अपकृत्य एवं संविदा भंग में अंतर- संविदा भंग तथा अपकृत्य दोनों ही कर्तव्य भंग का परिणाम है।
उदाहरण :- यदि ‘क’ तथा ‘ख’ के बीच कोई संविदा होती है तो ‘क’ का कर्तव्य केवल ‘ख’ के प्रति होता इसी प्रकार ‘ख’ का कर्तव्य किसी अन्य व्यक्ति के प्रति नहीं, केवल ‘क’ प्रति होगा।
संविदा विधि में इस नियम को मान्यता प्रदान की गई है की ‘संविदा’ से बाहर का व्यक्ति वाद स्थापित नहीं कर सकता। ( केस:-डनलप न्यूमेटिक टायर कंपनी बनाम सलफ्रिज एंड कंपनी, 1915 ए. सी.847.)।
अपकृत्य विधि के अंतर्गत नियत कर्तव्य जन वर्ग के प्रति होते हैं। अपकृत्य के अंतर्गत केवल वही व्यक्ति वाद संस्थित करने का अधिकारी है, जिसको कर्तव्य भंग के कारण क्षति उठानी पड़ी है।
केस:- डोनोघ बनाम स्टीवेन्स़न (1992) ए. सी.609-147 एल. टी.।
इस वाद में वादी अपनी एक महिला मित्र के साथ एक जलपान गृह में गई और वहां उसने प्रतिवादी द्वारा उत्पादित जिंजर बियर की एक बोतल खरीदी। महिला मित्र ने उस बोतल में से बियर का कुछ ही अंश उपयोग किया और जब उसने शेष भाग को एक गिलास में उड़ेला, तो उसने उसमें एक घोंघे के सड़े हुए शरीर को पाया। जिंजर बीयर की बोतल चूंकि, अपार दर्शक और मुहरबंद थी, इसलिए उसमें घोंघे की विद्यमानता का पूर्व निरीक्षण नहीं किया जा सकता था। महिला ने जिंजर वियर के निर्माणकर्ता के विरुद्ध उपेक्षा की कार्यवाही प्रारंभ की और यह अभिकथन प्रस्तुत किया कि उस दूषित पेय के कारण वह गंभीर रूप से बीमार हो गई थी।
हाउस ऑफ लॉर्ड्स ने यह निर्णय दिया कि उत्पादन कर्ता का इस महिला के प्रति सावधानी बरतने का यह कर्तव्य था कि वह यह देखें कि उस बोतल में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कोई पदार्थ मिलने न पाए। खाद्य पदार्थों के उत्पादन कर्ता के उत्तरदायित्व का उल्लेख करते हुए लार्ड मैकमिलन ने यह कहा कि यह ‘मेरा अभिमत है कि वह निर्माणकर्ता उन समस्त व्यक्तियों के प्रति कर्तव्य धारण करता है, जिनके प्रति उसका यह आशय है कि वे उसका निर्मित वस्तु का उपभोग करेंगे’
अपकृत्य एवं संविदा भंग में अंतर-
अपकृत्य | संविदा भंग |
1. अपकृत्य में व्यक्ति उन कर्तव्यों का उल्लंघन करता है जो विधि द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्धारित किए गए हों। उदाहरण :- इसके विपरीत प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह किसी दूसरे व्यक्ति की मानहानी ना करें। यह कर्तव्य इसलिए है क्योंकि विधि द्वारा यह कर्तव्य समाज के प्रत्येक व्यक्ति पर आरोपित है। ऐसा कर्तव्य भंग का परिणाम अपकृत्य है। | 1.संविदा भंग में व्यक्ति उन कर्तव्यों का उल्लंघन करता है जिन्हें करने के लिए उसने दूसरे व्यक्ति से संविदा की है। उदाहरण :- यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से कार खरीदने की संविदा करता है तो उसका यह कर्तव्य है कि वह कार खरीदें। ऐसा इसलिए है कि उसने कार खरीदने का कर्तव्य स्वयं अपने ऊपर लिया है। |
2.अपकृत्य में जिन कर्तव्यों का उल्लंघन होता है वे विधि द्वारा निर्धारित होते हैं तथा वे समूचे विश्व के प्रति होते हैं। | 2. संविदा भंग में जिन कर्तव्यों का उल्लंघन होता है उनका संबंध संविदा के दोनों पक्षकारों से होता है। |
3. अपकृत्य में क्षतिपूर्ति (प्रतिकर) पहले से निर्धारित नहीं की जा सकती है। | 3. संविदा भंग में क्षतिपूर्ति(प्रतिकर) पहले से निर्धारित की जाती है। |
4. अपकृत्य में क्षतिपूर्ति ( प्रतिकर) दंड के रूप में दिया जाता है। | 4. संविदा भंग में क्षतिपूर्ति दूसरे पक्ष को हुई हानि के प्रतिकार के रूप में दी जाती है। |
5. आशय अपकृत्य दायित्व का आवश्यक के तत्व नहीं है। | 5. संविदा भंग में आशय का विशेष महत्व नहीं होता है। |
अपकृत्य एवं संविदा भंग में अंतर-
संविदा भंग और अपकृत्य की कार्यवाही, दोनों में प्रति- कर भुगतान ही मुख्य उपचार हैं।
संदर्भ- अपकृत्य एवं संविदा भंग में अंतर-
- अपकृत्य विधि-आर.के. बंगिया
- अपकृत्य विधि- जयनारायण पाण्डेय
- अपकृत्य विधि- एम एन शुक्ला
- अपकृत्य विधि -भीमसेन खेत्रपाल
- अपकृत्य विधि- MCQ BOOK