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लोक दस्तावेज तथा प्राइवेट (निजी) दस्तावेज में अंतर | Difference between public document and private document

लोक दस्तावेज तथा प्राइवेट (निजी) दस्तावेज में अंतर

लोक दस्तावेज तथा प्राइवेट (निजी) दस्तावेज में अंतर | Difference between public document and private document

 

लोक दस्तावेज की परिभाषा :- 

लोक दस्तावेजों को साक्ष्य अधिनियम की धारा 74 मे परिभाषित किया गया है –

(1) वे दस्तावेजें जो:- 

          (i) प्रभुता सम्पन्न प्राधिकारी के,

         (ii) शासकीय निकायों और अधिकरणों के, तथा

        (iii) [भारत के किसी भाग के या कामनवेल्थ के.] या किसी विदेश के विधायी, न्यायिक तथा कार्यपालक लोक आफिसरों के, कार्यों के रूप में या कार्यों के अभिलेख के रूप में हैं;

(2) [किसी राज्य में] रखे गए प्राइवेट दस्तावेजों के लोक अभिलेख ।

लोक दस्तावेज के उदाहरण   – शासकीय, सरकारी ,सार्वजनिक दस्तावेज।

प्राइवेट दस्तावेज की परिभाषा :-

साक्ष्य अधिनियम की धारा 75 प्राइवेट दस्तावेजों को  परिभाषित किया गया है|

प्राइवेट दस्तावेजें- अन्य सभी दस्तावेजें प्राइवेट हैं।

प्राइवेट दस्तावेज के उदाहरण – संविदायें ,पट्टे ,गिरवी बिलेख आदि।

लोक दस्तावेज तथा प्राइवेट (निजी) दस्तावेज में अंतर:-

लोक दस्तावेज (Public documents) प्राइवेट दस्तावेज(Private Document)
 1. यह वे दस्तावेज है जो एक लोक सेवक द्वारा अपने शासकीय कर्तव्य के निर्वहन में तैयार की जाती हैं।  1. प्राइवेट दस्तावेज वह दस्तावेज है जिन्हें एक व्यक्ति द्वारा अपने निजी हित के लिए अपने व्यक्तिगत अधिकार के अंतर्गत तैयार किया जाता है।
 2. लोक दस्तावेज आमतौर पर प्रमाणित प्रतियों के माध्यम से द्वितीयक साक्ष्य द्वारा साबित किए जाते हैं।  2. निजी दस्तावेज सामान्यतय: मूल प्रति के माध्यम से न्यायालय में मूल प्रति प्रस्तुत कर साबित किए जाने चाहिए जब तक कि धारा 65 के अंतर्गत द्वितीयक दस्तावेज प्रस्तुत करने की उन्हें अनुमति प्राप्त न हो जाए।
 3. लोक दस्तावेज की प्रमाणित प्रतियों के आधार पर लोक दस्तावेज की प्रामाणिकता या असलीपन वास्तविकता के बारे में उपधारणा करने के लिए न्यायालय बाध्य है।  3. निजी दस्तावेज की प्रमाणित प्रतियों के आधार पर सामान्यत: मूल दस्तावेज की वास्तविकता प्रामाणिकता या असली पन के बारे में उप धारणा नहीं की जाती है, कुछ अपवादों को छोड़कर।
 4. लोक दस्तावेज निर्धारित शुल्क अदा करने पर निर्धारित समय के अंतर्गत लोग कार्यालय में जनता को निरीक्षण के लिए उपलब्ध रहते हैं।   4. प्राइवेट दस्तावेज व्यक्तिगत रूप से अपने अधिकारों तथा दायित्वों के प्रमाण के रूप में निजी व्यक्ति द्वारा रखे जाते हैं तथा सामान्यतः आम व्यक्ति इन्हें निरीक्षण करने के अधिकार का दावा नहीं कर सकता है।
 5. सामान्यतः लोक दस्तावेज की प्रमाणित प्रतियां उनका पर्याप्त एवं सक्षम साक्ष्य हैं अर्थात लोक दस्तावेज द्वितीयक साक्ष्य द्वारा साबित किए जाते हैं।  5. सामान्यतः प्राइवेट दस्तावेज की मूल प्रतियां ही उनका पर्याप्त एवं सक्षम साक्ष्य हैं अर्थात प्राथमिक साक्ष्य द्वारा साबित की जाती है।

 

 

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