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ग्रह्यता तथा सुसंगतता में अंतर | difference between admissibility and relevancy

ग्रह्यता तथा सुसंगतता में अंतर

ग्रह्यता तथा सुसंगतता में अंतर | difference between admissibility and relevancy

 

ग्रह्यता किसे कहते है ?:-

ग्रह्यता तर्क पर आधारित न होकर विधि के कठोर नियमों पर आधारित है।ग्रह्यता का अर्थ साक्ष्य में स्वीकार करने की योग्यता से है। यह एक विधि का प्रश्न है तथा उसका निर्धारण न्यायाधीश द्वारा किया जाता है।

सुसंगतता क्या है ?:-

सुसंगतता का अर्थ है कौन से तथ्य न्यायालय के समक्ष साबित किए जा सकते हैं जिन तथ्यों को साक्ष्य अधिनियम (धारा 6 से 55)के साबित करने की अनुमति है उन्हें ‘सुसंगत तथ्य’ कहा जाता है।

सुसंगतता के लिए आवश्यक है कि कोई भी दो तथ्य इस प्रकार के होने चाहिए कि यदि हम एक तथ्य को ले तो दूसरा तथ्य तभी सुसंगत होगा, जबकि उस तथ्य तथा दूसरे तथ्य के साथ धारा 6 से 55 तक वर्णित संबंधों में से किसी भी प्रकार का संबंध हो।

ग्रह्यता तथा सुसंगतता में अंतर:-

ग्रह्यता(Admissibility) सुसंगतता(Relevancy)
 1. सभी ग्रह्य तथ्य सुसंगत होते हैं।  1. सभी सुसंगत तथ्य आवश्यक रूप से ग्रह्य नहीं होते हैं।
 2. ग्रह्यता तर्क के आधार पर न होकर कठोर विधि के नियमों पर आधारित है।  2. सुसंगतता तर्क एवं संभावना पर आधारित है।
 3. ग्रह्यता का क्षेत्र सीमित होता है।  3. सुसंगतता का क्षेत्र व्यापक होता है।
 4. ग्रह्यता के नियम यह घोषित करते हैं कि क्या कुछ सुसंगत प्रकार के साक्ष्य,ग्रह्य किए जाएं या अपवर्जित किए जाएं।  4. सुसंगतता के नियम यह घोषित करते हैं कि क्या सुसंगत है।
 5. ग्रह्यता धारा 56 के पश्चात वर्णित है।  5. सुसंगतता धारा 5 से 55 तक वर्णित है।
 6. ग्रह्यता जाति के रूप में है।  6. सुसंगतता वंश के रूप में है।
 7. ग्रह्यता सुसंगत तथ्यों को साबित करने का उपाय एवं तरीका है।  7. भारतीय साक्ष्य विधि में सुसंगतता का अर्थ है कौन से तथ्य न्यायालय के समक्ष साबित किए जा सकते हैं।

 

 

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