चैक और विनिमय बिल में अन्तर
चैक की परिभाषा ( Definition of Cheque)
“चैक” एक निर्दिष्ट बैंक पर लिखा एक विनिमय-पत्र है तथा जिसे माँग के अन्यथा देय नहीं किया जाता है तथा जिसमें चैक की इलेक्ट्रॉनिक छवि तथा इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में कोई चैक शामिल है।
विनिमय बिल (Bill of Exchange) –
“विनिमय बिल” एक ऐसा लिखित विलेख है जिसमें उसका लेखक अपने हस्ताक्षर कर किसी निश्चित व्यक्ति को यह शर्त रहित आदेश देता है कि वह एक निश्चित धन राशि किसी व्यक्ति विशेष या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या उस विलेख के धारक को भुगतान कर दे |
चैक और विनिमय बिल में अन्तर
चैक | विनिमय बिल |
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(1) किसी चैक की स्थिति में आदेशिती, अर्थात् वह व्यक्ति जिस पर बिल लिखा गया हो, हर हालत में एक बैंकर होना चाहिए, | विनिमय बिल की स्थिति में आदेशित कोई भी व्यक्ति हो सकता है। |
(2) चैक की स्थिति में कोई अतिरिक्त अवधि (grace period) दी जाती है और यह मांग पर देय होता है, | विनिमय-बिल की स्थिति में तीन दिन अतिरिक्त (Days of Grace) मिलते हैं। |
(3) चैक के अनादरण की स्थिति में, अनादरण की सूचना देना आवश्यक नहीं है | विनिमय-बिल की स्थिति में अनादरण की सूचना देना अपेक्षित है। |
(4) चैक धारक को देय लिखा जा सकता है और मांग पर देय बनाया जा सकता है, | विनिमय-बिल धारक को देय नहीं हो सकता, यदि इसे मांग पर देय बनाया गया हो। |
(5) चैक की स्थिति में इसे स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करना आवश्यक नहीं है। इसे केवल भुगतान प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत करना वांछित है। | कभी-कभी विनिमय बिलों की स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करना वांछित है और ऐसा करना आवश्यक न भी हो तब भी बिलों को स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करना उपयुक्त होता है। |
(6) भारत में चैकों पर टिकट लगाना आवश्यक नहीं है, | विनिमय-बिल के विधि के अनुसार टिकट युक्त होना चाहिए। |
(7) चैक को रेखांकित किया जा सकता है,चैक पराक्रम्य विलेख है | विनिमय-बिल को रेखांकित नहीं किया जा सकता,विनिमय बिल से सम्बन्धित अधिकांश नियम चैकों पर भी लागू होते हैं। |
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
- भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
- भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
- भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]