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वारंट क्या है? | गिरफ्तारी वारंट क्या है? | अरेस्ट वारंट क्या है? | Warrant in hindi

वारंट


वारंट क्या है? :-
वारंट एक ऐसा आदेश है ,जो किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए न्यायालय द्वारा जारी किया जाता है। वारंट जारी करते समय न्यायालय बड़ी सावधानी बरतता है क्योंकि गिरफ्तारी का वारंट किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समाप्त अथवा प्रतिबंधित करता है।वारंट न्यायालय को प्राप्त ऐसी शक्ति है जो व्यक्ति को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष लाए जाने का प्रावधान करती है।

वारंट शक्ति के बगैर न्यायालय को अपंग माना जा सकता है। भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता वारंट के माध्यम से न्यायालय को वह अस्त्र प्रदान करती है, जिसके सामने बड़ी बड़ी शक्तियों को पस्त किया जा सकता है। न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट को प्राप्त वारंट जारी करने की शक्ति न्यायाधीश को प्राप्त शक्तियों में सर्वाधिक सार्थक शक्ति है। warrant

गिरफ्तारी वारंट कब जारी होता है?:-

सर्वप्रथम तो न्यायालय जिस व्यक्ति को हाजिर करवाना चाहता है उस व्यक्ति को समन जारी करता है। समन के माध्यम से न्यायालय में हाजिर करवाने का प्रयास किया जाता है परंतु यदि व्यक्ति समन से बच रहा है और समन तामील होने के उपरांत भी न्यायालय के समक्ष हाजिर नहीं होता है और न्याय में बाधा बनता है तो ऐसी परिस्थिति में न्यायालय को गिरफ्तार करके अपने समक्ष पेश किए जाने का वारंट जारी करता है।

गिरफ्तारी के वारंट का प्रारूप और अवधि(form of warrant of arrest and duration)-

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 70 के अनुसार,
(1) न्यायालय द्वारा इस संहिता के अधीन जारी किया गया गिरफ्तारी का प्रत्येक वारंट लिखित रूप में और ऐसे न्यायालय के पीठासीन अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित होगा और उस पर उस न्यायालय की मुद्रा लगी होगी।
(2) ऐसा प्रत्येक वारंट तब तक प्रवर्तन में रहेगा जब तक वह उसे जारी करने वाले न्यायालय द्वारा रद्द नहीं कर दिया जाता है या जब तक वह निष्पादित नहीं कर दिया जाता है।

वारंट कितने प्रकार के होते है?(Kinds of warrant):-

वारंट दो प्रकार के होते हैं-

  1. जमानतीय वारंट(Bailable warrant)।
  2. गैर जमानतीय वारंट(Non-bailable warrant)

1. जमानतीय वारंट क्या होता है ? (Bailable warrant) –
जमानतीय वारंट वह वारंट होता है जिसमे न्यायालय को यह अधिकार दिया गया है कि वह स्वविवेकनुसार यह निर्देश दे सकता है कि यदि जिस व्यक्ति के नाम पर वारंट जारी किया गया है, वह व्यक्ति नियत दिनांक एवं समय पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने का वचन दे रहा है और इसके लिए वह प्रतिभू सहित बंधपत्र निष्पादित कर देता है तो उस व्यक्ति को बंधपत्र लेकर अभिरक्षा से मुक्त किया जा सकेगा।

वारंट में प्रतिभू सहित बंधपत्र के पृष्ठांकन में निम्नलिखित बातों का उल्लेख किया जाना चाहिए-

  • प्रतिभुओं की संख्या,
  • उस राशि का उल्लेख जिसके लिए प्रतिभू एवं गिरफ्तार किया जाने वाला व्यक्ति बंधपत्र द्वारा आबध्य है,
  • वह समय जिस पर उसे न्यायालय के समक्ष उपस्थित होना है।

