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HINDU LAW- हिन्दू कौन है ?| हिन्दू विधि का लागू होना | who is Hindu in hindi

हिन्दू कौन है

हिन्दू कौन है ?| हिन्दू विधि का लागू होना |हिन्दू कौन है

 

हिन्दू कौन है ? :-  

हिन्दू कौन है ?-  हिन्दू का तात्पर्य उन सभी लोगों से है जो हिन्दू माता-पिता से पैदा होते है और जो हिन्दू धर्म मे परिवर्तित हो जाते है । या , वे सभी लोग जो अपने को हिन्दू समझते है तथा दूसरों द्वारा हिन्दू जैसा जाने जाते है , हिन्दू है ।

अत: हिन्दू शब्द किसी जाति अथवा सम्प्रदाय का बोधक नहीं है और न किसी विशेष धर्म का ही वाचक है ।

ये लोग निम्न है :-

  • धर्म से हिन्दू हो ।
  • बौद्ध , सिख , जैन , ब्रह्म , आर्यसमाजी और लिगायत जो मूल रूप मे हिन्दू थे , किन्तु अब दूसरी धार्मिकता मे विश्वास करते है । वर्तमान हिन्दू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम, हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, हिन्दू अवयस्कता एवं संरक्षता अधिनियम तथा हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत बौद्ध, जैन तथा सिखों को भी ‘ हिन्दू ’ शब्द के अर्थ के अंतर्गत सम्मिलित कर दिया गया है और वे अब इन्ही अधिनियमों के कानूनों से प्रशासित होंगे ।
  • वे आदिवासी जो हिन्दू हो गए है ।
  • केस = यज्ञपुरुष दास जी बनाम मूलदस  [ए.आई.आर. 1966 एस.सी. ,प्रष्ठ 1119-1128 ]

इस केस मे हिन्दू शब्द की उत्पत्ति के सम्बंध मे उच्चतम न्यायालय ने यह कहा है कि आर्य भारत मे आने के पश्चात सिन्धु नदी के मैदान मे बस गए और फारस तथा वहाँ के लोग ‘ स ’ के स्थान पर ‘ ह ’ का उच्चारण करते है, इस कारण सिन्धु के इस पार वालों को वे हिन्दू कहने लगे धीरे-धीरे सिन्धु के इस पार के सभी रहने वाले चाहे आर्य हो या यहाँ के मूल निवासी , हिन्दू कहे जाने लगे ।

धर्म –परिवर्तन:-

संहिताबद्ध हिन्दू कानून के तहत हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म या सिख धर्म में परिवर्तित होने वाले किसी भी व्यक्ति को हिन्दू कहा जा सकता है ।

  • केस = पेरुमल बनाम पोन्नुस्वामी [AIR 1917 SC 2352]

इस वाद मे उच्चतम नयायालय ने अभिनिर्धारित किया कि यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी दूसरे धर्म को त्यागकर हिन्दू धर्म स्वीकार कर लेता है तो वह हिन्दू मान लिया जाएगा

इस प्रकार के मामले मे व्यक्ति के आशय एवं आचरण पर ध्यान देना आवश्यक होता है ।

  • केस = मोहनदास बनाम देवसोमबोर्ड [1975 के.एल.टी. 55]

इस वाद मे जेसूदास जन्म से एक कैथोलिक ईसाई था तथा पर्दे के पीछे का एक मशहूर गायक था । वह हिन्दू मन्दिर मे भक्ति के गाने गाता था और एक हिन्दू की भाँति उपासना करता था । उसने एक घोषणा मे अपने को हिन्दू बताया ।

अत: न्यायालय ने इस प्रकार की घोषणा पर उसे हिन्दू करार किया ।

  • यदि कोई व्यक्ति हिन्दू परिवार से पैदा हुआ है , तो वह हिन्दू है ।
  • यदि बच्चा हिन्दू माँ और मुस्लिम पिता से पैदा होता है और उसे हिन्दू धर्म के अनुसार पाला जाता है तो वह हिन्दू होगा । एक बच्चे का धर्म जरूरी नहीं की पिता का हो ।
  • धर्म परिवर्तन के लिए , व्यक्ति का एक बोनाफाइड इरादा होना चाहिए । परिवर्तित होने का कोई कारण नहीं होना चाहिए ।
  • संहिताबद्ध हिन्दू विधि इस बात की पैरवी करता है कि जो व्यक्ति मुस्लिम, पारसी, ईसाई या यहूदी नहीं है , वह हिन्दू कानून से शासित होता है ।

 

हिन्दू जन्म से होता है तथा बनाया भी जाता है :-

केस = अब्राहम बनाम अब्राहम   [ MIA 199-243 ]

इस वाद मे न्यायाधीश ने यह निर्धारित किया कि ‘हिन्दू’ शब्द जन्म से हिन्दू जैसे उत्पन्न हुये व्यक्ति के लिए तथा वे व्यक्ति जो हिन्दू धर्म मे परिवर्तित हो गए , उनके लिए भी लागू होता है ।

इस प्रकार हिन्दू जन्म से होता है तथा बनाया भी जाता है जो व्यक्ति हिन्दू धर्म को ग्रहण कर लेता है ।

