनमानी की संभावना – जब भी कार्यकारिणी प्रत्येक केस में अलग प्रक्रिया तय करे, तो पक्षपात और मनमानी का खतरा बढ़ता है।
- प्रमोशन प्रक्रिया का पालन आवश्यक – अगर पोस्ट को अस्थायी रूप से डायरेक्ट भर्ती में बदला भी जाए, तो भी उसी मूल्यांकन पद्धति का पालन होना चाहिए जो प्रमोशन में होती है, ताकि वरिष्ठों का अधिकार सुरक्षित रहे।
न्यायालय का निर्णय
- भर्ती विज्ञापन रद्द – को अवैध करार दिया।
- दिशानिर्देश जारी:
- कॉलेज पहले प्रमोशन के लिए स्पष्ट और स्थायी मूल्यांकन प्रक्रिया तय करे।
- डायरेक्ट भर्ती के लिए भी अलग प्रक्रिया निर्धारित करे।
- अगर पोस्ट प्रमोशन से डायरेक्ट भर्ती में बदलनी पड़े, तो इन-हाउस उम्मीदवारों के लिए वही प्रमोशन वाली प्रक्रिया अपनाई जाए।
Case Citation
मामला: डॉ. रजनी ठाकुर बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य W.P. No. 31493/2024
न्यायालय: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर
पीठ: माननीय न्यायमूर्ति विवेक जैन
याचिकाकर्ता की ओर से: श्री सौरभ सुन्दर, अधिवक्ता
प्रतिवादी राज्य की ओर से: श्री विजय शुक्ला, पैनल अधिवक्ता
प्रतिवादी क्रमांक 3 (स्वायत्त गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल) की ओर से: श्री शुभम मंचानी, अधिवक्ता
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