समन और वारंट मामला क्या होते है (Summons Case and Warrant Case in Hindi)
विचारण के लिए प्रक्रिया की दृष्टि से मामलों को दो भागों में विभाजित किया गया है:-
- समन मामला |
- वारंट मामला |
समन – मामला क्या है ?(Summons-Case):-
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 2 (ब) के अनुसार,” समन- मामला” से ऐसा मामला अभिप्रेत है जो किसी अपराध से संबंधित है और जो वारंट – मामला नहीं है।
सरल भाषा में कहा जा सकता है कि ऐसा मामला –
- जो किसी अपराध से संबंधित है,
- जो वारंट मामला नहीं है,
- जिसमें 2 वर्ष से कम कारावास का प्रावधान है,
समन – मामलों में सामान्यता अभियुक्त को प्रथम बार समन जारी किया जाता है। लेकिन यदि मजिस्ट्रेट द्वारा वारंट जारी कर दिया जाता है तो वारंट जारी कर दिए जाने मात्र से मामलों की प्रकृति में परिवर्तन नहीं हो जाएगा।
“धारा 87 के अनुसार समन मामलों में आवश्यक प्रतीत हुआ तो न्यायालय समन के बदले वारंट जारी कर सकता है।”
(2) वारंट मामला क्या है ? (Warrant-Case) :-
दंड प्रक्रिया संहिता 1973, की धारा 2 (भ) के अनुसार, “वारंट -मामला” में ऐसा मामला अभिप्रेत है जो मृत्यु ,आजीवन कारावास या 2 वर्ष से अधिक की अवधि के कारावास से दंडनीय किसी अपराध से संबंधित है।
सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि ऐसे अपराधों से संबंधित समस्त मामले, जो 2 वर्ष से अधिक के कारावास से दंडनीय है ,वारंट मामले होते हैं।
समन और वारंट मामला में अंतर:-
समन मामला (Summons-Case) |
वारंट मामला (Warrant-Case) |
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भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
- भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
- भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
- भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]