जब वारंट का निष्पादन करने वाला अधिकारी ऐसा बंध पत्र प्राप्त कर लेता है तो वह बंधपत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया जाएगा।
2. गैर जमानतीय वारंट क्या होता है ? (Non-bailable warrant)-
गैर जमानतीय वारंट एक ऐसा वारंट होता है जिसमें प्रतिभू सहित बंधपत्र का निष्पादन जैसा कोई विकल्प नहीं होता है एवं ऐसे वारंट के अंतर्गत गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को अनिवार्यता गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। न्यायालय उसे जमानत पर मुक्त होने का आदेश दे सकता है।

वैध वारंट की अनिवार्यतायें(Requisites of a valid warrant):-

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 70 में वैध वारंट की अनिवार्यताओं का उल्लेख किया गया है।

  • गिरफ्तारी के लिए जारी किया जाने वाला प्रत्येक वारंट लिखित होना चाहिए।
  • उस पर पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर होना चाहिए। हस्ताक्षर का पूर्ण एवं हस्तलिखित होना आवश्यक है।
  • प्रत्येक वारंट पर उस न्यायालय की मुद्रा अंकित की जानी चाहिए जिसने उसे जारी किया है।
  • प्रत्येक वारंट में गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति का पूर्ण विवरण दिया जाना चाहिए जैसे- उस व्यक्ति का नाम ,पिता का नाम, जाति, राष्ट्रीयता, निवास स्थान आदि। जहां किसी वारंट में गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति के निवास स्थान का उल्लेख नहीं किया गया हो, वहां वह वारंट वैध नहीं माना जाएगा।
  • गिरफ्तारी के वारंट में गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति पर आरोपित अपराध का भी वर्णन किया जाना चाहिए।
  • वारंट में उस अधिकारी का नाम व पद भी दिया जाना चाहिए जो उस वारंट का निष्पादन करने वाला है।
  • इसमें गिरफ्तारी वारंट जारी होने की तारीख का उल्लेख किया जाना चाहिए।

वारंट किसे निर्दिष्ट होंगे (warrant to whom directed):-

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 72 के अनुसार गिरफ्तारी का प्रत्येक वारंट किसी एक या एक से अधिक पुलिस अधिकारी को निर्दिष्ट होगा। यदि निष्पादन तुरंत आवश्यक हो और कोई पुलिस अधिकारी उपलब्ध न हो तो न्यायालय अन्य व्यक्ति को भी निर्दिष्ट कर सकता है।

वारंट किसी भी व्यक्ति को निर्दिष्ट हो सकेगा(warrant may be directed to any person)-

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 73 के अनुसार मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट अजमानतीय अपराध के अभियुक्त व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस अधिकारी या किसी व्यक्ति को निर्दिष्ट करते हुए वारंट जारी कर सकता है। पुलिस अधिकारी के अलावा अन्य व्यक्ति को गिरफ्तारी वारंट केवल निम्नलिखित प्रकार के व्यक्तियों को गिरफ्तार करने के लिए जारी किया जा सकता है-

  • निकल भागा दोष सिद्ध अपराधी।
  • उदघोषित अपराधी।
  • ऐसा व्यक्ति जो अजमानतीय अपराध का अभियुक्त हो तथा स्वयं को गिरफ्तारी से बचा रहा हो।

वारंट की सार की सूचना(notification of substance of warrant) –

धारा 75 के अनुसार, पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति, जो गिरफ्तारी के वारंट का निष्पादन कर रहा है, उस व्यक्ति को जिसे गिरफ्तार करना है, उसका सार सूचित करेगा और यदि ऐसी अपेक्षा की जाती है तो वारंट उस व्यक्ति को दिखा देगा।

परंतु, धारा 76 के अनुसार, ऐसा विलंब किसी भी दशा में गिरफ्तारी के स्थान से मजिस्ट्रेट के न्यायालय तक यात्रा के लिए आवश्यक समय को छोड़कर 24 घंटे से अधिक नहीं होगा।

वारंट कहां निष्पादित किया जा सकता है (where warrant may be executed) –

धारा 77 के अनुसार गिरफ्तारी का वारंट भारत के किसी भी स्थान में निष्पादित किया जा सकता है।

अधिकारिता के बाहर निष्पादन के लिए भेजा गया वारंट (warrant forwarded for execution outside jurisdiction):-