वे व्यक्ति जिन पर हिन्दू विधि लागू होती है :-

हिन्दू विधि निम्नलिखित प्रकार के व्यक्तियों पर लागू होगी –

1 . वे व्यक्ति जो जन्म से या धर्म से हिन्दू हो ।

केस = कमिश्नर ऑफ वेल्थ टैक्स बनाम आर. श्रीधरन   [(1976) 4SCC 489]

इस वाद मे उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया एक “हिन्दू पिता” तथा ईसाई माता से उत्पन्न पुत्र जब विवाह विशेष अधिनियम, 1954 के अंतर्गत हुआ था हिन्दू माना जाएगा, जबकि पिता ने अपने को हिन्दू ही घोषित किया ।

2. वे अवैध संतान जिनके माता-पिता हिन्दू थे ।

केस = कृष्णकुमारी धामपूरन बनाम पैलेस एडमिनिस्ट्रेशन बोर्ड कलिकोटा  [AIR 2009 केरल 122]

इस वाद मे न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया जहां कोई अवैध संतान जिनके माता-पिता मे कोई भी एक हिन्दू है और अपनी संतान का लालन-पालन हिन्दू धर्म के अंतर्गत किया है, वहाँ ऐसा व्यक्ति हिन्दू माना जाएगा ।

(3) ऐसी अवैध संताने जो हिन्दू माँ और ईसाई पिता से पैदा हुई हो किन्तु पालन-पोषण हिन्दूओ जैसा हुआ हो ।

(4) भारतीय बौद्ध, जैन, सिख तथा नम्बूदरी ब्राह्मण ।

(5) नायक जाति कि नाचने वाली लड़कियां जो इस्लाम धर्म मे परिवर्तित हो गई है और जहां लड़को को उनके पितामह व दादी ने लेकर हिन्दू जैसा लालन-पालन किया है । 

(6) धर्म परिवर्तन कर हिन्दू बने हुये व्यक्तियों के अतिरिक्त वे भी व्यक्ति जो जन्म से हिन्दू होते हुये भी धर्म-परिवर्तन द्वारा अन्य धर्म मे चले गए थे और पुन: हिन्दू धर्म मे आते है । (केस =दुर्गाप्रसाद राव बनाम सुदर्शन स्वामी, 40 ए.एम. 5131)

(7) कोई भी व्यक्ति हिन्दू विधि से शासित है यधपि वह मतो और शाखाओ मे नहीं आता है –

(I) वीर-शैव,

(II) लिंगायत,

(III) ब्रह्म समाज,प्रार्थना समाज अथवा आर्य समाज के अनुयायी ।

(8)किसी भी अन्य व्यक्ति पर हिन्दू विधि लागू होती है जो इस अधिनियम के अधिकार क्षेत्र मे निवास करता है और जो

(I) धर्म से मुसलमान नहीं है,

(II) धर्म से ईसाई नहीं है,

(III) धर्म से फारसी नहीं है,

(IV) धर्म से यहूदी नहीं है ।

 

  वे व्यक्ति जिन पर हिन्दू विधि लागू नहीं होती है:-

  1. एक नाजायज बच्चे को जिसका पिता हिन्दू है और माँ ईसाई है और बच्चे को ईसाई के रूप में पाला जाता है या फिर एक हिन्दू पिता और मुस्लिम माँ की नाजायज संतान, क्योंकि ये बच्चे जन्म से या धर्म से हिन्दू नहीं है ।
  2. उन हिन्दुओ के लिए जो शस्त्रों के सिद्धांतों का पालन नहीं करते है ।
  3. उन हिन्दूओ के लिए जो मुसलमानो, ईसाइयों, पारसी या यहूदियों में परिवर्तित हो जाते है ।

हिन्दू विधि का लागू होना:-

हिन्दू विधि की उत्पत्ति बहुत पुरानी है । यह प्राचीन ऋषि मुनियों की आध्यात्मिक शक्ति , तपस्या और ध्यान का परिणाम है । हिन्दू विधि दुनिया मे न्यायशास्त्र की किसी भी ज्ञात प्रणाली की सबसे पुरानी वंशावली  है ।

हिन्दू विधि के अनुसार विधि की पहचान धर्म से की जाती है ।

  • मानव जीवन के चार लक्ष्य है – अर्थ , धर्म , काम , मोक्ष । इनमें से धर्म सबसे महत्वपूर्ण है ।
  • भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है जहाँ हिन्दू , मुस्लिम , सिख , ईसाई और पारसी जैसे कई धर्म एक साथ रहते है ।
  • भारत की संसद द्वारा हिन्दू विधि से संबंधित पास किए गए अधिनियम निम्न प्रकार है :-
  1. हिन्दू विवाह अधिनियम ,1956
  2. हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956
  3. हिन्दू अवयस्कता और संरक्षता अधिनियम, 1956
  4. हिन्दू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम ,1956

ये चार अधिनियम हिन्दुओ के व्यक्तिगत मामले जिन्हे PERSONAL LAW कहा जाता है ,उन्हे नियंत्रित करते है तथा इनसे संबंधित सम्पूर्ण विधि इस अधिनियम के अंतर्गत समावेश कर दी गई ।

इन अधिनियमों मे यह ध्यान रखा गया है कि कही पर भी यह अधिनियम हिन्दू विधि की आस्थाओं पर प्रहार न करें ,जहाँ तक संभव हो प्राचीन शास्त्रीय हिन्दू विधि के अधीन रहते हुये ही इन अधिनियमों को संहिताबद्ध करने के प्रयास भारत की संसद द्वारा किया गया है ।

 

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