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शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर | Differences between the Shia school and Sunni school in hindi

शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर

शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर

शिया और सुन्नी मुसलमान धर्म की मूलभूत मान्यताओं और प्रथाओं को साझा करते हैं, वे सिद्धांत, कानून, अनुष्ठान और धार्मिक संगठनों पर भिन्न होते हैं। सुन्नी और शिया इस्लाम के बीच विभाजन और प्रमुख मतभेदों के बीच का कारण जानने के लिए नीचे दिया गया लेख पढ़ें।

1. विवाह के मामले में शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर 

शिया सुन्नी
1. शिया संप्रदाय में मुता या अस्थाई विवाह वैध है। 1.सुन्नी संप्रदाय में मुता या अस्थाई विवाह वैध नहीं है।
2. इसमें विवाह के लिए केवल पिता तथा पितामह ही वैध अभिभावक माने जाते हैं। दूसरों द्वारा तय किया गया विवाह शून्य माना जाता है। 2. इसमें पिता तथा पितामह के अलावा भाई तथा अन्य पैतृक संबंधी व माता एवं मातृ पक्ष के संबंधी मामा आदि द्वारा तय किया हुआ विवाह मान्य होता है।
3. इसमें विवाह विच्छेद के लिए दो गवाहों की आवश्यकता पड़ती है जबकि विवाह के समय गवाहों की आवश्यकता नहीं पड़ती। 3. सुन्नी संप्रदाय में विवाह विच्छेद के समय दो गवाहों की आवश्यकता नहीं पड़ती, बल्कि विवाह के समय पड़ती है।
4. शिया संप्रदाय में विवाह दोनों पक्षों में असमानता के कारण निरस्त नहीं किया जा सकता है। 4. सुन्नी संप्रदाय में विवाह दोनों पक्षों में असमानता के आधार पर निरस्त किया जा सकता है।
5. शिया संप्रदाय में मान्य निवृत्ति ( valid retirement) के सिद्धांत को नहीं मानते। 5.सुन्नी संप्रदाय में मान्य निवृत्ति को मानते हैं।
6. इसमें विवाह संबंध दो प्रकार के होते हैं: (1)मान्य ( Valid)  ,(2)शून्य ( Void)। 6. सुन्नी संप्रदाय में विवाह संबंध तीन प्रकार के होते हैं: (1) मान्य (Valid), (2) अनियमित (Irregular) ,(3) शून्य (Void)।
7. इसमें वयस्कता(Puberty) प्राप्त करने के पूर्व सभी कृत्य निष्प्रभावी (Void) माने जाते हैं। 7. सुन्नी संप्रदाय में अवयस्क व्यक्तियों का अनेक संरक्षक के द्वारा किए गए विवाह वयस्कता प्राप्ति के उपरांत अस्वीकृत किए जा सकते हैं।
8. शिया संप्रदाय में यदि इद्दत की अवधि के समय स्त्री पुरुष समागम करें तो विवाह सदा के लिए वर्जित हो जाता है।

 

8.सुन्नी संप्रदाय में इद्दत की अवधि में स्त्री के साथ उस पति से विवाह सदा के लिए वर्जित नहीं है।

 

2. मेहर के मामले में शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर –

शिया सुन्नी
1. शिया संप्रदाय में मेहर की न्यूनतम सीमा निर्धारित नहीं है।  1. सुन्नी संप्रदाय में मेहर की न्यूनतम सीमा 10 दिरहम है।
2. शिया संप्रदाय में उचित मेहर की अधिकतम सीमा 500 दिरहम रखी गई है।  2. सुन्नी संप्रदाय में मेहर की अधिकतम सीमा कोई नहीं है।
3.शिया संप्रदाय में विपरीत शर्त की अनुपस्थिति में मेहर की अदायगी तुरंत ही समझी जाती है।  3. सुन्नी संप्रदाय में विपरीत शर्त की अनुपस्थिति में कुछ भाग तुरंत देय (Promt) और कुछ बाद मे अस्थगित माना जाता है।

 