जब वारंट का निष्पादन उसे जारी करने वाले न्यायालय के स्थानीय क्षेत्राधिकार से बाहर किया जाना हो तो धारा 78 के अनुसार वारंट को न्यायालय डाक से या अन्य किसी तरीके से कार्यपालक मजिस्ट्रेट को पुलिस आयुक्त या अधीक्षक को भेज सकता है। जिसकी स्थानीय सीमा में यह वारंट निष्पादित किया जाता है, वह वर्णित रीति से उसका निष्पादन करेगा।

गिरफ्तारी के बाद प्रक्रिया (procedure after arrest):-

जब वारंट का निष्पादन जिले के बाहर जाकर व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे धारा 80 के अनुसार उस जिले के कार्यपालक मजिस्ट्रेट पुलिस आयुक्त या पुलिस अधीक्षक के समक्ष ले जाया जाएगा।

ऐसा मजिस्ट्रेट व पुलिस अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि क्या वह वही व्यक्ति है जिसे गिरफ्तार किया जाना आशयित है। यदि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का अपराध जमानतीय है तो जमानत लेकर बंधपत्र को वारंट करने वाले न्यायालय को भेज देगा।

यदि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का अपराध अजमानतीय है तो धारा 437 के उपबंधों का अनुसरण करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या सेशन न्यायालय को भेजेगा। न्यायालय उचित आदेश पारित कर सकेगा।

बिना वारंट के पुलिस कब गिरफ्तार कर सकती है? :-

CrPC की धारा 41 के तहत पुलिस को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार प्राप्त हैं|

  • जब आप एक पुलिस अधिकारी के समक्ष अपराध करते हैं (उदाहरण के लिए, किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में, या पुलिस स्टेशन में);
  • जब पुलिस को एक विश्वसनीय जानकारी या शिकायत मिलती है कि आपने एक संज्ञेय अपराध किया है;
  • अगर न्यायालय ने आपको एक प्रामाणिक अपराधी घोषित किया है;
  • अगर पुलिस ने आपको चोरी की संपत्ति के साथ पाया गया है और वे आप पर चोरी करने का संदेह है;
  • अगर आप एक पुलिस अधिकारी को परेशान करते हैं जो अपना कर्तव्य पूरा कर रहा है;
  • यदि आप हिरासत से भाग जाते हैं;
  • यदि आप पर सेना से भागने का संदेह है;
  • यदि आप भारत के बाहर किये गये किसी अपराध में एक संदिग्ध व्यक्ति हैं और आप पर भारत वापस लाए जाने की संभावना हैं; या
  • अगर आपको अतीत में किसी अपराध के लिए दोषी पाया गया था और रिहा किए गए अभियुक्तों से संबंधित नियमों का आपने उल्लंघन किया है।

वारंट और समन में अंतर :-

समन एवं वारंट दोनों का उद्देश्य एक ही है, किसी व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए पाबंद करना, लेकिन इन दोनों में थोड़ा अंतर है।इन दोनों के मध्य मूल अंतर यह है कि समन किसी भी व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए जारी किया जाता है जबकि वारंट गिरफ्तारी के लिए जारी किया जाता हैं। वह पुलिस अधिकारी या किसी अन्य व्यक्ति के नाम से निर्दिष्ट होता है।

समन उस व्यक्ति को निर्दिष्ट होता है तथा उस व्यक्ति के पते पर ही निर्दिष्ट होता है, जिस व्यक्ति के लिए जारी किया जाता है। जिस व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित किया जाना है परंतु गिरफ्तारी वारंट उस व्यक्ति के नाम से तो जारी होता है परंतु निर्दिष्ट किसी अन्य को होता है। किसी अन्य को आदेश होता है कि वह उस व्यक्ति को जिसके लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है उसे न्यायालय के समक्ष पेश करे।

संदर्भ ( Reference)

  1. Code of criminal procedure , 1973
  2. Book -प्रो. सूर्य नारायण मिश्र- Code of criminal procedure , 1973
  3. https://en.wikipedia.org/wiki/Warrant_(law)
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