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मुख्य परीक्षा ,प्रतिपरीक्षा तथा पुनः परीक्षा में अंतर | difference between Examination- in -chief, Cross examination, Re- examination IN HINDI

मुख्य परीक्षा ,प्रतिपरीक्षा तथा पुनः परीक्षा में अंतर

मुख्य परीक्षा ,प्रतिपरीक्षा तथा पुनः परीक्षा में अंतर

 

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 137 के अनुसार,

मुख्य परीक्षा(Examination- in -chief) :- किसी साक्षी की उस पक्षकार द्वारा, जो उसे बुलाता है, परीक्षा उसकी मुख्य परीक्षा कहलाएगी।

प्रतिपरीक्षा(Cross examination):- किसी साक्षी की प्रतिपरीक्षा द्वारा, की गई परीक्षा उसकी प्रतिपरीक्षा कहलाएगी।

पुनः परीक्षा (Re- examination):- किसी साक्षी की प्रतिपरीक्षा के पश्चात उसको उस पक्षकार द्वारा, जिसने उसे बुलाया था, परीक्षा उसकी पुनः परीक्षा कहलाएगी।

 

मुख्य परीक्षा ,प्रतिपरीक्षा तथा पुनः परीक्षा में अंतर

मुख्य परीक्षा(Examination- in -chief) प्रतिपरीक्षा(Cross examination) पुनः परीक्षा (Re- examination)
 1. मुख्य परीक्षा उस पक्षकार द्वारा की जाती है जो उसे बुलाता है।  1. प्रतिपरीक्षा सदैव विपक्षी के साक्षी से की जाती है।  1. पुनःपरीक्षा बुलाने वाले पक्षकार द्वारा मुख्य परीक्षा और प्रतिपरीक्षा के दौरान उत्पन्न हुई असंगतियों को दूर करने के लिए किया जाता है।
 2. मुख्य परीक्षा में बिना न्यायालय की अनुमति के सूचक प्रश्न नहीं पूछे जा सकते हैं।  2. प्रतिपरीक्षा में सूचक प्रश्न स्वतंत्रता पूर्वक पूछे जा सकते हैं।  2. पुनः परीक्षा में न तो सूचक प्रश्न पूछे जाते हैं और न ही न्यायालय की अनुमति के बिना नवीन विषय पूछा जा सकता है। नई बात पूछने पर प्रतिपरीक्षा को उस बात के बारे में अतिरिक्त प्रतिपरीक्षा करने का अधिकार है।
 3. मुख्य परीक्षा का क्रम प्रथम होता है।  3. प्रति परीक्षा का क्रम दूसरा होता है।  3. पुनः परीक्षा क्रम अंतिम होता है।
 4. मुख्य परीक्षा न्यायिक कार्यवाही का अभिन्न अंग है।  4. प्रतिपरीक्षा सच्चाई का पता लगाने के लिए अत्यधिक आवश्यक है और न्यायिक कार्यवाही का प्रमुखतया आवश्यक अंग है।  4. पुनःपरीक्षा न्यायिक कार्यवाही का आवश्यक अंग नहीं है अर्थात पुनः परीक्षा आवश्यक नहीं है।
 5. मुख्य परीक्षा का उद्देश्य साक्षी से वह परिसाक्ष्य दिलवाना होता है जिसके लिए पक्षकार द्वारा उसे बुलाया जाता है।  5. प्रति परीक्षा का उद्देश्य सत्य का पता लगाना होता है यह सत्य के प्रकृति करण का प्रबलतम साधन होता है।  5.पुनः परीक्षा का उद्देश्य मुख्य परीक्षा तथा प्रति परीक्षा में उत्पन्न विसंगतियों को दूर करना है।
 6. मुख्य परीक्षा में साक्षी के मुकर जाने पर उसे पक्षद्रोही साक्षी घोषित कर दिया जाता है।  6.प्रतिपरीक्षा में ऐसा नही होता है |  6. साक्षियों की प्रतिपरीक्षा के बाद यदि उसे बुलाने वाला पक्षकार चाहे तो पुनः परीक्षा होगी।

 

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