3. तलाक के मामले में शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर- 

शिया सुन्नी
1.शिया संप्रदाय में तलाक मौखिक रूप से अरबी भाषा में होना चाहिए।  1. सुन्नी संप्रदाय में तलाक मौखिक या लिखित हो सकता है।
2. शिया संप्रदाय में तलाक में दो गवाहों की उपस्थिति आवश्यक है।  2. सुन्नी संप्रदाय में तलाक में गवाहों की उपस्थिति आवश्यक नहीं है।
3. शिया कानून के अनुसार मदिरा के नशे में या अन्य नशे में या बलपूर्वक जोर डालकर घोषित कराया हुआ तालाक वैधत: मान्य नहीं माना जाता है, वह निष्प्रभावी होता है।  3. सुन्नी कानून में नशे या बलपूर्वक जोर डालकर कराया हुआ तलाक भी प्रभावी होता है।
4. शिया कानून केवल तलाक -उल – सुन्नत को ही तलाक की मान्य कोटि (Valid Category) मानता है।  4.सुन्नी विधि तलाक -उल – सुन्नत तथा तलाक  -उल- विद्दत दोनों को ही मान्य मानती है।
5.शिया संप्रदाय में अस्पष्ट भाषा में दिया गया तलाक निष्प्रभावी हो जाता है।  5. सुन्नी विधि में अस्पष्ट भाषा में दिया गया तलाक  निष्प्रभावी नहीं होता यदि साबित हो जाए कि वह इच्छा पूर्वक था।

 

4. अभिभावक (Gaurdianship) के मामले में शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर –

शिया सुन्नी
शिया संप्रदाय में माता लड़के के लिए 2 वर्ष तक तथा लड़की के लिए 7 वर्ष तक अभिरक्षा की अधिकारी होती है।

 

 सुन्नी संप्रदाय में माता लड़के के लिए 7 वर्ष तक तथा लड़की के लिए जब तक वह  वयस्क न हो जाए अभिरक्षा कि अधिकारिणी होती है।

 

5. व्यभिचार से उत्पन्न बच्चा के मामले में शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर- 

शिया सुन्नी
शिया संप्रदाय में व्यभिचार से उत्पन्न बच्चा मातृहीन समझा जाता है।  सुन्नी संप्रदाय में मातृत्व उस स्त्री में समझा जाता है जिसने बच्चा पैदा किया है चाहे जिस प्रकार से हो।

 

6. भरण -पोषण (Maintenance) के मामले में शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर= 

शिया सुन्नी
1. शिया विधि में पिता का भरण पोषण करना बाध्यकारी नहीं है यदि वह कमाने योग्य है। 1. सुन्नी संप्रदाय में यदि पिता कमाने योग्य भी है तो भी उसका भरण पोषण बेटे की जिम्मेदारी है।
2.शिया संप्रदाय में यदि भरण पोषण करने वालों की संख्या अधिक है तो उन पर भार प्रत्येक की योग्यता तथा आय के अनुसार होगा।  2. सुन्नी संप्रदाय में भरण पोषण की जिम्मेदारी सभी व्यक्तियों पर बराबर होगी।

 

7. वक्फ (Waqf) के मामले में शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर- 

शिया सुन्नी
शिया संप्रदाय में बिना जायदाद का कब्जा दिया गया वक्फ अमान्य होता है, केवल घोषणा मात्र पर्याप्त नहीं है।  सुन्नी संप्रदाय में केवल घोषणा से ही वक्फ मान्य हो जाता है।

 

 

8. दान के मामले में शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर –

शिया सुन्नी
शिया संप्रदाय में किसी जायदाद में अविभाजित  हिस्से का दान मान्य है यदि उसका बटवारा हो सकता है।  सुन्नी संप्रदाय में किसी जायदाद में अविभाजित हिस्सा मे किसी का दान अमान्य है।

 

9. शुफा (Pre-emption) का अधिकार के मामले में शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर 

