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स्वीकृति तथा विबंधन में अंतर | Difference between Admission and Estoppel in hindi

स्वीकृति तथा विबंधन में अंतर

स्वीकृति तथा विबंधन  में अंतर

स्वीकृति क्या है? (what is admission?):-

साक्ष्य अधिनियम की धारा , 17 में स्वीकृति की परिभाषा दी गई है तथा धारा 18, 19, 20 ,21, 22 तथा 23 में बताया गया है कि किस का कथन स्वीकृति के अंतर्गत आता है।

स्टीफन के अनुसार, किसी पक्ष या उसकी ओर से किसी अन्य द्वारा किया गया लिखित या मौखिक कथन जो विवाधक या सुसंगत तथ्य के संबंध में किसी धारण को इंगित करता है, उसे स्वीकृति कहते हैं।

विबंधन क्या है ? (what is estoppel?):-

विबंधन को अंग्रेजी में ‘ एस्टापल’ कहते हैं जो कि फ्रेंच भाषा के शब्द ‘एस्टाप’अंग्रेजी शब्द ‘स्टॉप’ से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘रोकना’।

लार्ड कोक के अनुसार,”जहां कि व्यक्ति के स्वयं का कार्य या स्वीकृति उसके मुंह को बंद कर देती है कि वह सत्य को अभी कथित या अभिवचन कर सके, वह  विबंधन है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 115 में विबंधन के नियम के बारे में कहा गया है।

 

स्वीकृति तथा विबंधन में अंतर:-

स्वीकृति(Admission) विबंधन(Estoppel)
1. स्वीकृति लिखित या मौखिक कथन है जो पक्षकारों के अधिकारों और दायित्वों के बारे में दी जाती है अर्थात विवाधक तथ्य। 1. विबंधन साक्ष्य का नियम है जो किसी व्यक्ति को अपने पूर्ववर्ती व्यपदेशन से मुकरने से रोकता है।
2. स्वीकृति को अपेक्षाकृत कम महत्व दिया जाता है तथा इसका खंडन भी हो सकता है। 2. विबंधन उच्च श्रेणी का निश्चायक माना जाता है।
3. स्वीकृति कभी-कभी अपरिचितों को भी बाध्य करती है। 3. विबंधन पक्षकारों तथा उत्तराधिकारियों पर लागू होता है।
4. विबंधन से दूसरे व्यक्ति की दशा में परिवर्तन हो जाता है। 4. स्वीकृति में ऐसा होना आवश्यक नहीं है।
5. स्वीकृति में मात्र स्वीकृति पर्याप्त है। स्वीकृति में उत्प्रेरित होकर कोई कार्य किया जाना आवश्यक नहीं है। 5. विबंधन में किसी व्यक्ति द्वारा स्वीकृति करने से वह निश्चायक साक्ष्य नहीं होता है जब तक कि अन्य व्यक्ति ने उससे प्रेरित होकर कोई कार्य करके अपनी दशा न बदली हो।
6. इसमें स्वीकृति के आधार पर दावा आधारित किया जा सकता है। 6. विबंधन केवल साक्ष्य का नियम है, इसलिए इसके आधार पर कोई दावा नहीं किया जा सकता है।
7. स्वीकृति कुछ परिस्थितियों में अन्य व्यक्ति की स्वीकृति वाद  के पक्षकारों को आवध्द करती है।(धारा 19 और 20)। 7. विबंधन केवल व्यपदेशन करने वाले व्यक्ति और उनके विधिक प्रतिनिधियों पर विबंधनकारी होता है।
8. स्वीकृति कथनकर्ता के हित के विरुद्ध कथन है ।इसलिए अच्छा साक्ष्य है लेकिन निश्चायक नहीं है। जिस चीज के सच होने के बारे में कोई पक्षकार स्वीकृति करता है उसके वैसा होने की उपधारणा की जा सकती है। जिस व्यक्ति के विरुद्ध इसे साबित किया जाता है वह यह दर्शित करने के लिए स्वतंत्र है कि वह भूल से की गई थी या सच्ची नहीं थी। इस प्रकार स्वीकृति निश्चायक साक्ष्य नहीं है, का खंडन किया जा सकता है। 8. विबंधन को उच्च कोटि का निश्चायक साक्ष्य माना गया है।विबंध पूर्ण वर्जन का सृजन करता है।विबंध एक स्वीकृति है और यह इतना उच्च और निश्चायक होती है कि स्वीकारकर्ता को उस स्वीकृति के प्रतिकूल नहीं कहने दिया जाता है और न साक्ष्य ही पेश करने दिया जाता है।
9. स्वीकृति के बारे में नियमों को धारा 17 से 23 और धारा 31 के अधीन अधिकथित किया गया है। 9. विबंधन के बारे में नियम धारा 115 के अधीन अधिकथित किया गया है।

 

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