शिया सुन्नी
शिया संप्रदाय में शुफा (Pre-emption) का अधिकार केवल सहभागियों (Co-sharer) के बीच में मान्य है और वह भी जब सहभागी दो से अधिक ना हो।  सुन्नी संप्रदाय में सहभागी के अलावा पड़ोसी तथा सुखाधिकार वाले व्यक्ति भी शुफा के अधिकारी हो सकते हैं।

10. वसीयत (Wills) के मामले में शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर 

शिया सुन्नी
1. शिया संप्रदाय में प्रत्येक व्यक्ति संपत्ति के एक तिहाई भाग की वसीयत बिना उत्तराधिकारियों की अनुमति के  किसी को भी कर सकता है। 1. सुन्नी विधि में किसी उत्तराधिकारी के पक्ष में की गई वसीयत के लिए अन्य उत्तराधिकारियों की अनुमति आवश्यक है।
2. शिया विधि में यदि वसीयतकर्ता से पहले वह व्यक्ति जिसे संपत्ति वसीयत की गई है ,मर जाता है तो संपत्ति उसके उत्तराधिकारी को मिलती है, बशर्ते वसीयत करने वाला वसीयत रद्द ना कर  दे। 2. सुन्नी विधि के अनुसार यदि वसीयत ग्रहीता (Lagatee) वसीयतकर्ता(Testator) से पहले मर जाता है तो संपत्ति वसीयत कर्ता को वापस हो जाती है।
3. शिया विधि में जीवन -कालिक संपत्ति(life estate) को मान्यता (Recognition) है। 3. सुन्नी विधि में जीवन कालिक संपत्ति को मान्यता नहीं है।

 

 

 

11. उत्तराधिकार (Inheritance) के मामले में शिया संप्रदाय तथा सुन्नी संप्रदाय मे अंतर 

शिया सुन्नी
1. शिया विधि के अनुसार दूरस्थ संबंधी स्वयं हिस्सेदार (Sharer) तथा अवशिष्टों (Residuaries)  के रूप में संपत्ति प्राप्त करते हैं । 1. सुन्नी विधि के अनुसार दूरस्थ संबंधी (distant Kindred) हिस्सेदार  तथा अवशिष्टों के  साथ संपत्ति प्राप्त करते हैं।
2. शिया विधि के अनुसार ज्येष्ठ संतान द्वारा समस्त संपत्ति पर उत्तराधिकार की प्रथा कुछ अंशो में मान्य है क्योंकि जेष्ठ पुत्र ही अपने मृत पिता को तलवार, पहनने के कपड़े, घोड़ा ,अंगूठी तथा कुरान का उत्तराधिकारी होता है। 2. सुन्नी विधि में ज्येष्ठाधिकार की प्रथा मान्य नहीं है।(इस सिद्धांत के अनुसार ज्येष्ठ संतान पिता की समस्त संपत्ति की उत्तराधिकारी मानी जाती है।
3.संतान रहित विधवा शिया स्त्री पति की अचल संपत्ति में हिस्सा पाने की हकदार नहीं है। 3. सुन्नी विधि में संतान रहित विधवा अचल संपत्ति की उत्तराधिकारी हो सकती है।
4. शिया विधि में केवल पति ही प्रत्यावर्तन (Return) का हकदार होता है, स्त्री नहीं। 4. सुन्नी विधि में पति एवं पत्नी दोनों प्रत्यावर्तन के अधिकारी होते हैं।
5. शिया विधि में किसी व्यक्ति की जानबूझकर हत्या करने वाला व्यक्ति मृतक की संपत्ति के उत्तराधिकार से वंचित कर दिया जाता है।

 

5. सुन्नी विधि में उस व्यक्ति को बिल्कुल उत्तराधिकार से निकाल दिया जाता है, चाहे हत्या जानबूझकर की गई हो अथवा अनजाने में।

 

    

संदर्भ-

  1. पारस दीवान – मुस्लिम विधि
  2. अकील अहमद – मुस्लिम विधि
  3. https://crestresearch.ac.uk/
  4. https://en.wikipedia.org/wiki/Shia%E2%80%93Sunni_relations

  

मुस्लिम विधि की शाखाएं